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गुरु गणपति बन गए 'इश्किया गजानन'...प्रेमियों की भी होती है मनोकामना पूर्ण

जोधपुर के आड़ा बाजार जूनी मंडी में एक गणेश मंदिर ऐसा है, जहां प्रेमियों की मनोकामना पूरी होती है. जिनकी शादी नहीं होती है वो भी यही पर ढोक लगाते हैं. बता दें कि इस मंदिर में युवाओं की खास आस्था है.

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Published : Sep 11, 2019, 7:55 PM IST

जोधपुर. हर गणेश मंदिर की अपनी-अपनी मान्यता होती है. जिससे वह प्रसिद्ध होता है. जोधपुर के आड़ा बाजार जूनी मंडी में एक गणेश मंदिर ऐसा है जहां की भी मनोकामना पूरी होती हैं. जिनकी शादी नहीं होती है वो भी यही पर ढोक लगाते हैं. इसके चलते कभी गुरु गणपति के नाम से जाना जाने वाला मंदिर अब इश्किया गजानन जी के नाम से मशहूर है.

जोधपुर का गणेश मंदिर जो इश्किया गजानन नाम से जाना जाता है

मंदिर के पुजारी योगेश त्रिवेदी बताते हैं कि बरसों पहले किसी की यहां इच्छानुसार शादी होने की मनोकामना पूरी हुई थी. इसके बाद से इश्किया गजानन के नाम से यह मंदिर मशहूर हो गया. मंदिर के प्रति लोगों की आस्था ऐसी है कि यहां श्रद्धालु नियमित रूप से बरसों से दर्शन करने आते हैं.

श्रद्धालुओं का यह मानना है कि हमारी मनोकामना यहां हमेशा पूरी होती हैं.श्रद्धालुओं के साथ साथ यहां प्रेमी जोड़े भी देखे जा सकते हैं. खास तौर से बुधवार को यहां श्रद्धालू ज्यादा आते हैं.

यह भी पढ़ें : प्रदेश भर में 24 घंटे के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी

तालाब से 100 साल पहले निकली थी मूर्ति

इश्किया गणेश जी की मूर्ती के बारे में कहा जाता है कि जोधपुर के महाराजा मानसिंह के काल में शहर के गुरों के तालाब की खुदाई के दौरान यह मूर्ति मिली थी. जिसे बाद में जूनी मंडी की गली में विक्रम संवत 1969 में स्थापित किया गया था. इस हिसाब से यह मंदिर100 वर्ष से अधिक पुराना है.

यह भी पढ़ें : राज्यपाल कलराज मिश्र ने शहीदों को नमन कर शुरू किया अपना कार्यकाल

40 साल से बोला जाता है इश्किया नाम

बताया जाता है कि करीब 40 साल पहले एक व्यक्ति जो किसी से प्रेम करता था उसका विवाह अपनी प्रेमिका से हो गया था. जिसके बाद वो हमेशा गुरु गणपति के मंदिर आता था. हठाईबाजों को जब इसका पता चला तो उन्होंने मंदिर का नाम इश्किया गजानन जी रख दिया था.

जोधपुर. हर गणेश मंदिर की अपनी-अपनी मान्यता होती है. जिससे वह प्रसिद्ध होता है. जोधपुर के आड़ा बाजार जूनी मंडी में एक गणेश मंदिर ऐसा है जहां की भी मनोकामना पूरी होती हैं. जिनकी शादी नहीं होती है वो भी यही पर ढोक लगाते हैं. इसके चलते कभी गुरु गणपति के नाम से जाना जाने वाला मंदिर अब इश्किया गजानन जी के नाम से मशहूर है.

जोधपुर का गणेश मंदिर जो इश्किया गजानन नाम से जाना जाता है

मंदिर के पुजारी योगेश त्रिवेदी बताते हैं कि बरसों पहले किसी की यहां इच्छानुसार शादी होने की मनोकामना पूरी हुई थी. इसके बाद से इश्किया गजानन के नाम से यह मंदिर मशहूर हो गया. मंदिर के प्रति लोगों की आस्था ऐसी है कि यहां श्रद्धालु नियमित रूप से बरसों से दर्शन करने आते हैं.

श्रद्धालुओं का यह मानना है कि हमारी मनोकामना यहां हमेशा पूरी होती हैं.श्रद्धालुओं के साथ साथ यहां प्रेमी जोड़े भी देखे जा सकते हैं. खास तौर से बुधवार को यहां श्रद्धालू ज्यादा आते हैं.

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तालाब से 100 साल पहले निकली थी मूर्ति

इश्किया गणेश जी की मूर्ती के बारे में कहा जाता है कि जोधपुर के महाराजा मानसिंह के काल में शहर के गुरों के तालाब की खुदाई के दौरान यह मूर्ति मिली थी. जिसे बाद में जूनी मंडी की गली में विक्रम संवत 1969 में स्थापित किया गया था. इस हिसाब से यह मंदिर100 वर्ष से अधिक पुराना है.

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40 साल से बोला जाता है इश्किया नाम

बताया जाता है कि करीब 40 साल पहले एक व्यक्ति जो किसी से प्रेम करता था उसका विवाह अपनी प्रेमिका से हो गया था. जिसके बाद वो हमेशा गुरु गणपति के मंदिर आता था. हठाईबाजों को जब इसका पता चला तो उन्होंने मंदिर का नाम इश्किया गजानन जी रख दिया था.

Intro:जोधपुर। हर शहर में कहीं न कहीं गणेश मंदिर की मान्यता होती है और वह मंदिर उससे ही प्रसिद्ध होता है। जोधपुर के आड़ा बाजार जूनी मंडी में एक गणेश मंदिर ऐसा भी है जहां प्रेमियों की भी मनोकामना पूरी होती है , जिनकी शादी नही होती है वो भी यही पर ढोक लगाते है। इसके चलते कभी गुरु गणपति के नाम से जाना जाने वाला मंदिर अब इश्किया गजानन जी के नाम से मशहूर है। मंदिर के पुजारी योगेश त्रिवेदी बताते है कि बरसों पहले किसी की यहां इच्छानुसार शादी होने की मनोकामना पूरी हुई थी। इसके बाद से इश्किया गजानन के नाम से यह मंदिर मशहूर हो गया । मंदिर के प्रति लोगों का आस्था ऐसी है कि यहां श्रद्धालु नियमित रूप से बरसों से दर्शन करने आते है। सभी का यह मानना है कि हमारी मनोकामना यहां हमेशा पूरी होती है।  श्रद्धालुओं के साथ साथ यहां प्रेमी जोड़े भी देखे जा सकते है। खास तौर से  बुधवार को यहां श्रद्धालू ज्यादा आते है।  तालाब से 100 साल पहले निकली थी मूर्ति इश्किया गणेश जी की मूर्ती के बारे में कहा जाता है कि जोधपुर के।महाराजा मानसिंह के काल मे शहर के गुरों के तालाब की खुदाई के दौरान यह मूर्ति मिली थी। जिसे बाद में जूनी मंडी के की गली में विक्रम संवत 1969 में स्थापित किया गया था। इस हिसाब से 100 वर्ष से अधिक पुराना है यह मंदिर।


Body:40 साल से इश्किया नाम गुरु गणपति मंदिर के आस पास के भीतरी क्षेत्र में लोगों के बात करने के लिए बहुत संख्या हथाईयां है। यहां शहरवासी शाम से देर रात तक सभी मुद्दों पर बात करते है।।बताया जाता है कि करीब 40 साल पहले एक व्यक्ति जो किसी से प्रेम करता था  उसका विवाह उंससे हो गया था। इसके लिए वो हमेशा गुरु गणपति के मंदिर आता था। हठाईबाजों को जब इसका पता चला तो उन्होंने मंदिर का नाम इश्किया गजानन जी रख दिया।   Bite 1 योगेश त्रिवेदी, पुजारी Bite 2, 3 श्रद्धालू


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