जोधपुर. अपने ही आश्रम की नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) में आज सोमवार को सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को मामले में बयान के लिए तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा को पेश होना था, लेकिन उनकी ओर से सरकारी अधिवक्ता ने स्वास्थ्य का हवाला देकर हाजिरी माफी पेश कर दी. कोर्ट ने अब इस मामले (Asaram Case Hearing In Jodhpur) में अगली सुनवाई 22 मार्च की दी है.
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर राजस्थान हाईकोर्ट में आसाराम के अधिवक्ताओं की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा को बयान के लिए तलब किया था. बता दें, आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने सीआरपीसी की धारा 391 के तहत प्रार्थना पत्र पेश किया, जो तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लाम्बा से संबंधित है. उन्होंने अपनी एक पुस्तक आसाराम को लेकर लिखी है. उसको आधार बनाकर आसाराम के अधिवक्ता तत्कालीन डीसीपी लाम्बा जो कि इस केस में अधिकारी थे उसकी साक्ष्य करवाना चाहते हैं.
पढ़ें- आसाराम के प्रार्थना पत्र को राजस्थान हाईकोर्ट ने मंजूरी दी
उन्होंने तत्कालीन डीसीपी लाम्बा को न्यायालय में बुलाने और साक्ष्य दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र पेश कर रखा है. तत्कालीन डीसीपी लाम्बा ने ही आसाराम को गिरफ्तार किया था और अपराध स्थल की जांच करते हुए वीडियोग्राफी करवाई थी. अब आसाराम के अधिवक्ता उसी को आधार बनाकर दोबारा साक्ष्य करवाना चाहते हैं. कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए तत्काल डीसीपी लांबा को साक्ष्य के लिए आज तलब किया था.