जोधपुर. मां के निधन पर जेल में बंद बेटे ने आकस्मिक पैरोल के लिए जिला कलेक्टर अजमेर के समक्ष आवेदन (Jodhpur High Court Question Ajmer Collector) किया. जिसे चार दिन में निस्तारित करना था, लेकिन लम्बित रखते हुए चार माह बाद खारिज कर दिया. जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने जिला कलेक्टर से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए. क्योंकि वे कानून अनुसार कार्य करने में विफल रहे हैं.
याचिकाकर्ता सम्पतलाल की अधिवक्ता सुमित्रा चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता अजमेर सेंट्रल जेल में बंद है. मां के निधन पर उसने आकस्मिक पैरोल के लिए आवेदन किया जो कि 14 जनवरी 2022 को जिला कलेक्टर अजमेर को प्राप्त हो गया. एएजी अनिल जोशी ने बताया कि जिला कलेक्टर ने उस आवेदन को करीब चार माह बाद भी तय नही किया और 12 मई 2022 को आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है.
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आकस्मिक पैरोल के आवेदन पर अविलम्ब निर्णय लेने की आवश्यकता थी. लेकिन आकस्मिक पैरोल नियम के विपरीत अत्यधिक देरी कर दी. चार दिन में फैसला करना था, उसकी बजाए चार माह में निर्णय घोर उदासीनता और कर्तव्य की उपेक्षा है. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिला कलेक्टर अजमेर कारण बताए कि क्यों ना उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जाए. वे कानून के अनुसार कार्य करने में विफल रहे हैं. एएजी जोशी को कहा कि अगली सुनवाई पर 17 मई को मूल रिकार्ड के साथ जिला कलेक्टर का स्पष्टीकरण पेश करें.