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बिना जमीन की मशरूम की खेती कर जुगल ने किया नवाचार, अब हर माह हो रही 15 हजार की इनकम - मशरूम की खेती कर जुगल का नवाचार

मशरूम की खेती वह भी बिना किसी जमीन के. कहने में यह अचरज की बात है, लेकिन यह सच है. जोधपुर में एक व्यक्ति लगातार अपने घर के एक कमरे की छोटी सी जगह में मशूरूम की खेती कर रहा है. देखिए यह रिपोर्ट...

बिना जमीन की मशरूम की खेती, Landless mushroom cultivation
बिना जमीन की मशरूम की खेती
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Published : Mar 10, 2021, 10:34 PM IST

जोधपुर. शहर में एक व्यक्ति जुगल पंवार अपने हुनर से लगातार अपने घर के एक कमरे की छोटी सी जगह में मशूरूम की खेती कर रहा है. वह भी बिना किसी जमीन और रेत के. इस खेती से वह प्रतिमाह दस से 15 हजार रुपए कमा भी रहा है.

बिना जमीन की मशरूम की खेती

इस संबंध में जुगल पंवार का कहना है कि वह लंबे समय से मशरूम की खेती को लेकर प्रयासरत थे. इसके लिए गुजरात गए, वहां देखा तो लोग बिना जमीन के ही खेती कर रहे थे. ऐसे में वहां कुछ समय रूककर यह खेती सीखी. इसके बाद जोधपुर में शुरू की. उन्होंने बताया कि गुजरात से मशरूम के स्पॉन लेकर आए थे. इसके बाद इसकी खेती शुरू की. पंवार का कहना है कि राजस्थान में उदयपुर में इस खेती पर अच्छा काम हो रहा है, वहां सीखाई भी जाती है. इसलिए अब स्पॉन लेने के लिए गुजरात जाने की जरूरत नहीं है, यह उदयपुर में ही उपलब्ध हो जाते है.

बिना जमीन की मशरूम की खेती, Landless mushroom cultivation
मशरूम की खेती में जुगल का कमाल

पढ़ें- special : नगर निगम में 22 फीसदी रेवेन्यू होर्डिंग साइट के भरोसे, अब संख्या बढ़ाने पर फोकस

रेत की जगह गेहूं और चावल का भूसा

पंवार का कहना है कि इस खेती में प्लास्टिक के बैग में रेत की जगह गेहूं और चावल का भूसा भरा जाता है. भरने से पहले इस भूसे को भिगोया जाता है, उसके बाद इसमें कुछ रसायनिक तत्व डाले जाते है. इसके बाद मशरूम के स्पॉन इसमें मिलाए जाते है. इसके बाद इस बैग में जगह-जगह कुछ छेद किए जाते है, इन छेद से ही करीब 23 से 27 दिन में मशरूम निकल आते है, लेकिन इस दौरान कई तरह की सावधानियां रखनी होती है.

बिना जमीन की मशरूम की खेती, Landless mushroom cultivation
बैग्स में मशरूम की खेती

तापमान और सफाई का विशेषध्यान

कड़ी सर्दियों में मशरूम की खेती खेत में होती है, लेकिन बैग में मशरूम की खेती के लिए तापमान मेंटेन करना होता है. पंवार बताते हैं कि 27 दिनों तक लगातार तीस डिग्री तापमान मेंटेन करते है. इस दौरान कई बार बैग पर पानी भी डाला जाता है. इसके अलावा वे बताते हैं कि बैग को छूने से पहले हाथ साफ करना बहुत जरूरी है, क्योंकि मशरूम जो खुद एक फंगस है, उकसे बैक्टिरिया लगने से बहुत जल्दी खराब होता है.

बिना जमीन की मशरूम की खेती, Landless mushroom cultivation
मशरूम के खाद्य है कुछ अलग

पढ़ें- SPECIAL : जयपुर को नहीं मिली आईपीएल की मेजबानी...करोड़ों के व्यवसाय पर पड़ेगा असर

दो बार काम आते हैं बैग

जिन बैग में मशरूम का प्रॉडक्शन लिया जाता है, उन्हें दो बार काम में लिया जा सकता है. एक किलो मशरूम बाजार में तीन सौ से साढे तीन सौ रुपए तक बिकता है. ऐसे में थोडी सी मशक्कत से आराम से प्रतिमाह दस से पंद्रह हजार रुपए कमाए जा सकते हैं.

जोधपुर. शहर में एक व्यक्ति जुगल पंवार अपने हुनर से लगातार अपने घर के एक कमरे की छोटी सी जगह में मशूरूम की खेती कर रहा है. वह भी बिना किसी जमीन और रेत के. इस खेती से वह प्रतिमाह दस से 15 हजार रुपए कमा भी रहा है.

बिना जमीन की मशरूम की खेती

इस संबंध में जुगल पंवार का कहना है कि वह लंबे समय से मशरूम की खेती को लेकर प्रयासरत थे. इसके लिए गुजरात गए, वहां देखा तो लोग बिना जमीन के ही खेती कर रहे थे. ऐसे में वहां कुछ समय रूककर यह खेती सीखी. इसके बाद जोधपुर में शुरू की. उन्होंने बताया कि गुजरात से मशरूम के स्पॉन लेकर आए थे. इसके बाद इसकी खेती शुरू की. पंवार का कहना है कि राजस्थान में उदयपुर में इस खेती पर अच्छा काम हो रहा है, वहां सीखाई भी जाती है. इसलिए अब स्पॉन लेने के लिए गुजरात जाने की जरूरत नहीं है, यह उदयपुर में ही उपलब्ध हो जाते है.

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रेत की जगह गेहूं और चावल का भूसा

पंवार का कहना है कि इस खेती में प्लास्टिक के बैग में रेत की जगह गेहूं और चावल का भूसा भरा जाता है. भरने से पहले इस भूसे को भिगोया जाता है, उसके बाद इसमें कुछ रसायनिक तत्व डाले जाते है. इसके बाद मशरूम के स्पॉन इसमें मिलाए जाते है. इसके बाद इस बैग में जगह-जगह कुछ छेद किए जाते है, इन छेद से ही करीब 23 से 27 दिन में मशरूम निकल आते है, लेकिन इस दौरान कई तरह की सावधानियां रखनी होती है.

बिना जमीन की मशरूम की खेती, Landless mushroom cultivation
बैग्स में मशरूम की खेती

तापमान और सफाई का विशेषध्यान

कड़ी सर्दियों में मशरूम की खेती खेत में होती है, लेकिन बैग में मशरूम की खेती के लिए तापमान मेंटेन करना होता है. पंवार बताते हैं कि 27 दिनों तक लगातार तीस डिग्री तापमान मेंटेन करते है. इस दौरान कई बार बैग पर पानी भी डाला जाता है. इसके अलावा वे बताते हैं कि बैग को छूने से पहले हाथ साफ करना बहुत जरूरी है, क्योंकि मशरूम जो खुद एक फंगस है, उकसे बैक्टिरिया लगने से बहुत जल्दी खराब होता है.

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दो बार काम आते हैं बैग

जिन बैग में मशरूम का प्रॉडक्शन लिया जाता है, उन्हें दो बार काम में लिया जा सकता है. एक किलो मशरूम बाजार में तीन सौ से साढे तीन सौ रुपए तक बिकता है. ऐसे में थोडी सी मशक्कत से आराम से प्रतिमाह दस से पंद्रह हजार रुपए कमाए जा सकते हैं.

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