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जल शक्ति मंत्री ने 'भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली' का नया वर्जन किया लॉन्च, एक क्लिक पर मिलेगा हर सवाल का जवाब

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 'भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली' का नया वर्जन लॉन्च किया है. इसके माध्यम से अब जलाशयों में भंडारण की स्थिति, भूजल स्तर और नदियों का प्रवाह का आसानी से पता लगाया जा सकेगा.

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एक क्लिक पर पानी को लेकर हर सवाल का जवाब
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Published : Aug 7, 2020, 10:59 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 7:05 AM IST

जोधपुर. नदियों का प्रवाह क्या है? भूजल का स्तर कैसा है? जलाशयों में भंडारण की स्थिति क्या है? ऐसे कई सवालों के जवाब अब आसानी से मिल सकेंगे. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के मार्गदर्शन में जलशक्ति मंत्रालय ने 'भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली' (india-wris) का नया वर्जन लॉन्च किया है. जो नई कार्य क्षमता और विशेषताओं से लैस है. www.indiawris.gov.in पर वर्षा, जलस्तर और नदियों के प्रवाह, जलस्थलों, भूजल स्तर, जलाशय में भंडारण, वाष्पन-उत्सर्जन तथा मिट्टी की नमी समेत जल संसाधनों से संबंधित जानकारियां हैं. इसमें जल संसाधन परियोजनाओं, जलस्थलों, हाइड्रो-मेट डेटा की उपलब्धता पर मॉड्यूल और GIS लेयर एडिटिंग के लिए उपकरण भी हैं.

एक क्लिक पर पानी को लेकर हर सवाल का जवाब

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि जल जीवन और विकास की कुंजी है. विशेषकर बढ़ती आबादी, शहरीकरण और संबंधित विकास के कारण उपलब्ध संसाधनों पर पड़ रहे अतिरिक्त दबाव को देखते हुए जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण है. दरअसल, बेहतरीन योजना बनाने के लिए मजबूत डेटाबेस और विश्वसनीय सूचना प्रणाली की आवश्यकता होती है. इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय (MOJS) ने राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत जुलाई, 2019 में भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली (india-wris) का पहला वर्जन लॉन्च किया. उस समय से लेकर अब तक इस प्रणाली में अनेक नई कार्यक्षमताएं और विशेषताएं या खूबियां जोड़ी गई हैं.

यह भी पढ़ेंः जल जीवन मिशन: प्रदेश में हैंडपंप रिपेयरिंग अभियान की तिथि 31 अगस्त तक बढ़ाने के निर्देश

वर्तमान में india-wris को कई केंद्रीय और राज्य एजेंसियों जैसे CWC, CGWB, IMD, NRSC, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात आदि से नियमित रूप से डेटा प्राप्त हो रहा है. अन्य एजेंसियों से प्राप्त डेटा को इस प्रणाली में एकीकृत किया जा रहा है, ताकि यह जल और भूमि संसाधनों से संबंधित किसी भी डेटा के लिए व्यापक प्लेटफॉर्म बन जाए.

यह भी पढ़ेंः बाड़मेर: नालों की सफाई नहीं होने से निचले इलाकों में भरा गंदा पानी, अधिकारी नहीं ले रहे सुध

समस्त हाइड्रो-मेट अवलोकन डेटा का आधार जल सूचना प्रबंधन प्रणाली (WIMC) है. एक सुरक्षित लॉग-इन के माध्यम से केंद्रीय और राज्य जल एजेंसियां जल स्तर (सतही जल और भूजल दोनों), प्रवाह, जल की गुणवत्ता, तलछट और कई जलवायु मापदंडों के लिए डेटा को दर्ज, विश्लेषण, सत्यापन और प्रबंधन कर सकती हैं. इस प्रणाली में मैनुअल रीडिंग के माध्यम से प्राप्त टाइम सीरीज डेटा के साथ-साथ GPRS या उपग्रह के माध्यम से प्राप्त दूरमापी (टेलीमेट्री) डेटा भी शामिल हैं. पोर्टल के माध्यम से कोई भी हितधारक संबंधित जानकारियों की परिकल्पना यूजर (उपयोगकर्ता) अनुकूल तरीके से कर सकता है. सूचना को एक्सेल रिपोर्टों और ग्राफ के रूप में डाउनलोड कर सकता है.

किस-किस को मिलेगी लाभ

  • किसान और किसान कल्याण संघ वर्षा, स्टोरेज या जलाशयों में जल की उपलब्धता तथा भूजल जलभृतों के आधार पर फसलों और फसल के पैटर्न की योजना बना सकते हैं.
  • लोग अपने इलाके में पानी की उपलब्धता, भूजल स्तर, नि‍कटवर्ती नदी में जल के स्तर और इसी तरह के कई तथ्यों को जानने के लिए डेटा का उपयोग कर सकते हैं.
  • योजनाकार और प्रशासक जल के समुचित उपयोग और बाढ़ व सूखे के प्रभावों को कम करने के लिए अपने-अपने राज्यों, विभिन्नप बेसिन के इस डेटा का उपयोग कर सकते हैं. निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) विकसित की जा सकती है.
  • शोधकर्ता जल संबंधी अध्ययनों और प्रतिरूपण या प्रतिमान संबंधी उद्देश्यों के लिए डेटा का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि इस तरह के अध्ययन के लिए आवश्यक डेटा आवृत्ति या बारंबारता उपलब्ध है.

जोधपुर. नदियों का प्रवाह क्या है? भूजल का स्तर कैसा है? जलाशयों में भंडारण की स्थिति क्या है? ऐसे कई सवालों के जवाब अब आसानी से मिल सकेंगे. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के मार्गदर्शन में जलशक्ति मंत्रालय ने 'भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली' (india-wris) का नया वर्जन लॉन्च किया है. जो नई कार्य क्षमता और विशेषताओं से लैस है. www.indiawris.gov.in पर वर्षा, जलस्तर और नदियों के प्रवाह, जलस्थलों, भूजल स्तर, जलाशय में भंडारण, वाष्पन-उत्सर्जन तथा मिट्टी की नमी समेत जल संसाधनों से संबंधित जानकारियां हैं. इसमें जल संसाधन परियोजनाओं, जलस्थलों, हाइड्रो-मेट डेटा की उपलब्धता पर मॉड्यूल और GIS लेयर एडिटिंग के लिए उपकरण भी हैं.

एक क्लिक पर पानी को लेकर हर सवाल का जवाब

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि जल जीवन और विकास की कुंजी है. विशेषकर बढ़ती आबादी, शहरीकरण और संबंधित विकास के कारण उपलब्ध संसाधनों पर पड़ रहे अतिरिक्त दबाव को देखते हुए जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण है. दरअसल, बेहतरीन योजना बनाने के लिए मजबूत डेटाबेस और विश्वसनीय सूचना प्रणाली की आवश्यकता होती है. इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय (MOJS) ने राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत जुलाई, 2019 में भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली (india-wris) का पहला वर्जन लॉन्च किया. उस समय से लेकर अब तक इस प्रणाली में अनेक नई कार्यक्षमताएं और विशेषताएं या खूबियां जोड़ी गई हैं.

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वर्तमान में india-wris को कई केंद्रीय और राज्य एजेंसियों जैसे CWC, CGWB, IMD, NRSC, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात आदि से नियमित रूप से डेटा प्राप्त हो रहा है. अन्य एजेंसियों से प्राप्त डेटा को इस प्रणाली में एकीकृत किया जा रहा है, ताकि यह जल और भूमि संसाधनों से संबंधित किसी भी डेटा के लिए व्यापक प्लेटफॉर्म बन जाए.

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समस्त हाइड्रो-मेट अवलोकन डेटा का आधार जल सूचना प्रबंधन प्रणाली (WIMC) है. एक सुरक्षित लॉग-इन के माध्यम से केंद्रीय और राज्य जल एजेंसियां जल स्तर (सतही जल और भूजल दोनों), प्रवाह, जल की गुणवत्ता, तलछट और कई जलवायु मापदंडों के लिए डेटा को दर्ज, विश्लेषण, सत्यापन और प्रबंधन कर सकती हैं. इस प्रणाली में मैनुअल रीडिंग के माध्यम से प्राप्त टाइम सीरीज डेटा के साथ-साथ GPRS या उपग्रह के माध्यम से प्राप्त दूरमापी (टेलीमेट्री) डेटा भी शामिल हैं. पोर्टल के माध्यम से कोई भी हितधारक संबंधित जानकारियों की परिकल्पना यूजर (उपयोगकर्ता) अनुकूल तरीके से कर सकता है. सूचना को एक्सेल रिपोर्टों और ग्राफ के रूप में डाउनलोड कर सकता है.

किस-किस को मिलेगी लाभ

  • किसान और किसान कल्याण संघ वर्षा, स्टोरेज या जलाशयों में जल की उपलब्धता तथा भूजल जलभृतों के आधार पर फसलों और फसल के पैटर्न की योजना बना सकते हैं.
  • लोग अपने इलाके में पानी की उपलब्धता, भूजल स्तर, नि‍कटवर्ती नदी में जल के स्तर और इसी तरह के कई तथ्यों को जानने के लिए डेटा का उपयोग कर सकते हैं.
  • योजनाकार और प्रशासक जल के समुचित उपयोग और बाढ़ व सूखे के प्रभावों को कम करने के लिए अपने-अपने राज्यों, विभिन्नप बेसिन के इस डेटा का उपयोग कर सकते हैं. निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) विकसित की जा सकती है.
  • शोधकर्ता जल संबंधी अध्ययनों और प्रतिरूपण या प्रतिमान संबंधी उद्देश्यों के लिए डेटा का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि इस तरह के अध्ययन के लिए आवश्यक डेटा आवृत्ति या बारंबारता उपलब्ध है.
Last Updated : Aug 8, 2020, 7:05 AM IST
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