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400 साल पहले जोधपुर आए थे गुरुनानक देव, 9 साल की शोध के बाद चरणजीत सिंह छाबड़ा ने किया दावा - Sikh Guru Gurunanak Dev News

सिख गुरु गुरुनानक देव अपनी यात्रा के दौरान जोधपुर भी आए थे. भक्त चरणजीत सिंह छाबड़ा ने 9 साल की शोध के बाद इस बात का दावा किया है. छाबड़ा ने 1939 की एक पुस्तक के आधार पर करीब 9 वर्ष तक जगह-जगह जाकर तथ्य एकत्रित किए और इस बात का दावा किया है.

सिख गुरु आए थे जोधपुर, Sikh Guru came to Jodhpur
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Published : Nov 12, 2019, 10:36 PM IST

जोधपुर. सिख गुरु गुरुनानक देव 409 साल पहले सन् 1510 के अप्रैल-मई महीने में जोधपुर की यात्रा की थी. भक्त चरणजीत सिंह छाबड़ा ने करीब 9 साल शोध कर बताया कि गुरुनानक देव जोधपुर आए थे. उन्होंने बताया कि उनकी यह यात्रा सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई और भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे थे. वे यहां पर चांदपोल की पहाड़ियों में रुके थे और उनकी सेवा पुष्करणा ब्राह्मण की थी.

400 साल पहले जोधपुर आए थे गुरुनानक देव

चरणजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि गुरुनानक देव ने चांदपोल में भक्तों को प्रवचन भी दिया था. उन्होंने बताया कि इस जानकारी से जोधपुर के लोग वंचित थे. बता दें कि जोधपुर में गुरुनानक देव के आने का जिक्र सिंह सभा गुरुद्वारे के ज्ञानी लाभ सिंह ने 1939 की एक पुस्तक में किया. इस किताब में एक नक्शा था, जिसके आधार पर छाबड़ा ने करीब 9 वर्ष तक जगह-जगह जाकर तथ्य एकत्र किए. वहीं, छाबड़ा इस दौरान पुरातत्व विभाग भी गए. साथ ही बीकानेर और लाडनूं से भी गुरुनानक देव के जोधपुर यात्रा की जानकारी जुटाई.

पढ़ें- 550वां प्रकाश पर्व स्पेशल : सिखों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र है जयपुर का ये गुरुद्वारा, गुरु ने ली थी शिष्यों की बड़ी परीक्षा

जोधपुर में ब्राह्मण श्यामादास, रामसर के राजपूत और शेरगढ़ परगना के सुथरा साह भी गुरुनानक देव के संपर्क में आए थे. छाबड़ा के अनुसार गुरुनानक देव की दूसरी यात्रा राजस्थान में होने का सभी ग्रंथों और दस्तावेजों में उल्लेख मिला तो जोधपुर को लेकर जिज्ञासा जगी. उन्होंने बताया कि 9 साल तक पूरी यात्रा की पड़ताल कर नक्शे और किताबें जुटाई, इसके बाद जोधपुर यात्रा की जानकारी प्राप्त हुई.

यात्रा का मार्ग

सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई यात्रा, भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे. पुष्कर से आबू पर्वत की ओर गए थे. गुरुनानक ने अपने जीवन के 24 वर्षों में 2 उपमहाद्वीप और 60 प्रमुख शहरों की पैदल यात्रा की थी. उनकी यात्राओं का उद्देश्य ऊंच-नीच, जात-पात और अंधविश्वास आदि से ऊपर उठकर आपसी सद्भाव और समानता कायम करना था.

पढ़ें- 550वां प्रकाश पर्व स्पेशल: जयपुर के नरेना में स्थापित ये पैनोरमा दिलाता है सिख इतिहास और उनके बलिदान की याद​​​​​​​

जोधपुर में गुरु गोविंद सिंह से जुड़े अवशेष

जोधपुर के गुरुद्वारा सिंह सभा में 10वें गुरु गोविंद सिंह से जुड़े अवशेष सुरक्षित रखे हुए हैं. बता दें कि यहां पर वह पलंग रखा गया है, जिस पर गुरु गोविंद ​सिंह विश्राम करते थे. यह पलंग पीर बुद्धशाह ने 1110 हिजरी सन में गुरु को भेंट किया था. बाद में उनके सिपाह सालार के पास चला गया. जिनके परिवार से जोधपुर के गुरुद्वारा सिंह सभा ने यह पलंग प्राप्त किया.

जोधपुर. सिख गुरु गुरुनानक देव 409 साल पहले सन् 1510 के अप्रैल-मई महीने में जोधपुर की यात्रा की थी. भक्त चरणजीत सिंह छाबड़ा ने करीब 9 साल शोध कर बताया कि गुरुनानक देव जोधपुर आए थे. उन्होंने बताया कि उनकी यह यात्रा सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई और भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे थे. वे यहां पर चांदपोल की पहाड़ियों में रुके थे और उनकी सेवा पुष्करणा ब्राह्मण की थी.

400 साल पहले जोधपुर आए थे गुरुनानक देव

चरणजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि गुरुनानक देव ने चांदपोल में भक्तों को प्रवचन भी दिया था. उन्होंने बताया कि इस जानकारी से जोधपुर के लोग वंचित थे. बता दें कि जोधपुर में गुरुनानक देव के आने का जिक्र सिंह सभा गुरुद्वारे के ज्ञानी लाभ सिंह ने 1939 की एक पुस्तक में किया. इस किताब में एक नक्शा था, जिसके आधार पर छाबड़ा ने करीब 9 वर्ष तक जगह-जगह जाकर तथ्य एकत्र किए. वहीं, छाबड़ा इस दौरान पुरातत्व विभाग भी गए. साथ ही बीकानेर और लाडनूं से भी गुरुनानक देव के जोधपुर यात्रा की जानकारी जुटाई.

पढ़ें- 550वां प्रकाश पर्व स्पेशल : सिखों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र है जयपुर का ये गुरुद्वारा, गुरु ने ली थी शिष्यों की बड़ी परीक्षा

जोधपुर में ब्राह्मण श्यामादास, रामसर के राजपूत और शेरगढ़ परगना के सुथरा साह भी गुरुनानक देव के संपर्क में आए थे. छाबड़ा के अनुसार गुरुनानक देव की दूसरी यात्रा राजस्थान में होने का सभी ग्रंथों और दस्तावेजों में उल्लेख मिला तो जोधपुर को लेकर जिज्ञासा जगी. उन्होंने बताया कि 9 साल तक पूरी यात्रा की पड़ताल कर नक्शे और किताबें जुटाई, इसके बाद जोधपुर यात्रा की जानकारी प्राप्त हुई.

यात्रा का मार्ग

सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई यात्रा, भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे. पुष्कर से आबू पर्वत की ओर गए थे. गुरुनानक ने अपने जीवन के 24 वर्षों में 2 उपमहाद्वीप और 60 प्रमुख शहरों की पैदल यात्रा की थी. उनकी यात्राओं का उद्देश्य ऊंच-नीच, जात-पात और अंधविश्वास आदि से ऊपर उठकर आपसी सद्भाव और समानता कायम करना था.

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जोधपुर में गुरु गोविंद सिंह से जुड़े अवशेष

जोधपुर के गुरुद्वारा सिंह सभा में 10वें गुरु गोविंद सिंह से जुड़े अवशेष सुरक्षित रखे हुए हैं. बता दें कि यहां पर वह पलंग रखा गया है, जिस पर गुरु गोविंद ​सिंह विश्राम करते थे. यह पलंग पीर बुद्धशाह ने 1110 हिजरी सन में गुरु को भेंट किया था. बाद में उनके सिपाह सालार के पास चला गया. जिनके परिवार से जोधपुर के गुरुद्वारा सिंह सभा ने यह पलंग प्राप्त किया.

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Body:400 साल पहले  गुरुनानकदेव जोधपुर आए थे, 9 साल की शोध के बाद भक्त ने की दावा


जोधपुर।  सिक्ख् गुरु गुरुनानक देव अपनी यात्रा के दौरान जोधपुर भी आए थे। यह यात्रा 409 साल पहले सन् 1510 के अप्रैल-मई माह में हुई थी। गुरुनानक देव के जोधपुर आने की यात्रा पर उनके भक्त व्यावसायी चरणजीतसिंह छाबडा ने करीब 9 साल शोध कर बताया  कि उनकी यह यात्रा सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई और भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे थे। वे यहां पर चांदपोल की पहाड़ियों में रुके थे। उनकी सेवा पुष्करणा ब्राह्मण की थी। छाबड़ा ने बताया कि गुरुनानक देव ने चांदपाेल में भक्तों को प्रवचन भी दिया। इस जानकारी से जोधपुर के लोग ​वंचित थे। जोधपुर में गुरुनानक देव के आने का जिक्र सिंह सभा गुरुद्यारे के ज्ञानी लाभसिंह ने 1939 की एक पुस्तक में किया। इस किताब में एक नक्शा था जिसके आधार पर छाबडा ने करीब नौ वर्ष तक जगह—जगह जाकर तथ्य एकत्र किए इस दौरान वे पुरातत्व विभाग भी गए,इसके अलावा बीकानेर व लाडनूं से भी इस यात्रा की जानकारी जुटाई। जोधपुर में ब्राहृमण श्यामादास,रामसर के राजूपत व शेरगढ परगना के सुथरा शाह ने गुरुनानक देव के संपर्क  में आए थे। छाबडा के  अनुसार गुरुनानक देव की दूसरी यात्रा राजस्थान में होने का सभी ग्रंथों और दस्तावेजों में उल्लेख मिला तो जोधपुर को लेकर जिज्ञासा जगी। 9 साल तक पूरी यात्रा की पड़ताल कर नक्शे और किताबें जुटाई, इसके बाद जोधपुर यात्रा की जानकारी प्राप्त हुई। 

यह था यात्रा का मार्ग

सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई यात्रा, भटिंडा, सिरसा के रास्ते बीकानेर से जालापट्‌टी, जैसलमेर, पोकरण से जोधपुर पहुंचे, पुष्कर से आबू पर्वत की ओर गए थे। गुरुनानक ने अपने जीवन के 24  बरसों में दो उपमहादिृवप व 60 प्रमुख शहरों की पैदल यात्रा की थी। उनकी यात्राओं का उदृेश्य ऊंच-नीच, जात-पांत, अंधविश्वास आदि से उपर उठकर  आपसी सद्भाव, समानता कायम करना था। 

जोधपुर में गुरु  गोविंद सिंह से जुडे अवशेष्
जोधपुर के  गुरुद्वारा सिंह सभा में दसवें गुरु गोविंदसिंह से  जुडे अवशेष  सुरक्षित रखे हुए हैं। यहां वह पलंग रखागया है  जिस पर गुरु गोविंद​सिंह  विश्राम  करते  थे। यह  पलंग  पीर बुद्धशाह  ने 1110 हिजरी सन  में गुरु को  भेंट किया  था। बाद में उनके सिपाह सालार के पास चला गया। जिनके परिवार से जोधपुर के गुरुद्धारासिंह सभा ने यह पलंग प्राप्त किया।

बाईट 1 से  3 : चरणजीतसिंह छाबडा,  भक्त
बाईट 4, सतविंदर सिंह, सेवादार गुरुद्वारा सिंह सभा


Conclusion:
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