जोधपुर. प्रदेश में अक्षय तृतीया के मौके पर जहां एक ओर शादियों की धूम रहती है. वहीं दूसरी तरफ जोधपुर में अनूठी परपंरा से आने वाले एक साल का भविष्य जाना जाता है. जोधपुर का घांची समाज हर साल अक्षय तृतीया पर धणी परंपरा का आयोजन करता है, जो करीब दो सौ वर्षों से चली आ रही है. धणी के संकेत पर बरसों से लोग विश्वास करते आए हैं. इस साल धणी ने प्रदेश और देश में काल के भारी होने के संकेत दिए हैं. जिसके कारण बीमारी फैलेगी, कहीं ज्यादा बारिश से फसलें खराब होगी तो कहीं बारिश की कमी के कारण अकाल रहेगा. और राजनीतिक उथल पुथल भी हो सकती है.
आपको बता दें कि धणी यानी सृष्टि के मालिक के संकेत जानने के लिए यज्ञ वेदी के पास खंभ स्थापित किया जाता है. खंभ के आमने-सामने मंत्रोच्चार से पवित्र कर दो अबोध बालकों को खड़ा किया जाता है. इन बालकों के हाथ में बांस पट्टिकाएं थमाई जाती है, इस दौरान मंत्रोचार व यज्ञ भी चलता रहता है. सुकाल का संकेत देने वाली बांस पट्टिका पर कुमकुम लगाया जाता है, जबकि काल का संकेत देने वाली पट्टिका पर काजल. मंत्रोचार व जाप से बालकों के हाथों में पकड़ी हुई बांस पट्टियां स्वत: उपर नीचे होने लगती है. अंतत: एक पट्टिका के उपर रहने से संकेत का पता चलता है, जिसकी घोषणा समाज के बुजुर्ग करते हैं.
मंगलवार को परंपरा के दौरान धणी ने बांस पट्टियों से जो संकेत दिए हैं, उनमें काल भारी है यानि की फसलें आधी होगी. कहीं ज्यादा बारिश नुकसान करेगी, तो कहीं पूरा सूखा रहेगा. इस दौरान दो बालकों में से एक बालक को चक्कर आने के साथ ही उल्टियां हुई. जिसके अनुसार काल के प्रकोप के साथ-साथ बीमारियां भी आ सकती है.