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रीट में चीट: 14 लाख में किया सौदा, पकड़ा गया डमी कैंडिटेट, रुपए वापस नहीं दिए, तो मामला करवाया दर्ज - रीट परीक्षा में फर्जीवाड़ा

प्रदेश में गत वर्ष हुई रीट की परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े के मामले पूरे देश में चर्चित हो गए. लेकिन उस परीक्षा में डमी कैंडीडेट के रूप में बैठने वाले ने एक युवक के साथ चीटिंग कर दी. उसने खुद ने परीक्षा नहीं दी और किसी अन्य को भेजा, जो पकड़ा गया. इसके बाद युवक ने 14 लाख के सौदे के बदले एडवांस दिए गए रुपए वापस मांगे, तो उसे मना कर दिया (REET aspirant cheated by dummy candidate) गया. एक साल बाद युवक ने उदयमंदिर थाने में इसे लेकर मामला दर्ज करवाया है.

REET aspirant cheated by dummy candidate in Jodhpur, case filed after one year
रीट में चीट: 14 लाख में किया सौदा, पकड़ा गया डमी कैंडिटेट, रुपए वापस नहीं दिए, तो मामला करवाया दर्ज
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Published : Oct 11, 2022, 9:35 PM IST

जोधपुर. प्रदेश में गत वर्ष हुई रीट की परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े के मामले पूरे देश में चर्चित हो गए. लेकिन उस परीक्षा में डमी कैंडीडेट के रूप में बैठने वाले ने एक युवक के साथ चीटिंग कर दी. उसने खुद ने परीक्षा नहीं दी और किसी अन्य को भेजा, जो पकड़ा गया. इसके बाद युवक ने 14 लाख के सौदे के बदले एडवांस दिए गए रुपए वापस मांगे, तो उसे मना कर दिया (REET aspirant cheated by dummy candidate) गया. एक साल बाद युवक ने उदयमंदिर थाने में इसे लेकर मामला दर्ज करवाया है.

मामले की जांच थाने के सब इंस्पेक्टर देवीसिंह को सौंपी गई है. पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक जिले के फलोदी के भोजासर का छित्तर निवासी विक्रम विश्रोई रीट की तैयारी कर रहा था. उसकी जान पहचान सुनिल विश्रोई से हुई. उसने कहा कि जालौर के मालवाड़ा में स्कूल व्याख्याता रमेशचंद विश्नोई को वह जानता है. वह रीट के पेपर में अभ्यर्थी की जगह जगह खुद या किसी अन्य को बैठाकर परीक्षा दिलवाएगा और सलेक्शन करवा देगा. इसके लिए 14 लाख रुपए देने होंगे. आधी रकम परीक्षा से पहले एवं आधी रकम सेलेक्शन होने के बाद देनी होगी. आधीर रकम का एक खाली चैक भी देना होगा. रमेश ने परिवार में बात कर हामी भर दी.

पढ़ें: 007 गैंग का सरगना राजू मांजू के साथ रीट पेपर लीक प्रकरण का आरोपी विकास मांजू भी गिरफ्तार

व्याख्याता ने फोटो एडिट कर भरा फार्म: सौदा तय होने के बाद जनवरी 2021 में रीट का फार्म भरने के लिए शैक्षणिक दस्तावेजों की प्रतियां एवं पासपोर्ट साइज का फोटो सुनील को दिए. जोधपुर कोर्ट परिसर में स्थित कैंटिन में रमेशचन्द ने ही विक्रम व स्वयं की फोटो को फैबरीकेट कर फार्म भरा. रमेशचंद ने उस पर विक्रम के हस्ताक्षर किए. रमेशचन्द ने उस समय ही आधी रकम में से 1 लाख रुपए नकद लिए. सितम्बर में परीक्षा से पहले शेष रुपए मांगे, तो विक्रम ने सुनील मार्फत रमेशचन्द को साढ़े पांच लाख रुपए नकद व 1 लाख रुपए का चैक भी कचहरी की लोढ़ा कैंटीन में दिया. इसके अलावा 80 हजार रुपए मोबाइल पेमेंट ऐप से माध्यम से दिए.

पढ़ें: पहले चप्पल से नकल मामले में और अब पटवारी भर्ती परीक्षा में गिरफ्तार हुआ युवक

जिसको भेजा परीक्षा देने वह पकड़ा गया: फार्म भरते समय रमेश ने कहा था कि वह परीक्षा देने सीधे हनुमानगढ़ जिले के रामगढ़ स्थित परीक्षा केंद्र पर पहुंच जाएगा. परीक्षा के दिन विक्रम ने रमेशचन्द में मोबाइल से सम्पर्क किया, तो रमेशचन्द ने आश्वस्त किया कि वह परीक्षा दे देगा. खुद विक्रम भी वहीं था. लेकिन रमेश ने अपनी जगह पर जालौर के रहने वाले मनोज पुत्र जगमालराम को बैठाया. परीक्षकों को मनोज पर संदेह होते ही पकड़ लिया गया. केन्द्राधीक्षक की रिपोर्ट पर गोगामेडी थाना पुलिस ने मनोज उसके पिता जगमालराम व विक्रम को पकड़ लिया. मामला दर्ज हो गया.

पढ़ें: Reet Aspirant Money Stolen: रीट परीक्षा देने आए युवक के दस्तावेजों की चोरी, बाद में बदमाशों ने उड़ाए रुपए 6 लाख

रुपए देने का वादा किया तो नाम नहीं लिया: गिरफ्तार होने पर मनोज के पिता ने विक्रम से कहा कि रमेशचंद उसकी पत्नी का भाई है. उसका नाम पुलिस के सामने मत लेना. जो रकम दी, वह जेल से आते ही लौटा दूंगा. जिसके चलते विक्रम ने पुलिस को रमेश के बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन जमानत मिलने के बाद जब जगमालराम और रमेशचंद से राशि मांगी तो टालमटोल करने लगे. राशि देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया की रुपए मुकदमे में खर्च हो रहे हैं. कोई रुपए नहीं मिलेंगे.

जोधपुर. प्रदेश में गत वर्ष हुई रीट की परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े के मामले पूरे देश में चर्चित हो गए. लेकिन उस परीक्षा में डमी कैंडीडेट के रूप में बैठने वाले ने एक युवक के साथ चीटिंग कर दी. उसने खुद ने परीक्षा नहीं दी और किसी अन्य को भेजा, जो पकड़ा गया. इसके बाद युवक ने 14 लाख के सौदे के बदले एडवांस दिए गए रुपए वापस मांगे, तो उसे मना कर दिया (REET aspirant cheated by dummy candidate) गया. एक साल बाद युवक ने उदयमंदिर थाने में इसे लेकर मामला दर्ज करवाया है.

मामले की जांच थाने के सब इंस्पेक्टर देवीसिंह को सौंपी गई है. पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक जिले के फलोदी के भोजासर का छित्तर निवासी विक्रम विश्रोई रीट की तैयारी कर रहा था. उसकी जान पहचान सुनिल विश्रोई से हुई. उसने कहा कि जालौर के मालवाड़ा में स्कूल व्याख्याता रमेशचंद विश्नोई को वह जानता है. वह रीट के पेपर में अभ्यर्थी की जगह जगह खुद या किसी अन्य को बैठाकर परीक्षा दिलवाएगा और सलेक्शन करवा देगा. इसके लिए 14 लाख रुपए देने होंगे. आधी रकम परीक्षा से पहले एवं आधी रकम सेलेक्शन होने के बाद देनी होगी. आधीर रकम का एक खाली चैक भी देना होगा. रमेश ने परिवार में बात कर हामी भर दी.

पढ़ें: 007 गैंग का सरगना राजू मांजू के साथ रीट पेपर लीक प्रकरण का आरोपी विकास मांजू भी गिरफ्तार

व्याख्याता ने फोटो एडिट कर भरा फार्म: सौदा तय होने के बाद जनवरी 2021 में रीट का फार्म भरने के लिए शैक्षणिक दस्तावेजों की प्रतियां एवं पासपोर्ट साइज का फोटो सुनील को दिए. जोधपुर कोर्ट परिसर में स्थित कैंटिन में रमेशचन्द ने ही विक्रम व स्वयं की फोटो को फैबरीकेट कर फार्म भरा. रमेशचंद ने उस पर विक्रम के हस्ताक्षर किए. रमेशचन्द ने उस समय ही आधी रकम में से 1 लाख रुपए नकद लिए. सितम्बर में परीक्षा से पहले शेष रुपए मांगे, तो विक्रम ने सुनील मार्फत रमेशचन्द को साढ़े पांच लाख रुपए नकद व 1 लाख रुपए का चैक भी कचहरी की लोढ़ा कैंटीन में दिया. इसके अलावा 80 हजार रुपए मोबाइल पेमेंट ऐप से माध्यम से दिए.

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जिसको भेजा परीक्षा देने वह पकड़ा गया: फार्म भरते समय रमेश ने कहा था कि वह परीक्षा देने सीधे हनुमानगढ़ जिले के रामगढ़ स्थित परीक्षा केंद्र पर पहुंच जाएगा. परीक्षा के दिन विक्रम ने रमेशचन्द में मोबाइल से सम्पर्क किया, तो रमेशचन्द ने आश्वस्त किया कि वह परीक्षा दे देगा. खुद विक्रम भी वहीं था. लेकिन रमेश ने अपनी जगह पर जालौर के रहने वाले मनोज पुत्र जगमालराम को बैठाया. परीक्षकों को मनोज पर संदेह होते ही पकड़ लिया गया. केन्द्राधीक्षक की रिपोर्ट पर गोगामेडी थाना पुलिस ने मनोज उसके पिता जगमालराम व विक्रम को पकड़ लिया. मामला दर्ज हो गया.

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रुपए देने का वादा किया तो नाम नहीं लिया: गिरफ्तार होने पर मनोज के पिता ने विक्रम से कहा कि रमेशचंद उसकी पत्नी का भाई है. उसका नाम पुलिस के सामने मत लेना. जो रकम दी, वह जेल से आते ही लौटा दूंगा. जिसके चलते विक्रम ने पुलिस को रमेश के बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन जमानत मिलने के बाद जब जगमालराम और रमेशचंद से राशि मांगी तो टालमटोल करने लगे. राशि देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया की रुपए मुकदमे में खर्च हो रहे हैं. कोई रुपए नहीं मिलेंगे.

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