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हाईकोर्ट: मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 में याचिकाकर्ता को प्रोविजनल रूप से शामिल करने के अंतरिम आदेश

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Published : Jul 1, 2020, 7:50 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस विनीत माथुर ने प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 की प्रक्रिया से संबंधित एक याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को प्रोविजनल रूप से भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के अंतरिम आदेश दिए हैं.

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मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 में याचिकाकर्ता को प्रोविजनल रूप से शामिल करने के अंतरिम आदेश

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस विनीत माथुर ने प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 की प्रक्रिया से संबंधित एक याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को प्रोविजनल रूप से भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के अंतरिम आदेश दिए हैं. वहीं सचिव और निदेशक चिकित्सा विभाग जयपुर, रजिस्ट्रार RUHS जयपुर, राजस्थान मेडिकल काउंसिल सहित कोऑर्डिनेटर मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. कोर्ट ने यह आदेश याचिकाकर्ता मुकुल व्यास की ओर से दायर याचिका की सुनवाई में दिए हैं.

याचिकाकर्ता को प्रोविजनल रूप से शामिल करने के अंतरिम आदेश

पढ़ें: ऋण पर्यवेक्षक के 300 रिक्त पदों पर शीघ्र होगी भर्ती, धारा 55 की जांच लंबित होने पर मंत्री ने जताई नाराजगी

याचिकाकर्ता मुकुल व्यास ने स्वयं हाईकोर्ट में उपस्थित होकर कहा कि उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज की ओर से मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 के तहत आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया जबकि वह योग्य अभ्यर्थी है. इस पर कोर्ट ने जहां संबंधित अधिकारियों और संस्थान को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब तलब किया, वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश आवेदन को ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन स्वीकार करते हुए भर्ती प्रक्रिया में प्रोविजनल प्रवेश देने के अंतरिम आदेश भी जारी किए हैं.

किसी को कोई शादी स्वीकार नहीं है तो उसको कानून हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की अदालत ने एक अहम आदेश जारी करते हुए कहा कि किसी को भी इस बात पर कानून हाथ में नहीं लेने दिया जा सकता कि उनको कोई शादी स्वीकार्य नहीं है. जस्टिस डॉ. भाटी ने यह ऑब्जर्वेशन सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिकाकर्ता एक नवविवाहित युवती की ओर से दायर याचिका को निस्तारित करते हुए आदेश में लिखित रूप से दिए है. वहीं, आदेश के तहत जहां याचिकाकर्ता को एसएचओ मेड़ता से संपर्क कर अपनी शिकायत उनको बताने और एसएचओ को याचिकाकर्ता की ओर से पेश शिकायत को सुनने के बाद उसे दी जा रही धमकी का विश्लेषण करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए.

पढ़ें: 2 युवकों की मौत के मामले में गिरफ्तारी की मांग, उग्र आंदोलन की चेतावनी

मामले के अनुसार राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस भाटी की अदालत में युवती ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर आपबीती सुनाई. उसने कहा कि 24 जून 2020 को उसने शादी की है जो कि उसके रिश्तेदारों और अप्रार्थीगण को पसंद नहीं है तथा उनको जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. जिससे उनको सुरक्षा प्रदान की जाए. इसके बाद कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जहां अपने ऑब्जर्वेशन प्रकट किया वहीं याचिकाकर्ता और संबंधित मेड़ता पुलिस थाने के एसएचओ के नाम से निर्देश भी जारी करते हुए याचिका का निस्तारण किया.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस विनीत माथुर ने प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 की प्रक्रिया से संबंधित एक याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को प्रोविजनल रूप से भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के अंतरिम आदेश दिए हैं. वहीं सचिव और निदेशक चिकित्सा विभाग जयपुर, रजिस्ट्रार RUHS जयपुर, राजस्थान मेडिकल काउंसिल सहित कोऑर्डिनेटर मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. कोर्ट ने यह आदेश याचिकाकर्ता मुकुल व्यास की ओर से दायर याचिका की सुनवाई में दिए हैं.

याचिकाकर्ता को प्रोविजनल रूप से शामिल करने के अंतरिम आदेश

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याचिकाकर्ता मुकुल व्यास ने स्वयं हाईकोर्ट में उपस्थित होकर कहा कि उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज की ओर से मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2020 के तहत आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया जबकि वह योग्य अभ्यर्थी है. इस पर कोर्ट ने जहां संबंधित अधिकारियों और संस्थान को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब तलब किया, वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश आवेदन को ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन स्वीकार करते हुए भर्ती प्रक्रिया में प्रोविजनल प्रवेश देने के अंतरिम आदेश भी जारी किए हैं.

किसी को कोई शादी स्वीकार नहीं है तो उसको कानून हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की अदालत ने एक अहम आदेश जारी करते हुए कहा कि किसी को भी इस बात पर कानून हाथ में नहीं लेने दिया जा सकता कि उनको कोई शादी स्वीकार्य नहीं है. जस्टिस डॉ. भाटी ने यह ऑब्जर्वेशन सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिकाकर्ता एक नवविवाहित युवती की ओर से दायर याचिका को निस्तारित करते हुए आदेश में लिखित रूप से दिए है. वहीं, आदेश के तहत जहां याचिकाकर्ता को एसएचओ मेड़ता से संपर्क कर अपनी शिकायत उनको बताने और एसएचओ को याचिकाकर्ता की ओर से पेश शिकायत को सुनने के बाद उसे दी जा रही धमकी का विश्लेषण करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए.

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मामले के अनुसार राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस भाटी की अदालत में युवती ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर आपबीती सुनाई. उसने कहा कि 24 जून 2020 को उसने शादी की है जो कि उसके रिश्तेदारों और अप्रार्थीगण को पसंद नहीं है तथा उनको जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. जिससे उनको सुरक्षा प्रदान की जाए. इसके बाद कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जहां अपने ऑब्जर्वेशन प्रकट किया वहीं याचिकाकर्ता और संबंधित मेड़ता पुलिस थाने के एसएचओ के नाम से निर्देश भी जारी करते हुए याचिका का निस्तारण किया.

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