जोधपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने जिला फुटबॉल एसोसिएशन हनुमानगढ़ के चुनाव पर रोक लगाने से इनकार करते हुए पदाधिकारियों का निर्वाचन याचिका के निर्णयधीन रखा है. राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश देवेंद्र कच्छावा की अदालत में याचिकाकर्ता डीएफए की ओर से दायर याचिका में 5 जुलाई को एसोसिएशन के चुनाव पर रोक लगाने का आग्रह किया था.
कोर्ट ने पत्रावली का अवलोकन करने के बाद कहा, कि चुनाव के लिए 15 जून 2020 को नोटिस जारी किया गया था. जिसकी सूचना राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद जयपुर, कलेक्टर हनुमानगढ़, राजस्थान फुटबॉल संघ, उप रजिस्ट्रार समितियां और जिला खेल अधिकारी को दी गई. नोटिस के अनुसार चुनाव 5 जुलाई को सुबह 11 बजे होने हैं. ऐसे में प्रस्तावित चुनाव को रोकना कतई न्यायोचित नहीं होगा.
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कोर्ट ने चुनाव के परिणाम अगली सुनवाई पर कोर्ट के समक्ष पेश करने तथा पदाधिकारियों के निर्वाचन की वैधानिकता रिट याचिका के निर्णयधीन रखने के आदेश दिए. वहीं अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी.
चोरी के सहअभियुक्त को नहीं मिली जमानत
रिहायशी मकान में धनराशि चोरी करने के अवयस्क सहअभियुक्त को अपर सेशन न्यायाधीश संख्या-4 की लिंक अधिकारी श्वेता शर्मा ने अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए जमानत आवेदन खारिज कर दिया. अवयस्क पर आरोप है कि उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर परिवादी के घर पर चोरी की घटना को अंजाम दिया है.
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मामले के अनुसार परिवादी डॉ. परमेश्वर 3 सितम्बर 2019 की रात घर पर ताला लगाकर अपनी पत्नी के साथ नागौर रोड स्थित ढाबे पर खाना खाने के लिए गया था. इस दौरान पीछे का गेट खुला था. रात को दस बजे वापस घर आ गये थे. अगले दिन सुबह चार बजे जब उसकी पत्नी ने रुपये खुल्ले निकालने के लिए अलमारी का लॉकर खोला तो उसमें पैसे नहीं थे. जबकि अलमारी सही सलामत थी और लॉकर की चाबी भी यथास्थान पर अलमारी में रखी थी. लॉकर में रखे लगभग 32 हजार रुपये गायब मिले. वहीं टेबल की दराज में रखे तीन हजार रुपये भी गायब थे.
प्रार्थी के अधिवक्ता ने बहस करते हुए कहा कि प्रार्थी अवयस्क है. जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट में उसका नाम भी दर्ज नहीं है, वहीं केवल सहअभियुक्त से पूछताछ रिपोर्ट में दिए गए कथनों के आधार पर प्रार्थी को घटना में संलिप्त नहीं माना जा सकता. वहीं अपर लोक अभियोजक ने कहा कि अपराध की प्रकृति एवं प्रकरण की परिस्थितियों के आधार पर अग्रिम जमानत आवेदन अस्वीकार किए जाने का निवेदन किया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अवयस्क प्रार्थी के अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया.