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जोधपुरः स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र को नहीं मिल रहा विश्वविद्यालय में प्रवेश...2 साल से काट रहा चक्कर - विश्वविद्यालय में प्रवेश

सरकारें स्वतंत्रता सेनानियों के लिए समय-समय पर कई आदेश जारी करती है पर कई योजनाओं का लाभ स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों तक नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसा ही मामला जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में सामने आया है, जहां जिले के कवासपुरा गांव मे रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव प्रसाद टांक का पौत्र पिछले 2 सालों से विश्विद्यालय में प्रवेश के लिए चक्कर काट रहा है, लेकिन विश्वविद्यालय नियम नहीं होने का हवाला देकर उसे प्रवेश नहीं दे रहा है.

jhodpur news, जोधपुर न्यूज
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Published : Sep 18, 2019, 7:31 PM IST

जोधपुर. देश की आजादी में स्वतंत्रता सेनानी के सहयोग को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन 1959 लागू की थी. इसके पैरा 10 में यह प्रवधान किया गया है कि स्वतंत्रता सैनानियों के पौत्र-पौत्री को प्रदेश की सरकारी स्कूलों, कॉलेज, विश्विद्यालय में निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है. इसके तहत स्वर्गीय स्वतन्त्रता सेनानी सुखदेव प्रसाद टांक के पौत्र ललित सेन ने जेएनवीयू में प्रवेश के लिए आवेदन किया था. लेकिन, विश्विद्यालय ने ऐसा नियम नहीं होने का हवाला देते हुए प्रवेश देने से ही इंकार कर दिया.

स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र को नही मिल रहा लाभ

वहीं जब उसने राज्य सरकार के आदेश की कॉपी उपलब्ध करवाई. तो इसके बाद सरकारी वेबसाइट पर जांच के बाद इसमें 2018 में संसोधन कर प्रवेश मिलने पर फीस में छूट देने की बात कह दी, लेकिन प्रवेश नहीं दिया. अब ललित दो साल से इस बात के लिए संघर्ष कर रहा है कि उसे प्रवेश दिया जाए. ललित विश्विद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है.

इसे भी पढे़ं- अयोध्या केस मामले में SC में हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने की मध्यस्थता की पेशकश

ललित के दाद ने देश की आजादी के आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन के साथ 1955 में डाकुओं के खिलाफ अपना मोर्चा खोला था. स्वतंत्रता आंदोलन में उनके द्वारा दिए गए सहयोग के बाद राज्य सरकार ने उन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया था.

पढ़ें : गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी सीएम गहलोत को चिट्ठी, केंद्रीय कानूनों में हो रहे संशोधन पर मांगे सुझाव

ललित का आरोप है कि जेएनवीयू प्रशासन स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार को सम्मान नहीं दे रहा है. उसकी माने तो उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक इस मामले में गुहार लगाई है. लेकिन, उसे आज दिन तक कहीं से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

जब इस पूरे मामले पर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अयूब खान से बात की गई तो तो उन्होंने कहा कि यह मामला अब उनके सामने आया है. वह इस मामले में जांच करेंगे. साथ ही यह भी कहा कि आगामी होने वाली जेएनवीयू अकादमी काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा. अकादमिक काउंसिल के निर्णय के बाद वह बता पाएंगे कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रवेश के हकदार है या फिर खाली फीस की छूट के हकदार.

जोधपुर. देश की आजादी में स्वतंत्रता सेनानी के सहयोग को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन 1959 लागू की थी. इसके पैरा 10 में यह प्रवधान किया गया है कि स्वतंत्रता सैनानियों के पौत्र-पौत्री को प्रदेश की सरकारी स्कूलों, कॉलेज, विश्विद्यालय में निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है. इसके तहत स्वर्गीय स्वतन्त्रता सेनानी सुखदेव प्रसाद टांक के पौत्र ललित सेन ने जेएनवीयू में प्रवेश के लिए आवेदन किया था. लेकिन, विश्विद्यालय ने ऐसा नियम नहीं होने का हवाला देते हुए प्रवेश देने से ही इंकार कर दिया.

स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र को नही मिल रहा लाभ

वहीं जब उसने राज्य सरकार के आदेश की कॉपी उपलब्ध करवाई. तो इसके बाद सरकारी वेबसाइट पर जांच के बाद इसमें 2018 में संसोधन कर प्रवेश मिलने पर फीस में छूट देने की बात कह दी, लेकिन प्रवेश नहीं दिया. अब ललित दो साल से इस बात के लिए संघर्ष कर रहा है कि उसे प्रवेश दिया जाए. ललित विश्विद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है.

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ललित के दाद ने देश की आजादी के आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन के साथ 1955 में डाकुओं के खिलाफ अपना मोर्चा खोला था. स्वतंत्रता आंदोलन में उनके द्वारा दिए गए सहयोग के बाद राज्य सरकार ने उन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया था.

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ललित का आरोप है कि जेएनवीयू प्रशासन स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार को सम्मान नहीं दे रहा है. उसकी माने तो उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक इस मामले में गुहार लगाई है. लेकिन, उसे आज दिन तक कहीं से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

जब इस पूरे मामले पर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अयूब खान से बात की गई तो तो उन्होंने कहा कि यह मामला अब उनके सामने आया है. वह इस मामले में जांच करेंगे. साथ ही यह भी कहा कि आगामी होने वाली जेएनवीयू अकादमी काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा. अकादमिक काउंसिल के निर्णय के बाद वह बता पाएंगे कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रवेश के हकदार है या फिर खाली फीस की छूट के हकदार.

Intro:जोधपुर
केंद्र ओर राज्य सरकार देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लाभ देने को लेकर कई दावे करती है। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए समय-समय पर सरकार ने आदेश भी जारी किए, लेकिन सरकारी कर्मचारी उनकी लापरवाही का नतीजा है कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को आज भी इनका लाभ नहीं मिल रहा। ताजा मामला जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में सामने आया। जहां जोधपुर जिले के कवासपुरा गाँव मे रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव प्रसाद टाक के पौत्र पिछले 2 सालों से विश्विद्यालय में प्रवेश के लिए चक्कर काट रहा है, लेकिन विश्वविद्यालय है कि ऐसे नियम नहीं होने का हवाला देकर उसे चक्कर कटवा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवार का यह कैसा सम्मान??
Body:देश की आजादी के लिए आंदोलन में जोधपुर जिले की एक कवासपुरा निवासी स्वर्गीय सुखदेव प्रसाद टाक ने किसान आंदोलन मजदूर आंदोलन के साथ 1955 में इलाके में डाकुओं के खिलाफ अपना मोर्चा खोला था। स्वतंत्रता आंदोलन में उनके द्वारा दिए गए सहयोग के बाद राज्य सरकार ने उन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया। देश की आजादी में स्वतंत्रता सैनानी के सहयोग को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने स्वतंत्रता सैनानी सम्मान पेंशन 1959 लागू की। इसके पैरा 10 में यह प्रवधान किया कि स्वतंत्रता सैनानियों के पौत्र पौत्री को प्रदेश की सरकारी स्कूलों, कॉलेज, विश्विद्यालय में निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। इसके तहत स्वर्गीय स्वतन्त्रता सेनानी सुखदेव प्रसाद टाक के पौत्र ललित सेन ने जेएनवीयू में प्रवेश के लिए आवेदन किया। लेकिन विश्विद्यालय ने ऐसा नियम नही होने का हवाला देते हुए प्रवेश देने से ही इनकार कर दिया, जब उसने राज्य सरकार के आदेश की कॉपी उपलब्ध करवाई। इसके बाद सरकारी वेबसाइट पर जांच के बाद इसमें 2018 में संसोधन कर प्रवेश मिलने पर फीस में छूट देने की बात कह दी,लेकिन प्रवेश नही दिया, अब ललित दो साल से इस बात के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि उन्हें प्रवेश दिया जाए,लेकिन जेएनवीयू प्रवेश तक नही दे रहा। ऐसे में ललित विश्विद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है। उनकी पीड़ा को कोई सुनने को तैयार नही।Conclusion:ललित का आरोप है कि जेएनवीयू प्रशासन स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को यह कौन सा सम्मान दे रहे हैं ! ललित की माने तो उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री ,राज्यपाल, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक इस मामले में गुहार लगाई, लेकिन उसे आज दिन तक कहीं से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जब इस पूरे मामले पर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अयूब खान से बात की तो पहले तो उन्होंने कहा कि यह मामला अब उनके सामने आया है । वह इस मामले में जांच करेंगे। साथ ही यह भी कहा कि आगामी होने वाली जेएनवीयू अकादमी काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा। अकादमिक काउंसिल के निर्णय के बाद वह बता पाएंगे कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रवेश के हकदार है या फिर खाली फीस की छूट के हकदार।

बाईट-ललित सेन, स्वतंत्रता सैनानी के पौत्र, जोधपुर

बाईट-अयूब खान, रजिस्ट्रार, जेएनवीयू, जोधपुर




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