जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने तहसीलदार द्वारा मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के बाद स्वयं द्वारा ही उसे रद्द करने के मामले में सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश पारित करने के साथ ही नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब तलब किया गया है. न्यायाधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की अदालत ने ग्राम पंचायत पीथासर निवासी शारदा चौधरी की याचिका पर नोटिस जारी किया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बुद्धाराम चौधरी ने बताया कि तहसीलदार बापिणी के कार्यालय में मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया, जिस पर दस्तावेज की जांच पड़ताल के बाद तहसीलदार बापिणी के द्वारा दिनांक 9 फरवरी 2021 को मूल निवास प्रमाण पत्र जारी किया गया.
इसके बाद तहसीलदार बापिणी ने मूल निवास जारीकर्ता शारदा चौधरी को बिना कोई नोटिस दिए 7 दिन बाद ही दिनांक 16 फरवरी 2021 को मूल निवास प्रमाण पत्र यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मूल निवास आवेदन के साथ वैध दस्तावेज नहीं पाए गए, जिस पर शारदा चौधरी द्वारा अपने अधिवक्ता के मार्फत कानूनी नोटिस भेजा गया, जिसमें पूर्व में जारी मूल निवास को बाहल रखने का निवेदन किया. इसके बावजूद भी तहसीलदार बापिणी कार्रवाई को जारी रखा गया. इसके बाद याचिकाकर्ता शारदा चौधरी द्वारा अपने अधिवक्ता के मार्फत राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसकी सुनवाई एकल पीठ में हुई.
यह भी पढ़ें- सहाड़ा उपचुनाव में पितलिया ने नाक कटवा दी बीजेपी नेताओं की- खाचरियावास
अधिवक्ता ने बताया कि पूर्व में जारी मूल निवास प्रमाण पत्र के साथ वैध दस्तावेज संलग्न थे, जिसकी पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही मूल निवास प्रमाण पत्र जारी हुआ जो सही है, लेकिन तहसीलदार द्वारा आवेदन के साथ चलन दस्तावेज को वैध नहीं मानते हुए साथ में उस गांव पीथासर की मतदाता सूची संलग्न नहीं होना मानते हुए जारी मूल निवास प्रमाण पत्र को खारिज किया गया. जबकि गांव 2 वर्ष पूर्व में ही नवसृजित पंचायत का परिसीमन किया गया है. साथ ही न्यायालय को बताया गया कि याचिकाकर्ता की चल अचल संपत्ति उक्त गांव में ही स्थित है. इस पर न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार बापिणी के आदेश दिनांक 16 फरवरी 2021 पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं.