ETV Bharat / city

श्लील गाली गायन के अमिताभ बच्चन माइदास थानवी का निधन - माइदास थानवी

जोधपुर में श्लील गाली गायन के पुरोधा माइदास थानवी का सोमवार को 84 साल की उम्र में निधन हो गया. थानवी पिछले 50 सालों से श्लील गायन कर रहे थे. उन्हें मारवाड़ रत्न से भी सम्मानित किया गया था.

maidas thanvi,  maidas thanvi death
माइदास थानवी का निधन
author img

By

Published : Nov 16, 2020, 10:59 PM IST

जोधपुर. होली और शीतलाष्टमी के मौक पर होने वाले श्लील गाली गायन के बेताज बादशाह कहे जाने वाले माइदास थानवी का सोमवार को निधन हो गया. 84 साल के थानवी पिछले 50 सालों से श्लील गायन कर रहे थे. उन्हें मारवाड़ रत्न से भी सम्मानित किया गया था. होली और शीतलाष्टमी पर उनकी गायकी का जादू शहरवासियों को झूमने पर मजबूर कर देता था.

पढ़ें: नहीं रहे कांग्रेस के 'मास्टर'...मेघवाल ने मेदांता में ली अंतिम सांस

माइदास थानवी को श्लील गाली गायन का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था. थानवी के निधन की खबर सुनते ही शहरवासियों ने शोक की लहर दौड़ गई. उनका अंतिम संस्कार चांदपोल स्थित श्मशान घाट परिसर में किया गया. जोधपुर में श्लील गाली गायन का प्रचलन 200 साल पहले तत्कालीन महाराजा मानसिंह के समय हुआ था. खुद महाराजा मानसिंह ने भी कई गालियां व होरिया लिखी थी. जो आज भी गाई जाती हैं.

जोधपुर में श्लील गायन की परंपरा भी उसके बाद से आगे बढ़ी, जिसे माइदास थानवी ने नया रूप दिया. रेलवे कर्मचारी रहे माइदास ने श्लील गाली गायन परम्परा को ऊंचाई के चरम पर पहुंचाया और जोधपुर से इतर राज्य स्तर एक नई पहचान भी दी. थानवी के श्लील गायन का हर साल लोगों को इंतजार रहता था, खासकर होली के दिन वे हिंदी फिल्मी गानों की तर्ज पर हर बार नई श्लील गाली पेश करते थे.

जोधपुर. होली और शीतलाष्टमी के मौक पर होने वाले श्लील गाली गायन के बेताज बादशाह कहे जाने वाले माइदास थानवी का सोमवार को निधन हो गया. 84 साल के थानवी पिछले 50 सालों से श्लील गायन कर रहे थे. उन्हें मारवाड़ रत्न से भी सम्मानित किया गया था. होली और शीतलाष्टमी पर उनकी गायकी का जादू शहरवासियों को झूमने पर मजबूर कर देता था.

पढ़ें: नहीं रहे कांग्रेस के 'मास्टर'...मेघवाल ने मेदांता में ली अंतिम सांस

माइदास थानवी को श्लील गाली गायन का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था. थानवी के निधन की खबर सुनते ही शहरवासियों ने शोक की लहर दौड़ गई. उनका अंतिम संस्कार चांदपोल स्थित श्मशान घाट परिसर में किया गया. जोधपुर में श्लील गाली गायन का प्रचलन 200 साल पहले तत्कालीन महाराजा मानसिंह के समय हुआ था. खुद महाराजा मानसिंह ने भी कई गालियां व होरिया लिखी थी. जो आज भी गाई जाती हैं.

जोधपुर में श्लील गायन की परंपरा भी उसके बाद से आगे बढ़ी, जिसे माइदास थानवी ने नया रूप दिया. रेलवे कर्मचारी रहे माइदास ने श्लील गाली गायन परम्परा को ऊंचाई के चरम पर पहुंचाया और जोधपुर से इतर राज्य स्तर एक नई पहचान भी दी. थानवी के श्लील गायन का हर साल लोगों को इंतजार रहता था, खासकर होली के दिन वे हिंदी फिल्मी गानों की तर्ज पर हर बार नई श्लील गाली पेश करते थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.