जोधपुर. ससुराल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई बेटी की दहेज के लिए हत्या के बाद उसके माता-पिता ने अपनी दोहिती और दोहिते की जान को खतरा बताते हुए उनकी कस्टडी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खण्डपीठ ने याचिका पर राज्य सरकार और अन्य प्रार्थीगण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
नागौर जिले की डीडवाना तहसील के सरदारपुरा कलां गांव निवासी शबीना बानो की गत वर्ष 16 मई को ससुराल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. मृतका के भाई गुलाब नबी खान ने एफआईआर दर्ज करवाते हुए अपनी बहन के पति वसीम खां, सास सईदन बानो, ससुर मुस्ताक खां, शोएब खां, ननद गुलशन और आबिदा के खिलाफ दहेज हत्या और दहेज के लिए प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था.
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पुलिस ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304-बी और 498-ए के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान के बाद जुर्म प्रमाणित माना की विवाहिता की गला दबाकर हत्या की गई है. इस आरोप में मृतका का पति वसीम खां आज भी जेल में है. मृतका के बच्चे छह वर्षीय आयशा और तीन वर्षीय तैमूर अभी भी पिता के घर में है. बच्चों के नाना रहमान खान और नानी नसीबन बानो की ओर से अधिवक्ता रजाक के. हैदर, सरवर खान व पंकज एस. चौधरी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए कहा कि उनकी दोहिती और दोहिते की जान को खतरा है. जिस घर में ससुराल वालों ने मिलकर अपनी बहु की हत्या कर दी, वहां पर उनके बच्चों का जीवन सुरक्षित नहीं है.
याचिका में कहा गया कि मासूम बच्चे गहरी मानसिक और शारीरिक यातना भुगत रहे हैं. मासूम बच्चों को इस घुटन से बाहर निकालने तथा बेहतर परवरिश और उज्ज्वल भविष्य के लिए उनकी कस्टडी नाना-नानी को दिया जाना न्यायसंगत होगा. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने नोटिस जारी करने और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली को उपस्थिति देने के निर्देश दिए.
स्व प्रेरणा से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई
राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ में राज्य के प्रत्येक जिले में किशोर न्याय बोर्ड गठन और अन्य मामलों को लेकर स्व प्रेरणा से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड़ और अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली पूर्व में सभी रिकार्ड पेश कर दिया. जिस उच्च न्यायालय ने अब तक के सम्पूर्ण रिकार्ड को पेश करने के निर्देश दिए हैं.
वहीं जो भी पालना हो चुकी है उसका रिकार्ड भी पेश करने के निर्देश दिए हैं. न्यायमित्र अनिरूद्ध पुरोहित ने अपना पक्ष रखा. उच्च न्यायालय ने उदयपुर कलेक्टर की तरफ से डीएमएफडी फंड के अच्छे से उपयोग होने पर अतिरिक्त महाधिवक्ता को कहा कि उन्होने कैसे उपयोग किया है उसी तरह प्रयास करें कि पूरे राजस्थान में उस फंड का उपयोग हो. उच्च न्यायालय में इन मामलों के लिए सहयोग के लिए नियुक्त अधिकारी को लेकर कहा कि उच्च स्तरीय अधिकारी की नियुक्ति की जाए, जिससे की उच्च न्यायालय में सही जानकारी पेश हो सके. अब इस मामले में अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी.