जोधपुर. सिख गुरु गुरुनानक देव 409 साल पहले सन् 1510 के अप्रैल-मई महीने में जोधपुर की यात्रा की थी. भक्त चरणजीत सिंह छाबड़ा ने करीब 9 साल शोध कर बताया कि गुरुनानक देव जोधपुर आए थे. उन्होंने बताया कि उनकी यह यात्रा सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई और भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे थे. वे यहां पर चांदपोल की पहाड़ियों में रुके थे और उनकी सेवा पुष्करणा ब्राह्मण की थी.
चरणजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि गुरुनानक देव ने चांदपोल में भक्तों को प्रवचन भी दिया था. उन्होंने बताया कि इस जानकारी से जोधपुर के लोग वंचित थे. बता दें कि जोधपुर में गुरुनानक देव के आने का जिक्र सिंह सभा गुरुद्वारे के ज्ञानी लाभ सिंह ने 1939 की एक पुस्तक में किया. इस किताब में एक नक्शा था, जिसके आधार पर छाबड़ा ने करीब 9 वर्ष तक जगह-जगह जाकर तथ्य एकत्र किए. वहीं, छाबड़ा इस दौरान पुरातत्व विभाग भी गए. साथ ही बीकानेर और लाडनूं से भी गुरुनानक देव के जोधपुर यात्रा की जानकारी जुटाई.
जोधपुर में ब्राह्मण श्यामादास, रामसर के राजपूत और शेरगढ़ परगना के सुथरा साह भी गुरुनानक देव के संपर्क में आए थे. छाबड़ा के अनुसार गुरुनानक देव की दूसरी यात्रा राजस्थान में होने का सभी ग्रंथों और दस्तावेजों में उल्लेख मिला तो जोधपुर को लेकर जिज्ञासा जगी. उन्होंने बताया कि 9 साल तक पूरी यात्रा की पड़ताल कर नक्शे और किताबें जुटाई, इसके बाद जोधपुर यात्रा की जानकारी प्राप्त हुई.
यात्रा का मार्ग
सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई यात्रा, भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे. पुष्कर से आबू पर्वत की ओर गए थे. गुरुनानक ने अपने जीवन के 24 वर्षों में 2 उपमहाद्वीप और 60 प्रमुख शहरों की पैदल यात्रा की थी. उनकी यात्राओं का उद्देश्य ऊंच-नीच, जात-पात और अंधविश्वास आदि से ऊपर उठकर आपसी सद्भाव और समानता कायम करना था.
जोधपुर में गुरु गोविंद सिंह से जुड़े अवशेष
जोधपुर के गुरुद्वारा सिंह सभा में 10वें गुरु गोविंद सिंह से जुड़े अवशेष सुरक्षित रखे हुए हैं. बता दें कि यहां पर वह पलंग रखा गया है, जिस पर गुरु गोविंद सिंह विश्राम करते थे. यह पलंग पीर बुद्धशाह ने 1110 हिजरी सन में गुरु को भेंट किया था. बाद में उनके सिपाह सालार के पास चला गया. जिनके परिवार से जोधपुर के गुरुद्वारा सिंह सभा ने यह पलंग प्राप्त किया.