जोधपुर. देश की आजादी में स्वतंत्रता सेनानी के सहयोग को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन 1959 लागू की थी. इसके पैरा 10 में यह प्रवधान किया गया है कि स्वतंत्रता सैनानियों के पौत्र-पौत्री को प्रदेश की सरकारी स्कूलों, कॉलेज, विश्विद्यालय में निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है. इसके तहत स्वर्गीय स्वतन्त्रता सेनानी सुखदेव प्रसाद टांक के पौत्र ललित सेन ने जेएनवीयू में प्रवेश के लिए आवेदन किया था. लेकिन, विश्विद्यालय ने ऐसा नियम नहीं होने का हवाला देते हुए प्रवेश देने से ही इंकार कर दिया.
वहीं जब उसने राज्य सरकार के आदेश की कॉपी उपलब्ध करवाई. तो इसके बाद सरकारी वेबसाइट पर जांच के बाद इसमें 2018 में संसोधन कर प्रवेश मिलने पर फीस में छूट देने की बात कह दी, लेकिन प्रवेश नहीं दिया. अब ललित दो साल से इस बात के लिए संघर्ष कर रहा है कि उसे प्रवेश दिया जाए. ललित विश्विद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है.
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ललित के दाद ने देश की आजादी के आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन के साथ 1955 में डाकुओं के खिलाफ अपना मोर्चा खोला था. स्वतंत्रता आंदोलन में उनके द्वारा दिए गए सहयोग के बाद राज्य सरकार ने उन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया था.
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ललित का आरोप है कि जेएनवीयू प्रशासन स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार को सम्मान नहीं दे रहा है. उसकी माने तो उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक इस मामले में गुहार लगाई है. लेकिन, उसे आज दिन तक कहीं से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
जब इस पूरे मामले पर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अयूब खान से बात की गई तो तो उन्होंने कहा कि यह मामला अब उनके सामने आया है. वह इस मामले में जांच करेंगे. साथ ही यह भी कहा कि आगामी होने वाली जेएनवीयू अकादमी काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा. अकादमिक काउंसिल के निर्णय के बाद वह बता पाएंगे कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रवेश के हकदार है या फिर खाली फीस की छूट के हकदार.