जोधपुर. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कामेगौड़ा जैसे व्यक्तियों को आगे लाने की अनूठी पहल की है. शेखावत ने कहा है कि यदि आपके आसपास कामेगौड़ा जैसे लोग हैं या आप स्वयं इस कार्य में लगे हैं तो अपनी कहानी मुझसे साझा करें. मैं ऐसे लोगों की मदद करूंगा.
शेखावत ने कहा कि जैसे दशरथ मांझी ने पहाड़ के बीच से रास्ता निकाला, वैसे ही कामेगौड़ा ने गांव की पहाड़ी इलाके में लघु बांध बना दिए. शुरूआत में पहाड़ी पर पानी रोकने के उनके अकेले प्रयास को लोग हंसी में उड़ाते थे, वो मजाक का पात्र बने थे. लेकिन उनकी लगन में इससे फर्क नहीं आया. आखिरकार, कामेगौड़ा ने वो कर दिखाया, जिसे देख नौजवान भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय जल संचय के प्रत्येक कार्य को प्रोत्साहित करने को तत्पर है. हम जल संचय में लगे लोगों की मदद भी कर सकते हैं. उन्हें प्रोत्साहन और अन्य सहयोग प्रदान कर सकते हैं. जल संचय हम सबकी जिम्मेदारी है. देश को जल समृद्ध बनाना हम सबका सामूहिक संकल्प है.
कामेगौड़ा की 'अनोखी इंजीनियरिंग'
कर्नाटक के दासाना डुड्डी गांव के निवासी कामेगौड़ा पेशे से चरवाहे हैं. एक दिन बंजर सूखी पहाड़ी पर घुमते हुए उन्होंने प्यास से हलकान पक्षी देखे. पक्षियों की हालत पर उन्हें दया आई. कामेगौड़ा जानते थे कि पहाड़ी पर बरसात का पानी आता तो है, पर रुक नहीं पाता. ये सोचते हुए बांध बनाने का आइडिया मिला.
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कामेगौड़ा पढ़े-लिखे तो हैं नहीं, लेकिन उन्होंने अपने बांध इस प्रकार बनाए हैं कि पहाड़ी से बहता पानी एक बांध के पूरा भर जाने के बाद नीचे बने बांध में जाता है. ये उनकी अपनी इंजीनियरिंग है. किसी भी लघुबांध के ओवरफ्लो का पानी बर्बाद नहीं जाता. भीषण गर्मी में भी उनमें पूरा पानी बना रहता है.