जोधपुर. गरीबों को निशुल्क उपचार उपलब्ध करवाने के लिए प्रदेश में शुरू की गई आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना में निजी अस्पतालों पर नियंत्रण रखने के लिए किए गए बदलाव मरीजों की परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं.
प्रदेश की पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार की भामाशाह योजना के इस नए स्वरूप में कई बीमारियों के उपचार को लेकर गहलोत सरकार ने बाध्यताएं लागू कर दी हैं. जिससे सरकारी अस्पताल ही सफर कर रहे हैं. जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है. दरअसल 30 जनवरी से प्रदेश में शुरू हुई इस योजना में उपचार के जो पैकेज दिए हैं उसमें हृदयरोगियों की होने वाली महत्वपूर्ण जांच एंजियोग्राफी का पैकेज हटा दिया गया है. जबकि एंजियोग्राफी की रिपोर्ट पर होने वाली एंजियोप्लास्टी का पैकेज रखा गया है.
ऐसे में परेशानी इस बात की बढ गई है कि जिन लोगों को वर्तमान में सिर्फ एंजियोग्राफी की जरूरत है. उन्हें इसके लिए जेब से खर्च करना पडेगा. क्योंकि पहले से चल रही मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में भी एंजियोग्राफी शामिल नहीं है. जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में जहां पूरे संभाग से हृदयरोगी आते हैं उनमें कई रोगी इस खामी से परेशान हो रहे हैं.
मरीजों के परिजनों का कहना है कि एंजियोप्लास्टी के साथ एंजियोग्राफी को एप्रूवल मिल रहा है. केवल एंजियोग्राफी को बीमा कंपनी एप्रूव नहीं कर रही हैं. इसके चलते वे परेशान हैं. इधर अस्पताल के अधीक्षक डॉ एमके आसेरी का कहना है कि योजना शुरू हुई है.
कई परेशानियां सामने आ रही हैं. इनमें एंजियोग्राफी का पैकेज नहीं होना भी एक है. जिसको लेकर हमने सरकार को पत्र लिखा है. उम्मीद है कि सरकार इसमें संज्ञान लेकर इसे दुरुस्त करेगी.
लगाम के चक्कर में निजी अस्पतालों को मिली छूट
योजना के अंतर्गत निजी अस्पताल में योजना के लाभान्वित का भर्ती होने के पांच दिन पूर्व का खर्च भी शामिल किया गया है. जिससे कोई जांच होती है तो वह भी निशुल्क हो. लेकिन एंजियोग्राफी जांच जिसका खर्च करीब पांच हजार रुपए आ रहा है.
उसके अभाव में एंजियोप्लास्टी नहीं होती. निजी अस्पतालों में अब हृदयरोगियों से एंजियोग्राफी का शुल्क वसूला जाता है और सात दिन बाद एंजियोप्लास्टी की जाती है. कई मामलों में मरीज को यह कहा जाता है कि एक जांच अपने खर्चे पर करवानी होगी बाकी उपचार निशुल्क हो जाएगा.