जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की ओर से केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए जीएसटी को चुनौती देने वाली याचिका को निस्तारित करते हुए साल 2018 में जारी परिपत्र के क्लॉज 4 (1) को अपास्त कर दिया. राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोंहती और न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने याचिका निस्तारित करते हुए 1 मार्च 18 को जारी किए गए परिपत्र के क्लॉज नंबर 4 (1) को अपास्त कर दिया.
याचिकाकर्ता जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की ओर से बताया गया कि 28 जून 17 को केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर विद्युत आपूर्ति और वितरण को जीएसटी लिस्ट से बाहर रखा था. जीएसटी काउंसिल की अनुशंसा पर 1 मार्च 18 को परिपत्र जारी कर बिजली कनेक्शन जारी करने के लिए प्रार्थना पत्र शुल्क, मीटर उपकरण के किराया शुल्क, मीटर और ट्रॉसफॉर्मर की टेस्टिंग फीस, मीटर व सर्विस लाइन की शिफ्टिंग के लिए ग्राहकों से लिए जा रहे लेबर चार्ज, डुप्लीकेट बिल के चार्जेज आदि को जीएसटी के दायरे में ला दिया था.
यह भी पढ़ें- जागते रहो: ऑनलाइन गेमिंग एप्स से बच्चों को टारगेट कर रहे साइबर ठग, परिजनों के खाते से उड़ा रहे लाखों रुपये
निगम की ओर से कहा गया कि इन सभी को टैक्स के दायरे में लाने का परिपत्र मनमाना है तथा इसलिए इसे अपास्त किया जाए. जबकि केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि 1 मार्च 18 को जारी किए गए परिपत्र के क्लॉज नंबर 4 (1) में उल्लेखित सेवाएं विद्युत वितरण और आपूर्ति से संबंधित नहीं है. इसलिए याचिकाकर्ता विद्युत निगम ऐसी सेवाओं के लिए टैक्स चुकाने के लिए जिम्मेदार है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निगम की याचिका को निस्तारित करते हुए 1 मार्च 18 को जारी किए गए परिपत्र के क्लॉज नंबर 4 (1) को अपास्त कर दिया.