जोधपुर. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सोमवार शाम को जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के पश्चिम क्षेत्र के शास्त्री नगर थाना के सहायक उप निरीक्षक को 5000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने बताया कि शास्त्री नगर थाने के सहायक उप निरीक्षक सालिगराम ने एक दुर्घटना मामले की जांच में कार्रवाई के लिए परिवादी से रुपये की मांग की थी.
उन्होंने बताया कि रिश्वत को लेकर लगातार परिवादी को फोन किया जा रहा था. जांच अधिकारी के रूप में सालिगराम परिवादी से यह राशि इसलिए मांग रहा था कि उसका मेडिकल करवाने और इस मामले में आगे चालान पेश करने के लिए दी जाए. इसके चलते 11 दिसंबर को दर्ज मामले में 27 दिसंबर तक कोई कार्रवाई भी नहीं की. परेशान होकर परिवादी राणेश में एसीबी के समक्ष पेश होकर शिकायत दर्ज करवाई. इसका सत्यापन किया गया.
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इसके बाद एसीबी ने सोमवार शाम को रिक्तिया भैरूजी चौराहे के पास तैनात एएसआई सालिगराम राम के पास परिवादी को भेजा. एसआई ने परिवादी से 5000 रुपये की राशि प्राप्त की. इसके बाद एसीबी की टीम ने उसे दबोच लिया. ऐसी भी जब कार्रवाई कर रही थी, उस समय भी एएसआई सालिगराम चौराहे पर लोगों को चालान काटने के नाम पर धमका रहा था. जब उसे एसीबी ने मौके पर ट्रैप किया तो वहां से निकलने वाले ज्यादातर वाहन चालकों ने एसीबी के अधिकारियों को धन्यवाद दिया, क्योंकि सालिगराम इस चौराहे पर तैनाती के दौरान आए दिन लोगों को धमका कर वसूली करता था.
गाड़ी में फेंकी राशि...
एसीबी ने परिवादी के मार्फत 5000 रुपये सालिगराम को उस समय दिलाए, जब वह पुलिस की गाड़ी में बैठा था. राशि उसने लेकर अपने पास रख ली, लेकिन जैसे ही एसीबी को देखा तो उसने उस राशि को गाड़ी के अंदर फेंक दिया. हालांकि एसीबी की टीम ने मौके पर ही रंगे हाथ धुलवा कर पुष्टि कर ली, लेकिन इसके बाद राशि ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ी. इसके चलते एसीबी की टीम ने नगर निगम जहां पर इस कार्रवाई का कैंप बनाया था. वहां पुलिस की जीप लेकर आए और उसमें से राशि बरामद की.
क्या जवाबदेही होगी अधीक्षक की...
हाल ही में पुलिस महानिदेशक ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें यह कहा गया था कि अगर कोई पुलिसकर्मी ट्रैप होता है तो उसको लेकर संबंधित पुलिस अधीक्षक की भी जवाबदेही होगी. इस मामले में स्वास्थ्य नगर थाने में 11 दिसंबर को दर्ज मामले में 15 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं होना अपने आप में कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है.