जोधपुर. स्वास्थ्य विभाग शहर के अलग-अलग हिस्सों में स्थित पाक विस्थापित हिंदुओं की बस्ती में बीमार मरीजों का सर्वे करवाएगा. आवश्यकता होने पर कोरोना जांच भी होगी. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बलवंत मंडा ने बताया कि इसके लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं. जब उनसे पूछा गया कि ज्यादातर पाक विस्थापितों के पास आधार कार्ड नहीं होने से उनका टीकाकरण व कोरोना टेस्ट कैसे होगा.
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उन्होंने कहा कि इसको लेकर भी हम अधिकारियों से बात कर रहे हैं. जल्दी इसका रास्ता भी निकाला जाएगा. जिससे कि इन बस्तियों में रहने वाले सभी लोगों को टीका लग सके. उल्लेखनीय है कि जोधपुर की पाक विस्थापित हिंदुओं की बस्तियों में बुखार के रोगी बढ़ने वह कुछ लोगों के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी सामने आई थी. पाक विस्थापितों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता भागचंद भील जिन्हें नागरिकता मिल चुकी है वह खुद कोरोना संक्रमित हो गए.
उन्होंने बताया था कि जिन लोगों के आधार कार्ड हैं, केवल उनकी ही जांच हो पाई थी. इसको लेकर 5 मई को ईटीवी भारत की टीम ने चोखा स्थित अल कौसर बस्ती में जाकर लोगों से बात की तो सामने आया कि यहां कई लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. लेकिन उनकी स्वास्थ्य जांच नहीं हो पा रही है. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग बुखार से भी पीड़ित हैं. इसी तरह शहर के माता का थान काली बेरी सहित अन्य बस्तियों में भी लोगों के बीमार होने की जानकारी सामने आई थी.
सिम आप लोग संगठन के कार्यकर्ताओं ने इन बस्तियों में जाकर पता लगाया. जिसमें 5 लोगों की मौत होना भी बताया गया. ईटीवी भारत में 5 मई को ही इन बस्तियों के हालात पर खबर प्रसारित की थी. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इन बस्तियों में सर्वे करवाने के आदेश जारी किए हैं. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बलवंत मंडा का कहना है कि टीकाकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होने पर जो लोग लंबे समय से रह रहे हैं, उनके पास मौजूद लोंग टर्म विजा प्रमाणपत्र, पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज उपयोग में लेने के लिए मार्गदर्शन मांगा गया है.
उल्लेखनीय है कि जोधपुर में पाक विस्थापित हिंदुओं की बड़ी संख्या है, जिनको अभी नागरिकता का इंतजार है. यह संख्या 5 से 7 हजार बताई जा रही है. इनमें ज्यादातर धार्मिक यात्रा पर भारत आने के बाद वापस पाकिस्तान नहीं लौटे हैं और उनका लोंग टर्म विजा भी खत्म हो चुका है. ऐसे लोगों को किसी भी तरह का दस्तावेज नहीं मिल रहा है. वे यहां पर सभी तरह की सरकारी योजनाओं व अन्य सुविधाओं से वंचित हैं. अब कोरोना के दौर में उनका टीकाकरण बड़ी चुनौती बना है. जिसके लिए अलग से व्यवस्था लागू करनी होगी.