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नई शिक्षा नीति : मैथ्स फोबिया NO MORE...अब बच्चे बोलेंगे- ये दिल मांगे मोर

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Published : Aug 31, 2021, 5:16 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 9:12 PM IST

नई शिक्षा नीति (new education policy) के निपुण कार्यक्रम (skillful program) के तहत उत्तर भारत से जोधपुर के केंद्रीय विद्यालय (Jodhpur Central School) के शिक्षकों के मैथ्स प्रोजेक्ट (Maths Project ) का चयन किया गया है. इस प्रोजेक्ट को शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति अवार्डेड (President's Awarded) शिक्षक दंपती (soral couple) सुमन सोरल और पंकज सोरल ने तैयार किया है.

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नई शिक्षा नीति में गणित होगी आसान

जोधपुर. भारत सरकार (Indian government ) नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों के मन में बसे गणित के भूत (fear of math) को भगाना चाहती है. इसके लिए केंद्र सरकार निपुण कार्यक्रम (skillful program) पर काम कर रही है.

प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए नेशनल इनिसेटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग एंड अंडरस्टेडिंग विथ न्यूमरैसी (National Initiative for Proficiency in Reading and Understanding with Numeracy) के तहत नए तरीके इजाद किये जा रहे हैं.

जोधपुर के केवी-01,02 के प्रोजेक्ट का चयन

खास तौर से बच्चों की गणित की पढ़ाई (math studies) को मनोरंजन से जोड़कर खेल-खेल में सिखाने की विधि (game teaching method) पर फोकस किया जा रहा है. इसके तहत देशभर के स्कूलों से एनसीईआरटी (NCERT) ने अलग-अलग इनावेशन से जुडे प्रोजेक्ट मांगे हैं. इस कड़ी में जोधपुर के एअरफोर्स के केवी नं 1 व 2 (Air Force KV No 1 and 2) के अध्यापकों की ओर से तैयार किए गए प्रोजेक्ट का चयन हुआ है.

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बच्चे खेल-खेल में सीखेंगे गणित

इस प्रोजेक्ट में इनोवेटिव पाठ्यक्रम (Innovative Curriculum) तैयार किया गया है. जिसे अलग-अलग स्कूलों में लागू कर जनवरी 2022 तक उसकी रिपोर्ट एनसीईआरटी तैयार करेगी. जिसके बाद 25 फरवरी 2022 को देश से चयनित ऐसे प्रोजेक्ट के आधार पर प्राथमिक कक्षाओं में गणित पढाने की नई व्यवस्था लागू होगी. इसका नाम है- मैथ्य फोबिया नाउ नो मोर, अमेजिंग मैथ्स - ये दिल मांगे मोर (Maths Phobia Now No More Amazing Maths Ye Dil Maange More). इस प्रोजेक्ट के तहत केवी स्कूल में एक सितंबर से क्लासेस शुरू होंगी.

जोधपुर केंद्रीय विद्यालय वायुसेना 1 के प्रिंसिपल विवेक यादव ने बताया कि एनसीईआरटी ने देशभर से अलग-अलग स्कूलों से 7 प्रोजेक्ट मांगे थे. इनमें मैथ्स का प्रोजेक्ट हमारे स्कूल का चयनित हुआ. केवी नं 1 व नं 2 के शिक्षक दंपती पंकज सोरल व सुमन सोरल ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है. प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य प्राथमिक कक्षाओं में गणित के शिक्षण को आसान बनाना है.

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जोधपुर के केंद्रीय विद्यालय में तैयार किया गया प्रोजेक्ट

पढ़ें- प्रदेश में कल से बजेगी स्कूलों की घंटी, कोविड गाइडलाइन के अनुसार दो शिफ्टों में चलेगी कक्षा 9 से 12 वीं तक की कक्षाएं

इसमें वैदिक गणित पजल्स व अन्य एक्टिविटीज को शामिल किया गया है. इसके लिए इंटरेक्शन शीट (interaction sheet) सहित कई चीजें बनाई गई हैं. जिससे बच्चे गणित के अंकों की भाषा को आसानी से समझ सकेंगे. उन्हें हर स्तर पर अंकों के साथ कुछ सीखने को मिलेगा. सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुसार बच्चे की लिट्रेसी का आधार मजबूत बनाना इस नीति की प्राथमिकता है. यानी बच्चा आसानी से अंकों को पहचाने, उन्हें पढ़ सके और न्यूमेरेसी विकसित करे. बच्चों में लिट्रेसी और न्यूमेरेसी (Literacy and Numeracy) का तालमेल बनाना ही इस प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य है.

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गणित की सांप-सीढ़ी

खेल-खेल में सिखाने की कवायद

सोरल दंपति को शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति से अवार्ड मिला था. उन्होंने खुद को प्राथमिक स्तर के बच्चों के अध्यापन के लिए समर्पित कर रखा है. जिसके चलते उन्होंने कोई प्रमोशन भी नहीं लिया. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान गणित से जुड़े करीब 100 गेम विकसित किये.

सोरल दंपती का मानना है कि खेल-खेल में कैल्कुलेशन से बच्चों का मस्तिष्क तेज चलता है. नई शिक्षा नीति की धारणा भी यही है कि बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान के साथ अध्ययन करवाया जाए. ताकि शुरूआती कक्षाओं में ही उनका गणित से डर खत्म हो और वे आगे बढ़ सकें.

जोधपुर. भारत सरकार (Indian government ) नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों के मन में बसे गणित के भूत (fear of math) को भगाना चाहती है. इसके लिए केंद्र सरकार निपुण कार्यक्रम (skillful program) पर काम कर रही है.

प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए नेशनल इनिसेटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग एंड अंडरस्टेडिंग विथ न्यूमरैसी (National Initiative for Proficiency in Reading and Understanding with Numeracy) के तहत नए तरीके इजाद किये जा रहे हैं.

जोधपुर के केवी-01,02 के प्रोजेक्ट का चयन

खास तौर से बच्चों की गणित की पढ़ाई (math studies) को मनोरंजन से जोड़कर खेल-खेल में सिखाने की विधि (game teaching method) पर फोकस किया जा रहा है. इसके तहत देशभर के स्कूलों से एनसीईआरटी (NCERT) ने अलग-अलग इनावेशन से जुडे प्रोजेक्ट मांगे हैं. इस कड़ी में जोधपुर के एअरफोर्स के केवी नं 1 व 2 (Air Force KV No 1 and 2) के अध्यापकों की ओर से तैयार किए गए प्रोजेक्ट का चयन हुआ है.

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बच्चे खेल-खेल में सीखेंगे गणित

इस प्रोजेक्ट में इनोवेटिव पाठ्यक्रम (Innovative Curriculum) तैयार किया गया है. जिसे अलग-अलग स्कूलों में लागू कर जनवरी 2022 तक उसकी रिपोर्ट एनसीईआरटी तैयार करेगी. जिसके बाद 25 फरवरी 2022 को देश से चयनित ऐसे प्रोजेक्ट के आधार पर प्राथमिक कक्षाओं में गणित पढाने की नई व्यवस्था लागू होगी. इसका नाम है- मैथ्य फोबिया नाउ नो मोर, अमेजिंग मैथ्स - ये दिल मांगे मोर (Maths Phobia Now No More Amazing Maths Ye Dil Maange More). इस प्रोजेक्ट के तहत केवी स्कूल में एक सितंबर से क्लासेस शुरू होंगी.

जोधपुर केंद्रीय विद्यालय वायुसेना 1 के प्रिंसिपल विवेक यादव ने बताया कि एनसीईआरटी ने देशभर से अलग-अलग स्कूलों से 7 प्रोजेक्ट मांगे थे. इनमें मैथ्स का प्रोजेक्ट हमारे स्कूल का चयनित हुआ. केवी नं 1 व नं 2 के शिक्षक दंपती पंकज सोरल व सुमन सोरल ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है. प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य प्राथमिक कक्षाओं में गणित के शिक्षण को आसान बनाना है.

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जोधपुर के केंद्रीय विद्यालय में तैयार किया गया प्रोजेक्ट

पढ़ें- प्रदेश में कल से बजेगी स्कूलों की घंटी, कोविड गाइडलाइन के अनुसार दो शिफ्टों में चलेगी कक्षा 9 से 12 वीं तक की कक्षाएं

इसमें वैदिक गणित पजल्स व अन्य एक्टिविटीज को शामिल किया गया है. इसके लिए इंटरेक्शन शीट (interaction sheet) सहित कई चीजें बनाई गई हैं. जिससे बच्चे गणित के अंकों की भाषा को आसानी से समझ सकेंगे. उन्हें हर स्तर पर अंकों के साथ कुछ सीखने को मिलेगा. सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुसार बच्चे की लिट्रेसी का आधार मजबूत बनाना इस नीति की प्राथमिकता है. यानी बच्चा आसानी से अंकों को पहचाने, उन्हें पढ़ सके और न्यूमेरेसी विकसित करे. बच्चों में लिट्रेसी और न्यूमेरेसी (Literacy and Numeracy) का तालमेल बनाना ही इस प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य है.

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गणित की सांप-सीढ़ी

खेल-खेल में सिखाने की कवायद

सोरल दंपति को शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति से अवार्ड मिला था. उन्होंने खुद को प्राथमिक स्तर के बच्चों के अध्यापन के लिए समर्पित कर रखा है. जिसके चलते उन्होंने कोई प्रमोशन भी नहीं लिया. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान गणित से जुड़े करीब 100 गेम विकसित किये.

सोरल दंपती का मानना है कि खेल-खेल में कैल्कुलेशन से बच्चों का मस्तिष्क तेज चलता है. नई शिक्षा नीति की धारणा भी यही है कि बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान के साथ अध्ययन करवाया जाए. ताकि शुरूआती कक्षाओं में ही उनका गणित से डर खत्म हो और वे आगे बढ़ सकें.

Last Updated : Aug 31, 2021, 9:12 PM IST
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