जोधपुर. नाबालिग के साथ यौन शोषण के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम द्वारा अपनी सजा के आदेश के विरुद्ध स्थगन प्राप्त करने के लिए लगातार हाईकोर्ट में याचिका लगा रहा है. लेकिन याचिका पर सुनवाई नहीं हो पा रही है. गुरुवार को भी आसाराम की याचिका पर सुनवाई थी लेकिन ऐन मौके पर आसाराम की शिष्या व सह आरोपी रही शिल्पी उर्फ संचिता की ओर से आए मुंबई से एक अधिवक्ता का वकालतनामा नहीं होने से सुनवाई टल गई.
संचिता के साथ-साथ आसाराम और शरद की याचिका पर भी खंडपीठ ने सुनवाई अगले सप्ताह तक टाल दी. न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ में तीनों अपीलें सूचीबद्ध थी. सुनवाई शुरू हुई तो शिल्पी की ओर एक अधिवक्ता ने बहस शुरू करनी चाही, लेकिन कोर्ट ने उनका परिचय पूछा तो पता लगा कि उनका वकालतनामा पेश ही नहीं किया गया है. मुम्बई से आये अधिवक्ता के वकालत नामा नहीं होने पर तीनों की याचिका पर सुनवाई टाल दी गई. अब अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी.
गौरतलब है कि आसाराम को जोधपुर की निचली अदालत ने गत वर्ष नाबालिग के साथ यौन शोषण के आरोप में आजीवन कारावास प्राकृतिक जीवन तक की सजा सुनाई थी. आसाराम के साथी शिल्पी व शरद को भी 20 साल की सजा सुनाई गई थी. लेकिन दोनों को सजा के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट से स्थगन मिल गया. जिसके चलते दोनों की जमानत हो गई थी. दोनों की ओर से फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई होनी थी. लेकिन वकालत नामे की कमी के चलते टल गई.