जोधपुर. देशभर में रविवार रात धूमधाम से दीपावली का पर्व मनाया गया. शहर में देर रात तक आतिशबाजी और रोशनी का दौर चला. गली-मोहल्लों में पटाखों की आवाजें गूंजती रही. लोगों ने परंपरागत रूप से महालक्ष्मी का पूजन किया और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि कि कामनाएं की.
इन सबके बीच शहर से सटी एक ऐसी बस्ती भी थी, जहां के लोगों ने अंधेरे में दीपावली मनाई. हालांकि, वे लोग इससे भी खुश थे. क्योंकि, इससे पहले वह पाकिस्तान में पाकिस्तान में पाबंदियों के साथ अपना त्यौहार मनाते थे. लेकिन हिंदुस्तान में आने के बाद झोपड़ी में रहकर भी त्योहार मनाने का उल्लास उनके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था. यह बस्ती पाक विस्थापित हिन्दुओं की है, जो शरणार्थी के रूप में जोधपुर में रह रहे हैं. इन्हें अपनी नागरिकता का इंतजार तो है ही साथ ही सरकारी सुविधाओं का भी इंतजार है. लेकिन इसके बावजूद भी वह खुश है कि वे यहां आजाद हैं. साथ ही आजादी से अपना त्यौहार मना रहे हैं.
2 साल पहले पाकिस्तान से आए तगाराम कहते हैं कि यह देश हिंदुओं का है और यह हमारा धर्म है. यहां त्यौहार मनाने का अपना अलग मजा है. यह बात अलग है कि कुछ परेशानियां भी है. लेकिन फिर भी ये लोग खुश है. इसी तरह करीब 4 साल पहले जोधपुर आई दीया बताती है कि वे दोनों देशों में दिवाली मना चुकी है. लेकिन यहां इस बात की खुशी है कि यहां सब अपने लोग हैं. जिनके बीच में त्यौहार मना रहे हैं. दीया के पिता किशन लाल कहते हैं कि वे भारत आकर काफी खुश है.
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अपनों के बीच त्यौहार मनाने बहुत खुशी होती है. किशनलाल ने बताया कि उन्हें सिर्फ सरकारी दस्तावेजों की औपचारिकताओं से परेशानी हो रही हैं. उनका कहना है कि ज्यादातर लोग अनपढ़ है जो धार्मिक वीजा पर भारत आ रहे हैं. वहीं पाक विस्थापितों के काम से जुड़े और खुद पाक विस्थापित डॉ. भागचंद कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि समय के साथ हमारी परेशानियां खत्म हो जाएगी.