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जोधपुर डिस्कॉम की लापरवाही: Solar Panel लगाने में उपभोक्ताओं ने लाखों किए खर्च, फिर भी भरने पड़ रहे पूरे बिल - सोलर पैनल

घर की छत पर सोलर पैनल (Solar Panel) लगवा, बिजली बिल कम (Electricity Bill) भरने की इच्छा रखने वाले उपभोक्ता इन दिनों परेशान हैं. उनके सोलर पैनल की रीडिंग लेने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि उपभोक्ताओं को सोलर पैनल के बावजूद पूरे बिजली बिल भरने पड़ रहे हैं.

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सोलर पैनल
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Published : Nov 25, 2021, 5:45 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 6:42 PM IST

जोधपुर. शहर में घरों में सोलर पैनल (Solar Panel) लगवाने के बावजूद भी उपभोक्ताओं के बिजली बिल (Electricity Bill) पहले की तरह ही आ रहे हैं. सरकार के अनुसार, सोलर पैनल से जितनी बिजली ग्रिड में जाती है, उतने ही यूनिट उपभोक्ता के बिजली बिल में से कम किए जाते हैं. लेकिन अनदेखी के चलते उपभोक्ताओं को पूरे बिल देने पड़ रहे हैं.

बता दें कि ज्यादा से ज्यादा घरों में प्राकृतिक स्त्रोत की बिजली से रोशनी फैले, इसे लेकर घरों पर सोलर पैनल सरकारी माध्यम से लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस पर सब्सिडी (Subsidy on Solar Panel in Rajasthan) भी मिलती है. खासकर पश्चिमी राजस्थान में प्रचूर मात्रा में सूर्य के ताप से बिजली बन रही है. शहरी क्षेत्र में लोग अपने घरों पर पैनल लगा रहे हैं. जिससे सरकारी बिजली का उपयोग कम से कम हो. इसका फायदा सरकार और उपभोक्ता दोनों को होता है.

जोधपुर डिस्कॉम के उपभोक्ता परेशान

पढ़ें: corona in Jaipur Schools : 6 स्कूली बच्चे कोरोना पॉजिटिव, इनमें दो सरकारी स्कूल के, ऑनलाइन क्लास ले रहे दो बच्चे भी संक्रमित

जोधपुर विद्यतु वितरण निगम लिमिटेड (Jodhpur Vidyut Vitran Nigam Limited) की अनदेखी के चलते शहर में लाखों रुपए खर्च कर अपने घरों पर पैनल लगाने वाले उपभोक्ता परेशान हैं. उनके बिजली बिल यथावत आ रहे हैं. जबकि कायदे से सोलर पैनल से बनने वाली बिजली ग्रिड में जाती है और जितने यूनिट बिजली पैनल की जाती है, उतने बिजली के यूनिट बिजली बिल में कम होते हैं. जिससे उपभोक्ता को बहुत कम राशि बिल की भरनी पड़ती है. लेकिन जिले के कई इलाको में पैनल लगाने वाले लोगों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है. इसकी वजह है पैनल से बनने वाली बिजली जो ग्रिड में जाती है, उसकी रीडिंग नहीं ली जा रही है. इसके चलते उपभोक्ताओं को पूरा बिजली का बिल भरना पड रहा है. इस पूरे मामले पर डिस्कॉम का कोई भी अधिकारी बोलने के तैयार नहीं है.

पढ़ें: Jaipur: राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने संभाला पदभार, बोले- 'प्रशासन गांवों के संग अभियान की खामियों को दूर करेंगे'

खुद डिस्कॉम देता है मीटर, लेकिन रीडिंग नहीं लेता

जब कोई उपभोक्ता अपने घर पर सोलर पैनल लगाता है, तो उसे डिस्कॉम मीटर देता है. इससे उसके घर पर दो मीटर हो जाते हैं. एक मीटर में उनके द्वारा उपभोग करने वाली बिजली के यूनिट आते हैं. दूसरे मीटर में उनके पैनल से बनने वाली बिजली जो ग्रिड में जाती है, उसकी गणना होती है. अगर किसी उपभोक्ता के दो माह में कुल उपभोग 500 यूनिट का हुआ और उसके पैनल से 600 यूनिट ग्रिड में गई डिस्कॉम उपभोक्ता को माइनस का बिल भेजता है. यानी की उपभोक्ता की बिजलीघर में राशि बकाया है, जो आगे अधिक उपभोग व कम उत्पादन में समायोजित होती है. पैनल लगाने वाले उपभोक्ताओं का कहना है कि इन मीटर की रीडिंग लेने कोई नहीं आता जिसके चलते यह परेशानी बनी हुई है.

जोधपुर. शहर में घरों में सोलर पैनल (Solar Panel) लगवाने के बावजूद भी उपभोक्ताओं के बिजली बिल (Electricity Bill) पहले की तरह ही आ रहे हैं. सरकार के अनुसार, सोलर पैनल से जितनी बिजली ग्रिड में जाती है, उतने ही यूनिट उपभोक्ता के बिजली बिल में से कम किए जाते हैं. लेकिन अनदेखी के चलते उपभोक्ताओं को पूरे बिल देने पड़ रहे हैं.

बता दें कि ज्यादा से ज्यादा घरों में प्राकृतिक स्त्रोत की बिजली से रोशनी फैले, इसे लेकर घरों पर सोलर पैनल सरकारी माध्यम से लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस पर सब्सिडी (Subsidy on Solar Panel in Rajasthan) भी मिलती है. खासकर पश्चिमी राजस्थान में प्रचूर मात्रा में सूर्य के ताप से बिजली बन रही है. शहरी क्षेत्र में लोग अपने घरों पर पैनल लगा रहे हैं. जिससे सरकारी बिजली का उपयोग कम से कम हो. इसका फायदा सरकार और उपभोक्ता दोनों को होता है.

जोधपुर डिस्कॉम के उपभोक्ता परेशान

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जोधपुर विद्यतु वितरण निगम लिमिटेड (Jodhpur Vidyut Vitran Nigam Limited) की अनदेखी के चलते शहर में लाखों रुपए खर्च कर अपने घरों पर पैनल लगाने वाले उपभोक्ता परेशान हैं. उनके बिजली बिल यथावत आ रहे हैं. जबकि कायदे से सोलर पैनल से बनने वाली बिजली ग्रिड में जाती है और जितने यूनिट बिजली पैनल की जाती है, उतने बिजली के यूनिट बिजली बिल में कम होते हैं. जिससे उपभोक्ता को बहुत कम राशि बिल की भरनी पड़ती है. लेकिन जिले के कई इलाको में पैनल लगाने वाले लोगों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है. इसकी वजह है पैनल से बनने वाली बिजली जो ग्रिड में जाती है, उसकी रीडिंग नहीं ली जा रही है. इसके चलते उपभोक्ताओं को पूरा बिजली का बिल भरना पड रहा है. इस पूरे मामले पर डिस्कॉम का कोई भी अधिकारी बोलने के तैयार नहीं है.

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खुद डिस्कॉम देता है मीटर, लेकिन रीडिंग नहीं लेता

जब कोई उपभोक्ता अपने घर पर सोलर पैनल लगाता है, तो उसे डिस्कॉम मीटर देता है. इससे उसके घर पर दो मीटर हो जाते हैं. एक मीटर में उनके द्वारा उपभोग करने वाली बिजली के यूनिट आते हैं. दूसरे मीटर में उनके पैनल से बनने वाली बिजली जो ग्रिड में जाती है, उसकी गणना होती है. अगर किसी उपभोक्ता के दो माह में कुल उपभोग 500 यूनिट का हुआ और उसके पैनल से 600 यूनिट ग्रिड में गई डिस्कॉम उपभोक्ता को माइनस का बिल भेजता है. यानी की उपभोक्ता की बिजलीघर में राशि बकाया है, जो आगे अधिक उपभोग व कम उत्पादन में समायोजित होती है. पैनल लगाने वाले उपभोक्ताओं का कहना है कि इन मीटर की रीडिंग लेने कोई नहीं आता जिसके चलते यह परेशानी बनी हुई है.

Last Updated : Nov 25, 2021, 6:42 PM IST
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