जोधपुर. कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है वो प्रदेश की नहीं देश की राजनीति को प्रभावित कर रहा है (Rajasthan Congress Political Crisis). गहलोत बनाम पायलट (Gehlot Vs Pilot) अब सुर्खियों में है. खुलकर गहलोत खेमा बोल रहा है कि वो पायलट को Accept नहीं करेगा. इस बीच ऐसे भी कुछ हैं जो प्रदेश के मुखिया को आंखें दिखा रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं दिव्या मदेरणा. मदेरणा परिवार की राजनैतिक विरासत सहेजती युवा नेता अकसर प्रदेश सरकार की नीतियों पर प्रहार करती रही हैं. इस बार उन्होंने चीफ व्हिप की नाफरमानी करने का प्रण ले लिया है.
दिव्या के ट्वीट: ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने सीधे तौर पर पार्टी के मुख्य सचेतक महेश जोशी और संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा किया है(high political drama In Rajasthan) . दिव्या मदेरणा लगातार ट्वीट (MLA Divya Maderna tweets) कर जताने की कोशिश कर रही हैं कि वो दोनों को एक्सपोज कर रही हैं. इतना ही नही अब उन्होंने बतौर मुख्य सचेतक महेश जोशी के द्वारा मिलने वाले किसी निर्देश की पालना न करने का भी एलान कर दिया है. उन्होंने अंग्रेजी में ट्वीट कर वजह भी बताई है.
चीफ व्हिप के खिलाफ मदेरणा: ओसियां विधायक ने जोशी को लेकर कहा कि एक तरफ वो पार्टी की सीएलपी बैठक के लिए विधायकों को फोन करते हैं दूसरी ओर शांति लाल धारीवाल के घर पर पार्टी विरोधी गतिविधियां करते हैं. वो अनुशासनहीन व्यक्ति हैं. जो पार्टी नेतृत्व के निर्देश नहीं मानते. उन्होंने सवाल किया है कि आखिर कैसे चीफ व्हिप ऐसा कर सकते हैं.
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दादा परसराम मदेरणा को किया था याद: रविवार रात की घटना के बाद दिव्या मदेरणा ने 1998 की भी याद दिलाई थी. मीडिया से रूबरू हो उन्होंने कहा था कि उस समय परसराम मदेरणा सीएम के दावेदार थे, लेकिन आलकमान के एक लाइन के प्रस्ताव के बाद वे चुप रहे. इसके बाद अशोक गहलोत सीएम बन गए थे. उन्होंने इसके साथ ही सवाल किया कि तब कोई आपत्ति नहीं जताई गई थी तब आज हाईकमान के प्रस्ताव पर आपत्ति क्यों की जा ही है?
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धारीवाल धमका रहे: दिव्या मदेरणा ने ट्विटर पर लिखा है कि वो शांति धारीवाल के प्रभारी अजय माकन को लेकर लगाए गए आरोपों की भर्त्सना करती हैं. उनके पास पार्टी हाईकमान के नाम का एक लाईन का ही प्रस्ताव था लेकिन उन्होंने विधायकों को मिलने नहीं दिया. खुद को कांग्रेस का सच्चा सिपाही बताने वालों का ऐसा अचारण नहीं होना चाहिए. वो कहते हैं हाईकमान ऐसे नहीं मानेगा. उन्होंने ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए लिखा- “हाईकमान ऐसे नहीं मानेगा”- ये शब्द हैं शांति धारीवाल जी के !, इसीलिए “हाईकमान” को अपनी शर्तें मानने के लिए ब्लैक मेलिंग का खेल रचा गया. अपने घर पर विधायकों को भड़काऊ भाषण देते हैं. ये संसदीय कार्यालय मंत्री के तेवर हैं और कह रहे हैं नोटिस आएगा तो जवाब देंगे.