जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने गृह विभाग की ओर से दायर विशेष अपील को विचारार्थ स्वीकार करते हुए एकलपीठ की ओर से पारित आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए प्रतिपूर्ति राशि देने पर रोक लगा दी है. वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने गृह विभाग की ओर से पेश विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए प्रतिवादी गोरखाराम को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है.
गृह विभाग की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने न्यायालय को बताया कि प्रतिवादी गोरखाराम ने पुलिस कांस्टेबल पद पर भर्ती हुआ था और उसने प्रशिक्षण प्राप्त किया, लेकिन इसी बीच उसने शिक्षक भर्ती तृतीय श्रेणी में सलेक्शन होने पर पुलिस विभाग से त्याग पत्र दे दिया. ऐसे में गृह विभाग ने प्रशिक्षण काल और वेतन भत्ते के रूप में दिये गये 1,24,564 रुपये वसूली करने के लिए विभाग ने कार्यवाही की थी.
प्रतिवादी ने राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ में गृह विभाग के आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने जयपुर पीठ से पारित निर्णय से कवर्ड करते हुए गोरखाराम के पक्ष में 08 सितम्बर 2020 फैसला दिया, जिसमें वसूले गये 1,24,564 रुपये मय 6 प्रतिशत ब्याज के लौटाने के आदेश दिये थे. जिसके खिलाफ गृह विभाग ने विशेष अपील पेश की.
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एएजी व्यास ने खंडपीठ के समक्ष बताया कि 30 दिसम्बर 2008 में राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें नियुक्ति के दो वर्ष के अन्दर किसी ने त्याग पत्र दिया है तो उससे प्रशिक्षण व्यय और दिये गये भत्ते वसूले जायेंगे और राजकोष में राशि जमा की जायेगी.
गृह विभाग ने उसी नोटिफिकेशन के तहत प्रतिवादी से राशि वसूल की है. इसके अलावा राज्य सेवा नियम 1951 में ऐसा प्रावधान किया गया है. प्रतिवादी ने नियुक्ति से पहले एक बांड भी भरा था जिसमें विधि के नियम की पालना के लिए कहा गया है. राज्य सरकार के पक्ष को सुनने के बाद खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से राशि वापस लौटाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.