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जोधपुर में 200 वर्षों से चली आ रही धणी परंपरा से जाना आने वाले वर्ष का भविष्य

जोधपुर में घांची समाज ने अक्षय तृतीया के मौके पर धणी परंपरा से आने वाले एक वर्ष का भविष्य जाना है, जिसमें काल के भारी होने के संकेत मिले हैं. यह परंपरा करीब 200 वर्षों से चली आ रही है.

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Published : May 7, 2019, 9:55 PM IST

धणी परंपरा

जोधपुर. प्रदेश में अक्षय तृतीया के मौके पर जहां एक ओर शादियों की धूम रहती है. वहीं दूसरी तरफ जोधपुर में अनूठी परपंरा से आने वाले एक साल का भविष्य जाना जाता है. जोधपुर का घांची समाज हर साल अक्षय तृतीया पर धणी परंपरा का आयोजन करता है, जो करीब दो सौ वर्षों से चली आ रही है. धणी के संकेत पर बरसों से लोग विश्वास करते आए हैं. इस साल धणी ने प्रदेश और देश में काल के भारी होने के संकेत दिए हैं. जिसके कारण बीमारी फैलेगी, कहीं ज्यादा बारिश से फसलें खराब होगी तो कहीं बारिश की कमी के कारण अकाल रहेगा. और राजनीतिक उथल पुथल भी हो सकती है.

आपको बता दें कि धणी यानी सृष्टि के मालिक के संकेत जानने के लिए यज्ञ वेदी के पास खंभ स्थापित किया जाता है. खंभ के आमने-सामने मंत्रोच्चार से पवित्र कर दो अबोध बालकों को खड़ा किया जाता है. इन बालकों के हाथ में बांस पट्टिकाएं थमाई जाती है, इस दौरान मंत्रोचार व यज्ञ भी चलता रहता है. सुकाल का संकेत देने वाली बांस पट्टिका पर कुमकुम लगाया जाता है, जबकि काल का संकेत देने वाली पट्टिका पर काजल. मंत्रोचार व जाप से बालकों के हाथों में पकड़ी हुई बांस पट्टियां स्वत: उपर नीचे होने लगती है. अंतत: एक पट्टिका के उपर रहने से संकेत का पता चलता है, जिसकी घोषणा समाज के बुजुर्ग करते हैं.

जोधपुर में 200 वर्षों से चली आ रही धणी परंपरा से जाना आने वाले वर्ष का भविष्य

मंगलवार को परंपरा के दौरान धणी ने बांस पट्टियों से जो संकेत दिए हैं, उनमें काल भारी है यानि की फसलें आधी होगी. कहीं ज्यादा बारिश नुकसान करेगी, तो कहीं पूरा सूखा रहेगा. इस दौरान दो बालकों में से एक बालक को चक्कर आने के साथ ही उल्टियां हुई. जिसके अनुसार काल के प्रकोप के साथ-साथ बीमारियां भी आ सकती है.

जोधपुर. प्रदेश में अक्षय तृतीया के मौके पर जहां एक ओर शादियों की धूम रहती है. वहीं दूसरी तरफ जोधपुर में अनूठी परपंरा से आने वाले एक साल का भविष्य जाना जाता है. जोधपुर का घांची समाज हर साल अक्षय तृतीया पर धणी परंपरा का आयोजन करता है, जो करीब दो सौ वर्षों से चली आ रही है. धणी के संकेत पर बरसों से लोग विश्वास करते आए हैं. इस साल धणी ने प्रदेश और देश में काल के भारी होने के संकेत दिए हैं. जिसके कारण बीमारी फैलेगी, कहीं ज्यादा बारिश से फसलें खराब होगी तो कहीं बारिश की कमी के कारण अकाल रहेगा. और राजनीतिक उथल पुथल भी हो सकती है.

आपको बता दें कि धणी यानी सृष्टि के मालिक के संकेत जानने के लिए यज्ञ वेदी के पास खंभ स्थापित किया जाता है. खंभ के आमने-सामने मंत्रोच्चार से पवित्र कर दो अबोध बालकों को खड़ा किया जाता है. इन बालकों के हाथ में बांस पट्टिकाएं थमाई जाती है, इस दौरान मंत्रोचार व यज्ञ भी चलता रहता है. सुकाल का संकेत देने वाली बांस पट्टिका पर कुमकुम लगाया जाता है, जबकि काल का संकेत देने वाली पट्टिका पर काजल. मंत्रोचार व जाप से बालकों के हाथों में पकड़ी हुई बांस पट्टियां स्वत: उपर नीचे होने लगती है. अंतत: एक पट्टिका के उपर रहने से संकेत का पता चलता है, जिसकी घोषणा समाज के बुजुर्ग करते हैं.

जोधपुर में 200 वर्षों से चली आ रही धणी परंपरा से जाना आने वाले वर्ष का भविष्य

मंगलवार को परंपरा के दौरान धणी ने बांस पट्टियों से जो संकेत दिए हैं, उनमें काल भारी है यानि की फसलें आधी होगी. कहीं ज्यादा बारिश नुकसान करेगी, तो कहीं पूरा सूखा रहेगा. इस दौरान दो बालकों में से एक बालक को चक्कर आने के साथ ही उल्टियां हुई. जिसके अनुसार काल के प्रकोप के साथ-साथ बीमारियां भी आ सकती है.

Intro:
—जोधपुर के घांची समाज की दो सौ वर्षां से चली आ रही वर्ष का शगुन जानने की परंपरा


जोधपुर। अक्षय तृतीया पर जहां एक और विवाह शादियों की धूम रहती है, तो दूसरी ओर जोधपुर में एक अनूठी परपंरा से आने वाले एक साल का भविष्य जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति के जोधपुर के घांची समाज की हर वर्ष अक्षय तृतीया पर धणी का आयोजन करने की परंपरा है। यह लगभग दो सौ वर्षों से चली आ रही है। धणी के संकेत पर लोग भी बरसों से विश्वास करते आए हैं क्योंकि यह सही साबित होते हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया से अगली अक्षय तृतीया तक धणी ने प्रदेश व देश में काल के भारी होने के संकेत दिए हैं। क्योंकि सुकाल के संकेत पर इस बार काल ज्यादा भारी रहे हैं। इसके अलावा बीमारी फैलेगी, एवं थोडी  बहुत राजनीतिक उथल पुथल भी हो सकती है। काल भारी होने से अत्याधिक बारिश होने से भी फसलें खराब होगी तो कई जगहों पर बारिश की कमी से अकाल भी रहेगा।


यूं करते भविष्य वाणी

धणी यानी सृष्टि के मालिक के संकेत जानने के लिए यज्ञ वेदी के पास खंभ स्थापित किया जाता है। खंभ के आमने सामने दो  अबोध बालक को मंत्रोच्चार से पवित्र कर खडा किया जाता है।

इन बालकों के हाथ में बांस पट्टिकाएं थमाई जाती है। मंत्रोचार व यज्ञ भी चलता रहा है। सुकाल का संकेत देने वाली बांस पट्टिका पर कुंकुम लगाया जाता है, जबकि काल का संकेत देने वाली पर काजल। मंत्रोचार व जाप से बालकों में भाव आने से बांस पटिटयों में हलचल होती है। वे स्वत: उपर नीचे होने लगती है। अंतत एक पट्टिका के उपर रहने से संकेत का पता चलता है। जिसकी घोषणा समाज के बुजुर्ग करते हैं।



बाईट 1 राजेंद्र भाटी,

बाईट 2 बालूराम धाणदिया

बाईट 3 घनश्याम धाणदिया




Body:इस बार काल भारी, बीमारियां भी आने का संकेत

मंगलवार को धणी ने बांस पट्टियों से जो संकेत दिए हैं उनमें काल भारी है। यानी की फसलें आधी होगी। ज्यादा बारिश नुकसान करेगी तो कहीं पूरा सूखा रहेगा। दो बालकों में से एक को चक्कर आकर गिरने व उल्टियां हुई है। जिससे काल के प्रकोप के साथ साथ बीमारियां भी आ सकती है। 



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