जैसलमेर. फलौदी उप कारागृह तोड़कर भागे 16 कैदियों के मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. जैसलमेर में पुलिस की स्पेशल टीम ने फरार चल रहे मुख्य कैदी शौकत अली को पकड़ लिया है. वहीं अब तक कुल 3 फरार बंदी इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं. जबकि साजिश में शामिल दो अन्य लोग भी गिरफ्त में आए हैं.
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खास बात यह है कि इस घटनाक्रम के मुख्य आरोपी शौकत को पुलिस ने जैसलमेर के मोहनगढ़ से गिरफ्तार किया है. जैसलमेर पुलिस की स्पेशल टीम इस प्रकरण को लेकर बनाई गई टीमों के संयुक्त प्रयास से शौकत को पकड़ा गया है. बताया जा रहा है कि शौकत पाकिस्तान भागने की फिराक में था. इससे पहले भी वह दो बार पाकिस्तान भागने की कोशिश कर चुका है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार फ़रार कैदी शौकत अली आईपीसी की धारा 302 के तहत फलौदी जेल में सजा काट रहा था. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मंडाउ क्षेत्र से आरोपी शौकत खान के साथ-साथ उसे शरण देने वाले स्थानीय अमरे खान को भी गिरफ्तार किया है. इससे पहले मुख्य आरोपी मनीष विश्नोई निवासी मदासर नोख थाना जैसलमेर को बीकानेर के बज्जू इलाके में गाड़ी के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है.
जोधपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक अनिल कयाल ने जानकारी देते हुए बताया कि 16 फरार कैदियों में एक और आरोपी राजकुमार को जोधपुर जिले के जांबा गांव से गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि जैसलमेर पुलिस की गिरफ्त में आए शौकत को पूछताछ के बाद जल्दी जोधपुर लाया जाएगा. जहां अलग-अलग एजेंसी उससे पूछताछ करेगी.
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अभी इस प्रकरण में 13 और बंदी फरार हैं. पकड़े गए दोनों आरोपियों की पूछताछ से पुलिस को और सुराग मिल सकते हैं. हालांकि पुलिस की टीमें लगातार जोधपुर के ग्रामीण बीकानेर व जैसलमेर क्षेत्र के इलाकों में दबिश दे रही हैं.
जानें क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि फलौदी में 5 अप्रैल को 16 बंदी जेल तोड़कर लेडी कांस्टेबल की आंखों में मिर्ची झोंककर भाग गए थे. इस मामले में पुलिस की काफी किरकिरी भी हुई थी. आनन-फानन में इस मामले को लेकर 5 पुलिसकर्मियों पर भी गाज गिरी. पुलिस के आला अधिकारियों ने मौका मुआयना कर टीम का गठन किया. जिसके बाद पुलिस ने पहला बंदी बीकानेर क्षेत्र में मोहन राम को गिरफ्तार किया. इसके अलावा पुलिस अब तक बंदियों को फलोदी से ले जाने वाले वाहन चालक मनीष व इनको सिम उपलब्ध करवाने वाले शाहरुख को गिरफ्तार कर चुकी है.
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9 तस्कर, 4 हत्या के आरोपी
फलोदी जेल से भागने वाले 16 अपराधी भी ज्यादातर NDPS एक्ट और हत्या के आरोप में विचाराधीन चल रहे थे. इनमे 9 तस्करी के आरोपी, 4 पर हत्या का आरोप है. इसमें कुछ जानलेवा हमले के आरोपी हैं. 13 जने गंभीर अपराध की श्रेणी के हैं. जिनकी सजा कम से कम 10 साल की होती है. सभी बंदी लंबे समय से विचाराधीन चल रहे थे. अभी तक की जांच में जेल कर्मियों की लापरवाही सामने आई है. जिसका फायदा अपराधियों ने उठाया और जेल की सुरक्षा तोड़ कर भाग गए.