जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता ने याचिकाकर्ता डॉक्टर मोहम्मद यासर की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए जवाब-तलब किया है. अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए कहा कि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय जयपुर ने चिकित्सा अधिकारी के कुल 737 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति निकाली थी. जिसकी परीक्षा का परिणाम 28 जनवरी 2020 को निकाला गया तथा प्रत्येक वर्ग के अंतिम कट ऑफ जारी कर उन्हें दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया.
याची को 57 अंक प्राप्त हुए तथा ओबीसी वर्ग के 57 अंक तक के अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया. लेकिन याची को ओबीसी वर्ग से होने और 57 अंक हासिल करने के बावजूद उसे नहीं बुलाया गया. निदेशक जन स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग ने 25 मार्च 2020 को कुल 735 पदों पर चिकित्सा अधिकारी नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए. लेकिन करीब 300 अभ्यर्थियों ने ज्वॉइन नहीं किया.
अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने कोरोना माहमारी को देखते हुए खाली पदों पर आरक्षित सूची से नियुक्ति देने के लिहाज से आरक्षित सूची में से वर्गवार अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन काउंसलिंग के लिए 15 मई 2020 तक बुलाया. लेकिन ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं बुलाए जाने पर याचिका पेश की गई है.
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अधिवक्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय ने मनमर्जी से अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया है. याची का नाम ओबीसी आरक्षित सूची में नम्बर 1 पर है. बावजूद इसके उसे नियुक्ति से वंचित किया जा रहा है. वर्तमान में कोरोना काल में चिकित्सा विभाग एक तरफ चिकित्सकों की कमी से संघर्ष कर रहा है तो दूसरी ओर युवा चिकित्सकों को मैरिट में होने के बावजूद नियुक्त नहीं किया जा रहा है जो गलत और अवैध है. जस्टिस मेहता ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है. वहीं याचिका पर अगली सुनवाई 28 मई को नियत की गई है.