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राजस्थान महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति दो माह में की जाए: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों के रिक्त पद दो माह में भरने के निर्देश दिए हैं. खाली पदों को भरने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए गए हैं.

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महिला आयोग में रिक्त पद भरने का आदेश
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Published : Sep 28, 2021, 9:04 PM IST

जोधपुर. राजस्थान महिला आयोग में गत दो वर्ष से अध्यक्ष और सदस्यों के खाली पदों को भरने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने दो माह में इन पदों पर नियुक्तियां करने के आदेश दिए हैं. जोधपुर निवासी ईश्वर प्रसाद और विधि विद्यार्थियों की भागीदारी वाले स्वयंसेवी संस्थान उत्थान की ओर से इस बारे में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई थी.

जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की खण्डपीठ में मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल कुमार गौड़ और उनके सहयोगी अनुपम गोपाल व्यास ने इसी मुद्दे पर जयपुर पीठ में याचिका लम्बित होने का तथ्य पेश किया, लेकिन खण्डपीठ ने कहा कि महिला आयोग का काम ठप नहीं किया जा सकता. इस पर एएजी गौड़ ने दो माह की अवधि में नियुक्तियां करने के लिए कोर्ट को आश्वस्त किया. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने यथाशीघ्र अधिकतम दो माह में महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों के पद पर नियुक्तियां करने के निर्देश देते हुए याचिकाओं का निस्तारण किया.

पढ़ें. राजस्थान हाईकोर्ट: बार और बेंच की तकरार से आम आदमी के मुकदमों की सुनवाई प्रभावित

याचिकाकर्ता उत्थान संस्थान के अध्यक्ष सरवर खान का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता रजाक के. हैदर ने कोर्ट को बताया कि राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1999 के तहत गठित राजस्थान राज्य महिला आयोग में धारा 3(2) की अनुपालना में एक अध्यक्ष और सदस्य सचिव सहित चार से अनधिक सदस्य होते हैं, लेकिन आयोग में अध्यक्ष का कार्यकाल 2018 में समाप्त होने के बाद से नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है.

2019 में तीन सदस्यों के कार्यकाल भी समाप्त हो गए हैं. तब से अध्यक्ष और तीनों सदस्यों के पद रिक्त ही चल रहे हैं, जिससे आयोग का कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. जबकि वर्तमान में 5427 प्रकरण लम्बित हैं. महिला सम्बन्धी अपराधों में लगातार वृद्धि होने और राज्य महिला आयोग में महिलाओं की सुनवाई की व्यवस्था अस्थाई रूप से समाप्त होने से पीडि़त महिलाएं न्याय से वंचित हो रही हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी राज्य सरकार को राज्य महिला आयोग के रिक्त पद भरने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन सरकार महिला आयोग की लगातार उपेक्षा कर रही है.

जोधपुर. राजस्थान महिला आयोग में गत दो वर्ष से अध्यक्ष और सदस्यों के खाली पदों को भरने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने दो माह में इन पदों पर नियुक्तियां करने के आदेश दिए हैं. जोधपुर निवासी ईश्वर प्रसाद और विधि विद्यार्थियों की भागीदारी वाले स्वयंसेवी संस्थान उत्थान की ओर से इस बारे में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई थी.

जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की खण्डपीठ में मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल कुमार गौड़ और उनके सहयोगी अनुपम गोपाल व्यास ने इसी मुद्दे पर जयपुर पीठ में याचिका लम्बित होने का तथ्य पेश किया, लेकिन खण्डपीठ ने कहा कि महिला आयोग का काम ठप नहीं किया जा सकता. इस पर एएजी गौड़ ने दो माह की अवधि में नियुक्तियां करने के लिए कोर्ट को आश्वस्त किया. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने यथाशीघ्र अधिकतम दो माह में महिला आयोग में चेयरमैन और सदस्यों के पद पर नियुक्तियां करने के निर्देश देते हुए याचिकाओं का निस्तारण किया.

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याचिकाकर्ता उत्थान संस्थान के अध्यक्ष सरवर खान का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता रजाक के. हैदर ने कोर्ट को बताया कि राजस्थान राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1999 के तहत गठित राजस्थान राज्य महिला आयोग में धारा 3(2) की अनुपालना में एक अध्यक्ष और सदस्य सचिव सहित चार से अनधिक सदस्य होते हैं, लेकिन आयोग में अध्यक्ष का कार्यकाल 2018 में समाप्त होने के बाद से नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है.

2019 में तीन सदस्यों के कार्यकाल भी समाप्त हो गए हैं. तब से अध्यक्ष और तीनों सदस्यों के पद रिक्त ही चल रहे हैं, जिससे आयोग का कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. जबकि वर्तमान में 5427 प्रकरण लम्बित हैं. महिला सम्बन्धी अपराधों में लगातार वृद्धि होने और राज्य महिला आयोग में महिलाओं की सुनवाई की व्यवस्था अस्थाई रूप से समाप्त होने से पीडि़त महिलाएं न्याय से वंचित हो रही हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी राज्य सरकार को राज्य महिला आयोग के रिक्त पद भरने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन सरकार महिला आयोग की लगातार उपेक्षा कर रही है.

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