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Lumpy Disease : गोवंश को खिला रहे इम्यूनिटी बूस्टर रोटी...नीम-फिटकरी से नहलाते हैं

लंपी स्किन डिजीज की चपेट में आने से अब तक हजारों गायों की मौत (Immunity Booster Roti for cows) हो चुकी है. इस बीमारी से गायों को बचाने के लिए सरकार के स्तर पर किए जा रहे प्रयासों के बीच मथानिया इलाके के गौ सेवकों ने अनूठी मुहिम शुरू की है. वे गायों को इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में खास तरह की रोटी बनाकर खिला रहे हैं. साथ ही नीम और फिटकरी के पानी से पशुओं को नहलाया जा रहा है.

Lumpy disease in Jodhpur
जोधपुर में लंपी बीमारी
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Published : Aug 5, 2022, 11:18 PM IST

जोधपुर. लंपी स्किन डिजीज से जिले में लगातार गोवंश इसकी चपेट में आ रही हैं. लंपी से गोवंश के मौत का (Lumpy disease in Jodhpur) आंकड़ा भी बढ़ रहा है. इसके साथ ही उपचार के लिए विभाग के साथ ही लोगों के समूह भी आगे आ रहे हैं. वायरस जनित इस रोग से गोवंश को बचाने के लिए लोगों ने सरकारी इलाज के साथ साथ देशी आयुर्वेदिक इलाज भी शुरू कर दिया है. इसके तहत जिले के मथानिया इलाके में गौ सेवकों ने गायों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खास तरह की रोटी बना रहे हैं.

साथ ही संक्रमण को कंट्रोल में रखने के लिए नीम और फिटकरी के पानी से पशुओं को नहलाने की भी कवायद शुरू की गई है. हालांकि इस कवायद के चलते बाजार में फिटकरी के दाम बढ़ने लगा है. बाजार में पहले जहां 25 रुपये किलो में फिटकरी मिलती थी, वहीं अब ये 50 रुपये किलो में मिल रही है. जोधपुर संभाग में चार अगस्त तक गायों की मौत का आंकड़ा 4 हजार पहुंच गया है.

गोवंश को लंपी से बचाने के लिए किए जा रहे ये उपाय....

स्पेशल रोटी, इम्यूनिटी बूस्टरः गौ सेवा से जुड़े हनुमानराम का कहना है कि गायों को स्वस्थ रखने के लिए (Immunity Booster Roti for cows) हमने बाजरे के आटे में हल्दी, काली मिर्च, काली जीरी, नमक और वनस्पति घी मिलाकर रोटियां बनाते हैं. इस रोटी को सरसों के तेल में डूबा कर वितरित कर रहे हैं. दिन में दो बार एक गाय को दो रोटी पहुंचा रहे हैं. इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. बीमारी के कम प्रभाव वाली गायों को इससे फायदा भी हुआ है, यह क्रम लागतार जारी है.

पढ़ें. लंपी वायरस से अब तक जितनी गायों की मौत, 10 दिन में इस गौशाला में हो जाता है उससे ज्यादा गौवंश 'काल का शिकार'

नीम फिटकरी के पानी से स्नानः मथानिया पशु चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर जीवनराम (Measures to prevent Lumpy disease) ने बताया कि गांव के युवा नीम के पत्तों और फिटकरी का पानी गर्म कर उससे पीड़ित गायों को स्नान करवा रहे हैं. इससे पशु के शरीर की सफाई रहती है. संक्रमण भी नियंत्रित रहता है. इसके अलावा स्वस्थ्य गायों पर इस घोल का छिड़काव करने से संक्रमण की चपेट में नहीं आती हैं. क्योंकि यह संक्रमण मक्खियों और कीड़ों से फैलता है. वहीं पशुपालन विभाग के अतरिक्त निदेशक डॉ एमएम नागौरी का कहना है कि दवाइयां खरीदने को लेकर टेंडर प्रक्रिया चल रही है.

जोधपुर. लंपी स्किन डिजीज से जिले में लगातार गोवंश इसकी चपेट में आ रही हैं. लंपी से गोवंश के मौत का (Lumpy disease in Jodhpur) आंकड़ा भी बढ़ रहा है. इसके साथ ही उपचार के लिए विभाग के साथ ही लोगों के समूह भी आगे आ रहे हैं. वायरस जनित इस रोग से गोवंश को बचाने के लिए लोगों ने सरकारी इलाज के साथ साथ देशी आयुर्वेदिक इलाज भी शुरू कर दिया है. इसके तहत जिले के मथानिया इलाके में गौ सेवकों ने गायों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खास तरह की रोटी बना रहे हैं.

साथ ही संक्रमण को कंट्रोल में रखने के लिए नीम और फिटकरी के पानी से पशुओं को नहलाने की भी कवायद शुरू की गई है. हालांकि इस कवायद के चलते बाजार में फिटकरी के दाम बढ़ने लगा है. बाजार में पहले जहां 25 रुपये किलो में फिटकरी मिलती थी, वहीं अब ये 50 रुपये किलो में मिल रही है. जोधपुर संभाग में चार अगस्त तक गायों की मौत का आंकड़ा 4 हजार पहुंच गया है.

गोवंश को लंपी से बचाने के लिए किए जा रहे ये उपाय....

स्पेशल रोटी, इम्यूनिटी बूस्टरः गौ सेवा से जुड़े हनुमानराम का कहना है कि गायों को स्वस्थ रखने के लिए (Immunity Booster Roti for cows) हमने बाजरे के आटे में हल्दी, काली मिर्च, काली जीरी, नमक और वनस्पति घी मिलाकर रोटियां बनाते हैं. इस रोटी को सरसों के तेल में डूबा कर वितरित कर रहे हैं. दिन में दो बार एक गाय को दो रोटी पहुंचा रहे हैं. इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. बीमारी के कम प्रभाव वाली गायों को इससे फायदा भी हुआ है, यह क्रम लागतार जारी है.

पढ़ें. लंपी वायरस से अब तक जितनी गायों की मौत, 10 दिन में इस गौशाला में हो जाता है उससे ज्यादा गौवंश 'काल का शिकार'

नीम फिटकरी के पानी से स्नानः मथानिया पशु चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर जीवनराम (Measures to prevent Lumpy disease) ने बताया कि गांव के युवा नीम के पत्तों और फिटकरी का पानी गर्म कर उससे पीड़ित गायों को स्नान करवा रहे हैं. इससे पशु के शरीर की सफाई रहती है. संक्रमण भी नियंत्रित रहता है. इसके अलावा स्वस्थ्य गायों पर इस घोल का छिड़काव करने से संक्रमण की चपेट में नहीं आती हैं. क्योंकि यह संक्रमण मक्खियों और कीड़ों से फैलता है. वहीं पशुपालन विभाग के अतरिक्त निदेशक डॉ एमएम नागौरी का कहना है कि दवाइयां खरीदने को लेकर टेंडर प्रक्रिया चल रही है.

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