जोधपुर. शहर में गुरुवार दोपहर सवा बारह बजे डाली बाई मंदिर चौराहा के पास दो गुटों के बीच फायरिंग हो गई. हिस्ट्रीशीटर विक्रम सिंह नांदिया महाशिवरात्री के अवसर पर मंदिर में पूजा करने जा रहा था. तभी दूसरी गैंग वाले आए और उसपर फायरिंग कर दी. विक्रम सिंह फायरिंग से बचने के लिए अपनी गाड़ी की तरफ भागा इसी दौरान उसकी पीठ में गोली लग गई. घायल हिस्ट्रीशीटर को पुलिस ने अस्पताल में भर्ती करवाया है. बताया जा रहा है कि विक्रम सिंह ने पुलिस को अपनी जान को खतरा बताते हुए रिपेार्ट भी दी थी.
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क्या है पूरा मामला
महाशिवरात्रि पर हिस्ट्रीशीटर विक्रम सिंह मंदिर में पूजा करने जा रहा था. वह जैसे ही डाली बाई चौराहा पर मिठाई की दुकान पर प्रसाद लेने उतरा तो दूसरी गैंग वालों ने उसपर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. विक्रम सिंह जान बचाकर कार की तरफ भागा लेकिन बदमाशों ने उसकी पीठ में गोली मार दी. जिसके बाद हिस्ट्रीशीटर गाड़ी दौड़ाता हुआ मौके से भाग गया. लेकिन बदमाशों ने गाड़ी के पीछे भी फायरिंग की. जिससे कार का बैक ग्लास भी टूट गया.
फायरिंग करके दूसरी गैंग के राकेश मांजू और उसके साथी वहां से भाग गए. घायल हिस्ट्रीशीटर अपनी कार लेकर नजदीक के राजीव गांधी पुलिस स्टेशन पहुंचा. जहां पुलिस वालों ने उसे एमडीएम में भर्ती करवाया. फायरिंग की सूचना मिलते ही विक्रम सिंह के समर्थक अस्पताल के बाहर इकट्ठा हो गए. डॉक्टरों ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर की पीठ के ऊपरी हिस्से में गोली लगने से उसकी दो पसलियां टूट गई हैं. और गोली अंदर ही धंस गई.
अस्पताल परिसर में मौजूद विक्रम सिंह के समर्थकों ने आरोप लगाया कि पुलिस लगातार ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं कर रही है. उपायुक्त आलोक श्रीवास्तव से भी समर्थक बहस करने लगे. आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि घटनाक्रम को लेकर प्रारंभिक पड़ताल में राकेश मांजू का नाम सामने आ रहा है. पुलिस की टीमें उसकी तलाश कर रही हैं.
अत्याधुनिक हथियारों से किया था हमला
जानकारी के अनुसार राकेश मांजू सफेद आई 20 कार में आया था. जबकि विक्रम सिंह काली वरना कार में था. उसके साथ अर्जुन सिंह भी था. प्रसाद लेने के लिए जैसे ही विक्रम सिंह गाड़ी से बाहर निकला तो राकेश मांजू ने फायरिंग कर दी. बताया जा रहा है कि फायरिंग में ऑटोमैटिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. जिससे बिना रूके एक बार में कई फायर किए जा सकते हैं. विक्रम सिंह और राकेश मांजू गैंग के बीच लंबे समय से रंजिश है. दोनों गुट एक-दूसरे पर हमला करते रहते हैं. बताया जा रहा है कि विक्रम सिंह की ओर से उसकी जान को खतरा बताते हुए रिपेार्ट भी दी गई थी.