जयपुर. अध्यक्ष डिस्कॉम भास्कर ए. सावंत ने सोमवार को एक बयान जारी कर बताया कि यह योजना उन उपभोक्ताओं के लिए है, जिनके बिजली बिल लंबित होने के कारण पैनल्टी की राशि काफी अधिक बढ़ चुकी है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के समय उत्पन्न स्थितियों को देखते हुए और कृषि और घरेलू श्रेणी के नियमित/विद्युत संबंध विच्छेद उपभोक्ताओं को बकाया राशि जमा कराने के लिए प्रेरित करने के लिए अभियाान के दौरान इस योजना को 17 दिसंबर, 2021 तक लागू करने का निर्णय लिया गया है.
इन प्रकरण और उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगा योजना का लाभ : उन्होंने बताया कि 31 मार्च, 2021 को मूल बकाया राशि का एकमुश्त भुगतान करने पर कृषि उपभोक्ताओं को 100 प्रतिशत और घरेलू उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत ब्याज व पैनल्टी में छूट दी जाएगी. 31 मार्च, 2021 के बाद की बकाया राशि पर नियमानुसार विलंब शुल्क देय होगा. गत 3 वर्षों में इस तरह की योजनाओं का लाभ ले चुके उपभोक्ताओं और विद्युत चोरी व दुरूपयोग के प्रकरणों में इस एमनेस्टी योजना का लाभ देय नहीं होगा.
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अध्यक्ष डिस्कॉम ने बताया कि कटे हुए कनेक्शन के उपभोक्ता पूर्ण मूल बकाया राशि और री-कनेक्शन शुल्क जमा करवाकर अपने कनेक्शन को पुनः जुड़वा भी सकते हैं. कृषि श्रेणी के कटे हुए कनेक्शन कृषि नीति के प्रावधानों के अनुसार एवं घरेलू श्रेणी के कटे हुए कनेक्शनों को टीसीओएस-2021 के प्रावधानों के अनुसार जोड़ा जाएगा. माननीय न्यायालय में लंबित प्रकरणों के उपभोक्ता यदि एमनेस्टी योजना का लाभ लेना चाहते है तो उनको पूर्ण मूल बकाया राशि एवं एक माह में कोर्ट केस वापस लेने की अन्डरटेकिंग प्रस्तुत करनी होगी.
अभियान के दौरान वीसीआर के लंबित प्रकरणों का निस्तारण : अभियान के दौरान उपभोक्ताओं व गैर उपभोक्ताओं के विद्युत चोरी एवं विद्युत दुरूपयोग से संबंधित लम्बित सर्तकता जांच प्रकरणों का निस्तारण भी किया जाएगा. काविड-19 के समय असुविधा को देखते हुए जिन उपभोक्ताओं द्वारा राजस्व निर्धारण पुनरीक्षण समिति के समक्ष नोटिस जारी होने की दिनांक से अपील दायर करने की 30 दिवस की अवधि निकल चुकी है. ऐसे उपभोक्ताओं को अब 17 दिसम्बर, 2021 तक वैधानिक दायित्व राशि का 10 प्रतिशत और 5 लाख रूपये जो भी कम हो व संपूर्ण प्रशमन राशि जमा करवाकर राजस्व निर्धारण पुनरीक्षण समिति के समक्ष अपील दायर करने की अवधि में शिथिलता प्रदान की गई है.
इस अभियान के दौरान पूर्व में निस्तारित किए जा चुके प्रकरणों पर विचार नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही ऐसे प्रकरण जो किसी भी न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है एवं उपभोक्ता व गैर उपभोक्ता द्वारा प्रकरण को न्यायालय से वापस लेने के संदंर्भ में शपथ-पत्रा प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसे प्रकरणों के निस्तारण की कार्रवाई भी इस अभियान के दौरान की जाएगी.