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कोविड-19 महामारी में प्लाज्मा थेरेपी के सरकारी प्रयासों को ओर बेहतर बनाने के लिए जनहित याचिका...

प्रदेश में कोविड-19 महामारी पर प्रभावी कदम उठाने एवं प्लाज्मा थेरेपी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कर संक्रमितों को बचाने के लिए के लिए जनहित में राजस्थान हाईकोर्ट में पेश जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है.

plasma therapy,  pil in rajasthan highcourt
प्लाज्मा थेरेपी को ओर अधिक प्रभावी रूप से लागू करवाने के लिए जनहित याचिका दायर
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Published : Dec 9, 2020, 10:34 PM IST

जोधपुर. प्रदेश में कोविड-19 महामारी पर प्रभावी कदम उठाने एवं प्लाज्मा थेरेपी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कर संक्रमितों को बचाने के लिए के लिए जनहित में राजस्थान हाईकोर्ट में पेश जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता लेखराज व शिखा पारख की ओर से पेश जनहित याचिका पर अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा को नोटिस जारी किया है.

पढे़ं: कांग्रेस MLA ने अपनी ही पार्टी पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- विधायकों की नहीं हो रही सुनवाई

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शरद कोठारी ने याचिका पेश कर बताया कि राजस्थान में कोविड-19 के संक्रमित रोगियों के लिए प्लाज्मा थेरेपी जीवन रक्षक साबित हो रही है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से प्लाज्मा चिकित्सा को लेकर प्रभावी उपयोग के बारे में कुशलता से प्रचारित नहीं किया जा रहा है. याचिकाकर्ता स्वयं कोविड-19 से पीड़ित था, उनकी पुत्री शिखा पारख को उस दौरान काफी संघर्ष करना पड़ा. यदि राज्य सरकार के पास प्लाज्मा थेरेपी को लेकर पूरा डाटाबेस होता तो उनको संघर्ष नहीं करना पड़ता. हालांकि उनको प्लाज्मा थेरेपी दी गई जिसके चलते वह उनके लिए जीवन रक्षक साबित हुई.

याचिकाकर्ता ने जनहित में उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि राजस्थान सरकार को और अधिक प्रभावी ढंग से प्लाज्मा को शामिल करने का निर्देश दिए जाएं. याचिका में प्लाज्मा थेरेपी को ओर अधिक प्रभावी रूप से लागू करने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देने की मांग की गई है.

  • राजस्थान में कोविड-19 के लिए मानक उपचार में प्लाज्मा थेरेपी को शामिल करना
  • राज्य भर में प्लाज्मा बैंकों की स्थापना
  • राज्य में प्लाज्मा डोनर के डेटाबेस को बनाए रखने और चैनलाइज करना
  • दानदाताओं को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रोहत्साहन करना
  • विभिन्न टेलीविजन, प्रिंट और डिजिटल मीडिया का उपयोग कर नागरिकों को प्लाज्मा थेरेपी को लेकर जागरूक करना

याचिकाकर्ता ने बताया कि समाचार पत्रों द्वारा ही लोगों को जागरूक करने का प्रयास हो रहा है, लेकिन इस दिशा में जितने सरकारी प्रयास होने चाहिए उतने नहीं हो रहे हैं. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में नोटिस जारी किया है.

जोधपुर. प्रदेश में कोविड-19 महामारी पर प्रभावी कदम उठाने एवं प्लाज्मा थेरेपी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कर संक्रमितों को बचाने के लिए के लिए जनहित में राजस्थान हाईकोर्ट में पेश जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता लेखराज व शिखा पारख की ओर से पेश जनहित याचिका पर अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा को नोटिस जारी किया है.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शरद कोठारी ने याचिका पेश कर बताया कि राजस्थान में कोविड-19 के संक्रमित रोगियों के लिए प्लाज्मा थेरेपी जीवन रक्षक साबित हो रही है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से प्लाज्मा चिकित्सा को लेकर प्रभावी उपयोग के बारे में कुशलता से प्रचारित नहीं किया जा रहा है. याचिकाकर्ता स्वयं कोविड-19 से पीड़ित था, उनकी पुत्री शिखा पारख को उस दौरान काफी संघर्ष करना पड़ा. यदि राज्य सरकार के पास प्लाज्मा थेरेपी को लेकर पूरा डाटाबेस होता तो उनको संघर्ष नहीं करना पड़ता. हालांकि उनको प्लाज्मा थेरेपी दी गई जिसके चलते वह उनके लिए जीवन रक्षक साबित हुई.

याचिकाकर्ता ने जनहित में उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि राजस्थान सरकार को और अधिक प्रभावी ढंग से प्लाज्मा को शामिल करने का निर्देश दिए जाएं. याचिका में प्लाज्मा थेरेपी को ओर अधिक प्रभावी रूप से लागू करने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देने की मांग की गई है.

  • राजस्थान में कोविड-19 के लिए मानक उपचार में प्लाज्मा थेरेपी को शामिल करना
  • राज्य भर में प्लाज्मा बैंकों की स्थापना
  • राज्य में प्लाज्मा डोनर के डेटाबेस को बनाए रखने और चैनलाइज करना
  • दानदाताओं को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रोहत्साहन करना
  • विभिन्न टेलीविजन, प्रिंट और डिजिटल मीडिया का उपयोग कर नागरिकों को प्लाज्मा थेरेपी को लेकर जागरूक करना

याचिकाकर्ता ने बताया कि समाचार पत्रों द्वारा ही लोगों को जागरूक करने का प्रयास हो रहा है, लेकिन इस दिशा में जितने सरकारी प्रयास होने चाहिए उतने नहीं हो रहे हैं. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में नोटिस जारी किया है.

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