जोधपुर. मंदिर, मस्जिद, शादी-ब्याह सभी मौकों की रौनक बढ़ाने वाले गुलाब के फूलों को इन दिनों कद्रदान नहीं मिल रहे हैं. जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र के तिंवरी क्षेत्र में ही करीब 200 किसान एक हजार बीघा जमीन पर गुलाब की खेती कर रहे हैं. यहां प्रतिदिन 4 हजार से 5 हजार किलो गुलाब खेतों से उतरती है.
लेकिन इन दिनों इनकी खपत नहीं हो रही है. ऐसे में किसानों ने नवाचार करते हुए देशी जुगाड़ से ही गुलाब की पत्तियां निकाल कर सूखा रहे हैं. जिसके तहत सुखाए गए गुलाब के फूलों की पत्तियां पंखें और कूलर के सामने फैलाकर अलग कर रहे हैं. जिससे कि लॉकडाउन जब भी खुले तो कुछ नुकसान की भरपाई हो सके.
क्षेत्र के किसान अशोक टाक बताते है कि पौधे से गुलाब उतारना तो हमारी मजबूरी है. इस काम में पूरा परिवार ही लगता है क्योंकि मजदूर इन दिनों नहीं मिल रहे हैं. अशोक के अनुसार इस समय में गुलाब का फूल 150 रुपए प्रति किलो के भाव से बिकता था. लेकिन अभी कोई लेने वाला नहीं है. शादियों के सीजन नहीं रहे, नवरात्र में भी गुलाब नहीं बिका.
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ऐसे में अब गुलाब की पत्तियां एकत्र कर रहे हैं जिनका उपयोग दवाइयां, मिठाई और गुलकंद में होता है. तिंवरी के बालरवा, बिंजवाडिया क्षेत्र में बरसों से किसान फूलों की खेती कर रहे हैं. गेंदे सहित अन्य फूलों पर तो किसान ट्रैक्टर चला चूके हैं. लेकिन गुलाब से इन्हें थोड़ी बहुत आस इसलिए है कि इसकी सूखी पत्तियां भी बिकती है.
लेकिन किसान लालाराम का कहना है कि लॉकडाउन के बाद आधी किमत भी नहीं मिलेगी. बागवानी करने वालों किसानों की सबसे बड़ी परेशानी इस बात की भी है कि बागबानी को किसी भी फसल बीमा योजना में शामिल नहीं किया गया है. इसके चलते इस नुकसान की भरपाई सरकारी स्तर पर नहीं हो सकती. किसानों की मांग है कि बागवानी को भी फसल बीमा योजना में शामिल किया जाए.