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नव विवाहित जोड़े ने लगाई सुरक्षा की गुहार, हाईकोर्ट ने एसपी को आवेदन पेश करने को कहा

प्रेम विवाह के बाद मिल रही जान से मारने की धमकियों के चलते विवाहित जोड़े ने जान की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. शुक्रवार को अवकाश कालीन जज कुमारी प्रभा शर्मा ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों से पुलिस अधीक्षक को प्रतिवेदन देने और पुलिस अधीक्षक को उस पर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए.

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Published : Jun 19, 2020, 10:04 PM IST

Lover Couple's Petition, Jodhpur High Court News
हाई कोर्ट ने नवविवाहित जोड़े की सुरक्षा की याचिका पर की सुनवाई

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को अवकाश कालीन जज कुमारी प्रभा शर्मा ने प्रेम विवाह करने और उनकी जान की सुरक्षा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने याचिकाकर्ता से पुलिस अधीक्षक को प्रतिवेदन देने और पुलिस अधीक्षक को उस पर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. पाली जिले के एक गांव में एक ही समाज के लड़का-लड़की ने प्रेम विवाह किया था. जिस पर उनको जान से मारने की धमकियां मिली थी. जिसको देखते हुए पुलिस सुरक्षा प्रदान करवाने के लिए दोनों की ओर से याचिका दायर की गई थी.

हाई कोर्ट ने नवविवाहित जोड़े की सुरक्षा की याचिका पर की सुनवाई

सुनवाई के दौरान वीसी पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता जावेद खान ने कहा कि याचिकाकर्ता लड़का व लड़की दोनों बालिग हैं. दोनों ने अपनी इच्छा से शादी की है. जिससे उनके परिवार के सदस्य नाराज हैं और उनको जान से मारने की धमकी दे रहे हैं. न्यायहित में याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका को स्वीकार किया जाए और जान की सुरक्षा के लिए पुलिस विभाग से नव विवाहित जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं.

पढ़ें- अमित शाह के ड्रीम प्रोजेक्ट को UIT कोटा ने रोका, कार्यालय के लिए बीजेपी लेगी कोर्ट का सहारा

अधिवक्ता ने दोनों याचिकाकर्ताओं को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया. जिन्होंने कोर्ट को बताया कि वे साथ रहना चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने यह कहते हुए कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलीलों, तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर कोर्ट की यह विचारित राय है कि यदि याचिकाकर्ताओं को उनकी लाइफ व लिबर्टी पर खतरा है तो वे पुलिस अधीक्षक पाली के समक्ष पेश होकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से यह अपेक्षा की है कि उनके समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से इस तरह का प्रतिवेदन पेश किया जाता है तो उस पर उचित रूप से विचार करते हुए आवश्यक लगने पर आदेश पारित कर सकेंगे.

किशोर की जमानत याचिका मंजूर

राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को वेकेशन कोर्ट ने एक 17 वर्षीय किशोर आरोपी की माता के माध्यम से दायर निगरानी याचिका को मंजूर करते हुए किशोर को 25 हजार के बेल बॉन्ड पर जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए. वेकेशन जज जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा ने ट्रायल कोर्ट की ओर से 1 मई 2020 को जारी आदेश और उसे चुनौती देने वाली अपील को पॉक्सो कोर्ट की ओर से 19 मई 2020 को खारिज करने के आदेश को भी निरस्त कर दिया.

पढ़ें- पाली: सीमेंट फैक्ट्री की यूनिट 8 में लगी भीषण आग

याचिकाकर्ता की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता अनुज सहलोत ने कहा कि मामले के सभी बालिग सह अभियुक्तों की जमानतें स्वीकार की जा चुकी हैं. वहीं किशोर को कभी भी किसी कोर्ट द्वारा अभियुक्त नहीं बनाया गया और उसके खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है. इसके बावजूद उदयपुर के सिविल जज व एसीजेएम रेट टिबयूनल उदयपुर-कम-जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, उदयपुर ने किशोर की जमानत खारिज कर दी. वहीं इस आदेश को चुनौती देने वाली अपील को भी उदयपुर के पॉक्सो कोर्ट ने खारिज कर दिया.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को अवकाश कालीन जज कुमारी प्रभा शर्मा ने प्रेम विवाह करने और उनकी जान की सुरक्षा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने याचिकाकर्ता से पुलिस अधीक्षक को प्रतिवेदन देने और पुलिस अधीक्षक को उस पर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. पाली जिले के एक गांव में एक ही समाज के लड़का-लड़की ने प्रेम विवाह किया था. जिस पर उनको जान से मारने की धमकियां मिली थी. जिसको देखते हुए पुलिस सुरक्षा प्रदान करवाने के लिए दोनों की ओर से याचिका दायर की गई थी.

हाई कोर्ट ने नवविवाहित जोड़े की सुरक्षा की याचिका पर की सुनवाई

सुनवाई के दौरान वीसी पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता जावेद खान ने कहा कि याचिकाकर्ता लड़का व लड़की दोनों बालिग हैं. दोनों ने अपनी इच्छा से शादी की है. जिससे उनके परिवार के सदस्य नाराज हैं और उनको जान से मारने की धमकी दे रहे हैं. न्यायहित में याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका को स्वीकार किया जाए और जान की सुरक्षा के लिए पुलिस विभाग से नव विवाहित जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं.

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अधिवक्ता ने दोनों याचिकाकर्ताओं को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया. जिन्होंने कोर्ट को बताया कि वे साथ रहना चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने यह कहते हुए कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलीलों, तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर कोर्ट की यह विचारित राय है कि यदि याचिकाकर्ताओं को उनकी लाइफ व लिबर्टी पर खतरा है तो वे पुलिस अधीक्षक पाली के समक्ष पेश होकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से यह अपेक्षा की है कि उनके समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से इस तरह का प्रतिवेदन पेश किया जाता है तो उस पर उचित रूप से विचार करते हुए आवश्यक लगने पर आदेश पारित कर सकेंगे.

किशोर की जमानत याचिका मंजूर

राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को वेकेशन कोर्ट ने एक 17 वर्षीय किशोर आरोपी की माता के माध्यम से दायर निगरानी याचिका को मंजूर करते हुए किशोर को 25 हजार के बेल बॉन्ड पर जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए. वेकेशन जज जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा ने ट्रायल कोर्ट की ओर से 1 मई 2020 को जारी आदेश और उसे चुनौती देने वाली अपील को पॉक्सो कोर्ट की ओर से 19 मई 2020 को खारिज करने के आदेश को भी निरस्त कर दिया.

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याचिकाकर्ता की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता अनुज सहलोत ने कहा कि मामले के सभी बालिग सह अभियुक्तों की जमानतें स्वीकार की जा चुकी हैं. वहीं किशोर को कभी भी किसी कोर्ट द्वारा अभियुक्त नहीं बनाया गया और उसके खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है. इसके बावजूद उदयपुर के सिविल जज व एसीजेएम रेट टिबयूनल उदयपुर-कम-जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, उदयपुर ने किशोर की जमानत खारिज कर दी. वहीं इस आदेश को चुनौती देने वाली अपील को भी उदयपुर के पॉक्सो कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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