जोधपुर. ऐसा पहले से कहा जाता रहा है कि रेगिस्तान भी कभी समुद्र हुआ करता था और यह लगातार रेगिस्तानी क्षेत्र में मिलने वाले जीवाश्मों से साबित भी हो रहा है. जोधपुर के सूरसागर में भू विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. यहां वैज्ञानिकों ने समुद्र के छिछलेदार पानी में रहने वाले बहुकोशकीय जीवाश्म की खोज की है.
सबसे बड़ा मांसल शरीर का जीवाश्म
शहर के सूरसागर के खनन क्षेत्र में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा मांसल शरीर का जीवाश्म ढूंढा है. यह इडियाकारा युग का बताया जा रहा है, जो करोड़ों वर्ष पुराना है. इन्हें पृथ्वी पर शुरुआती जीवन का प्रमाण माना जाता है.
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क्यों मिला इडियाकारा नाम...
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के भू विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. वीरेंद्र सिंह परिहार का कहना है कि यह तश्तरीनुमा 32 से 84 सेंटीमीटर आकार के हैं. उनका कहना है कि दुनिया में इडियाकारा युग का सबसे पहला जीवाश्म ऑस्ट्रेलिया की इडियाकारा पहाड़ी पर मिले थे, इसलिए इस युग के जीवाश्म को इडियाकारा नाम दिया गया है.
जीवों की उत्पत्ति से जुड़े तथ्यों को खोजने में मिलेगी सहायता
बता दें कि विश्वविद्यालय की इस खोज को दुनिया के प्रमुख भू विज्ञान से जुड़े स्पेन के इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जियोलॉजीकोज में प्रकाशित किया गया है. डॉ. परिहार के अनुसार इस तरह के जीवाश्म मिलने से दुनिया में जीवों की उत्पत्ति से जुड़े तथ्य खोजने में सहायता मिलती है. उनके अनुसार यह जीवाश्म समुद्र के छिछलेदार पानी यानी कि समुद्र तल में रहते थे.
84 सेमी का है जीवाश्म
डॉ. परिहार ने बताया कि दुनिया में बहुत कम संख्या में इडियाकारा युग के बहुकोशिकीय मांसल जीवाश्म मिले हैं. इससे पहले सबसे बड़ा जीवाश्म 50 सेमी का सामने आया था, लेकिन सूरसगार में अब तक का सबसे बड़ा 84 सेंटीमीटर का जीवाश्म मिला है.
पहले टेथिस सागर का था हिस्सा
पश्चिमी राजस्थान हजारों साल पहले टेथिस सागर का हिस्सा था. यह बात लगातार भू वैज्ञानिक खोजों से साबित होती रही है. धरती पर आए परिवर्तन से समुद्र समाप्त हो गया था. समुद्र की समाप्ति और धरातल के सामने आने तक कई परिवर्तन हुए, जिसके चलते कई जीव धरती में ही समा गए. वहीं, ऐसे कई उदाहरण भी मिलते रहे हैं. पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर क्षेत्र में डायनासोर की मौजूदगी के भी प्रमाण इस बात का सबूत है.