जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट मुख्यपीठ जोधपुर के अधिवक्ताओं ने शनिवार को कार्य दिवस होने के बावजूद महीने के अंतिम दिन न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया. अधिवक्ताओं द्वारा जोधपुर में हर महीने के अंतिम दिन न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया जाता है. जयपुर हाईकोर्ट पीठ के विरोध स्वरूप हर माह अधिवक्ता न्यायिक कार्य बहिष्कार कर रहे हैं. आपातकाल से लेकर आज तक अधिवक्ताओं का विरोध जारी है. जोधपुर की दोनों एसोसिएशन के बैनर तले सरकारी अधिवक्ताओं को छोडकर सभी अधिवक्ता न्यायिक कार्य का बहिष्कार करते हैं.
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राजस्थान हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में चार दिन पहले गिरफ्तार किए कार्यवाहक तहसीलदार बाबु सिंह राजपुरोहित को जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी कर दिए हैं. वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई की अदालत में आरोपी कार्यवाहक तहसीलदार बाबु सिंह की ओर से अधिवक्ता विक्रम सिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश की थी. शनिवार को जनवरी महीने का अंतिम कार्य दिवस होने से अधिवक्ताओं द्वारा कार्य बहिष्कार किया गया था.
ऐसे में आरोपी ने न्यायालय के समक्ष पेश होकर पक्ष रखा. उसने बताया कि उसके पिता को झूठा फंसाया गया है. वहीं सरकार की ओर से जमानत का विरोध किया गया. न्यायालय ने दोनों पक्षो को सुनने के बाद आरोपी बाबु सिंह राजपुरोहित की जमानत को मंजूर कर लिया और पचास हजार के व्यक्तिगत मुचलके एवं दो पच्चीस-पच्चीस हजार की जमानत की गांरटी पर रिहा करने के निर्देश जारी किए हैं.
गौरतलब है कि जालोर एसीबी ने परिवादी थानाराम ग्राम थापन में अपनी पैतृक खातेदारी भूमि में रास्ते के लिए एसडीओ कोर्ट सिवाना में राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में दावा प्रस्तुत किया था. इस संबंध में एसडीएम सिवाना ने बाबू सिंह राजपुरोहित कार्यवाहक तहसीलदार सिवाना को भूमि के रास्ता विवाद संबधी नियमानुसार मौका रिपोर्ट भेजने बाबत निर्देशित किया. आरोपी बाबू सिंह कार्यवाहक तहसीलदार ने परिवादी से उसके जायज कार्य की एवज में रिश्वत की मांग की. जिस पर परिवादी थानाराम ने 19 जनवरी को ब्यूरो कार्यालय जालोर में उक्त शिकायत प्रस्तुत की. जिस पर 27 जनवरी को एसीबी जालोर ने ट्रैप की कार्रवाई करते हुए आरोपी बाबू सिंह राजपुरोहित कार्यवाहक तहसीलदार सिवाना को 10,000 रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया था.