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जीव-जंतुओं की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए पाली सांसद ने केन्द्रीय वन मंत्री व राज्य वन मंत्री को लिखा पत्र - union forest minister

घटते जंगलों का बड़ा कारण भू-माफिया द्वारा अतिक्रमण, पर्यावरण बचाने के लिए बने कड़े और सख्त कानून हैं. पाली सांसद व पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने केन्द्रीय वन मंत्री एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री व वन मंत्री को पत्र लिखकर पर्यावरण संरक्षण कानून को और सख्त करने की मांग की है.

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केन्द्रीय वन मंत्री व राज्य वन मंत्री को लिखा पत्र
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Published : Jul 4, 2020, 1:36 AM IST

बिलाड़ा (जोधपुर). 'छः दस हौवे छालियां, एक भलेरौ ऊॅट, खेज़ड़ होवै खेत माँय, तौ काल काढ़ द्यू कूट' मारवाड़ी में इन पंक्तियां का भावार्थ है कि अगर पर्यावरण और पेड़-पौधे सुरक्षित रहेंगे तो बड़े से बड़ा अकाल व विपदा का सामना इंसान आसानी से कर सकता है. जीव-जंतुओं की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए पाली सांसद पीपी चौधरी ने विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए केन्द्रीय वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और वन मंत्री सुखराम विश्नोई को एक पत्र लिखकर पर्यावरण संरक्षण कानून को और सख्त करने की जरूरत बताई है.

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जीव-जंतुओं की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण

पत्र में सांसद ने बताया कि घटते जंगलों का सबसे बड़ा कारण भू-माफिया द्वारा किया जा रहा अतिक्रमण है. लोग जंगलों के किनारे खेती करते हुए आगे बढ़ना शुरू कर देते हैं और आगे बढ़ते चले जाने के बाद राजस्व संस्थाए उनकी भूमि का रजिस्ट्रेशन कर लेती हैं. ऐसे में जंगल छोटे होकर सिमटते जा रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि वह साधारण अतिक्रमण और जंगल की जमीन पर किए जा रहे अतिक्रमण के लिए अलग-अलग कानून बनाए, जिसमें सख्त सजा के प्रावधान वाले कानून हों. जिससे जंगलों को बचाया जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः पाली में कोरोना के 21 नए पॉजिटिव मामले, संक्रमितों की संख्या हुई 1146

वन्य जीव-जंतुओं की बढ़ते शिकार मामलों पर सांसद ने लिखा कि पूरे देश भर में राजस्थान शिकार की क्रुर घटनाओं में दूसरा स्थान रखता है. राजस्थान में शिकार की घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिसका एक मात्र कारण शिकारियों की स्थानीय प्रशासन के साथ मिलीभगत से उनके हौसले बुलन्द होते हैं. कई बार पर्यावरण प्रेमियों द्वारा शिकारियों को रोकने का प्रयास किया जाता है, तो उन पर हमला किया जाता है या उन पर फर्जी मुकदमों में फसाने का प्रयास प्रशासन के सहयोग से किया जाता है. ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं. शिकारियों को शिकार और हथियार के साथ पकड़े भी जाते हैं. मौके पर शिकार हुए वन्य जीव का पोस्टमार्टम भी होता है. लेकिन शिकारी कानून में कमी का फायदा उठाकर खुले में घुमते रहते हैं.

यह भी पढ़ेंः मानसून से पहले पाली में सीवरेज की सफाई का काम युद्ध स्तर पर जारी

शिकारी गिरोह के सरगना अपने साथ एससी/एसटी के अनपढ़ लोगों को बहला-फुसला कर अपने साथ रखते हैं. ताकि इनके द्वारा दलित विरोधी कानूनों का इस्तेमाल कर शिकायतकर्ता पर अनुचित दबाव बनाया जा सके. इससे पर्यावरण प्रेमियों का मनोबल भी टूटता दिख रहा है. ऐसे में शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग को सख्ती से काम लेना होगा. वन विभाग को शिकार संभावित क्षेत्रों में अपने रेंजों का विस्तार कर पाली के रोहट, बिलाड़ा, भोपालगढ़ और ओसियां क्षेत्र में वन विभाग की रेंज खोली जाए.

सांसद ने पत्र में आगे लिखा कि घटती पेड़ों की संख्या भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की चिंता का कारण है. पेड़ों की गिनती का महत्व राजस्थान से अधिक कोई नहीं समझ सकता. क्योंकि राजस्थान के विश्नोई समाज की अमृता देवी और उसके साथियों ने खेजड़ी के लिए अपने सिर तक कटवा दिए थे. इसी कारण राजस्थान को पौधारोपण में देश और दुनिया का पथ प्रदर्शन करना चाहिए.

उन्होंने पौधरोपण के लिए मनरेगा योजना के माध्यम से गौचर भूमि और सड़के के किनारे पौधारोपण के कार्य को मंजूरी दिए जाने की भी बात कही. पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को निशुल्क व किफायती पौधे उपलब्ध करवाने इसके अलावा पत्र में पुराने कानूनों में संशोधन, औरण भूमि को चारागाह में बदलने, वन्य क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा, अवैध खनन, पशु चिकित्सा, पर्यावरण प्रेमियों की महत्वता/सम्मान आदि विभिन्न समस्याओं को निस्तारण का सुझाव केन्द्र और राजस्थान सरकार को भेजा है.

बिलाड़ा (जोधपुर). 'छः दस हौवे छालियां, एक भलेरौ ऊॅट, खेज़ड़ होवै खेत माँय, तौ काल काढ़ द्यू कूट' मारवाड़ी में इन पंक्तियां का भावार्थ है कि अगर पर्यावरण और पेड़-पौधे सुरक्षित रहेंगे तो बड़े से बड़ा अकाल व विपदा का सामना इंसान आसानी से कर सकता है. जीव-जंतुओं की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए पाली सांसद पीपी चौधरी ने विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए केन्द्रीय वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और वन मंत्री सुखराम विश्नोई को एक पत्र लिखकर पर्यावरण संरक्षण कानून को और सख्त करने की जरूरत बताई है.

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जीव-जंतुओं की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण

पत्र में सांसद ने बताया कि घटते जंगलों का सबसे बड़ा कारण भू-माफिया द्वारा किया जा रहा अतिक्रमण है. लोग जंगलों के किनारे खेती करते हुए आगे बढ़ना शुरू कर देते हैं और आगे बढ़ते चले जाने के बाद राजस्व संस्थाए उनकी भूमि का रजिस्ट्रेशन कर लेती हैं. ऐसे में जंगल छोटे होकर सिमटते जा रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि वह साधारण अतिक्रमण और जंगल की जमीन पर किए जा रहे अतिक्रमण के लिए अलग-अलग कानून बनाए, जिसमें सख्त सजा के प्रावधान वाले कानून हों. जिससे जंगलों को बचाया जा सकता है.

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वन्य जीव-जंतुओं की बढ़ते शिकार मामलों पर सांसद ने लिखा कि पूरे देश भर में राजस्थान शिकार की क्रुर घटनाओं में दूसरा स्थान रखता है. राजस्थान में शिकार की घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिसका एक मात्र कारण शिकारियों की स्थानीय प्रशासन के साथ मिलीभगत से उनके हौसले बुलन्द होते हैं. कई बार पर्यावरण प्रेमियों द्वारा शिकारियों को रोकने का प्रयास किया जाता है, तो उन पर हमला किया जाता है या उन पर फर्जी मुकदमों में फसाने का प्रयास प्रशासन के सहयोग से किया जाता है. ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं. शिकारियों को शिकार और हथियार के साथ पकड़े भी जाते हैं. मौके पर शिकार हुए वन्य जीव का पोस्टमार्टम भी होता है. लेकिन शिकारी कानून में कमी का फायदा उठाकर खुले में घुमते रहते हैं.

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शिकारी गिरोह के सरगना अपने साथ एससी/एसटी के अनपढ़ लोगों को बहला-फुसला कर अपने साथ रखते हैं. ताकि इनके द्वारा दलित विरोधी कानूनों का इस्तेमाल कर शिकायतकर्ता पर अनुचित दबाव बनाया जा सके. इससे पर्यावरण प्रेमियों का मनोबल भी टूटता दिख रहा है. ऐसे में शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग को सख्ती से काम लेना होगा. वन विभाग को शिकार संभावित क्षेत्रों में अपने रेंजों का विस्तार कर पाली के रोहट, बिलाड़ा, भोपालगढ़ और ओसियां क्षेत्र में वन विभाग की रेंज खोली जाए.

सांसद ने पत्र में आगे लिखा कि घटती पेड़ों की संख्या भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की चिंता का कारण है. पेड़ों की गिनती का महत्व राजस्थान से अधिक कोई नहीं समझ सकता. क्योंकि राजस्थान के विश्नोई समाज की अमृता देवी और उसके साथियों ने खेजड़ी के लिए अपने सिर तक कटवा दिए थे. इसी कारण राजस्थान को पौधारोपण में देश और दुनिया का पथ प्रदर्शन करना चाहिए.

उन्होंने पौधरोपण के लिए मनरेगा योजना के माध्यम से गौचर भूमि और सड़के के किनारे पौधारोपण के कार्य को मंजूरी दिए जाने की भी बात कही. पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को निशुल्क व किफायती पौधे उपलब्ध करवाने इसके अलावा पत्र में पुराने कानूनों में संशोधन, औरण भूमि को चारागाह में बदलने, वन्य क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा, अवैध खनन, पशु चिकित्सा, पर्यावरण प्रेमियों की महत्वता/सम्मान आदि विभिन्न समस्याओं को निस्तारण का सुझाव केन्द्र और राजस्थान सरकार को भेजा है.

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