जोधपुर. उम्मेद अस्पताल की शिशु रोग विभाग की यूनिट में शनिवार (4 जुलाई) की रात को चार बच्चों को एक्सपायरी डेट की ग्लूकोज चढ़ाने का मामला सामने आया था. दरअसल, मामले में सोमवार को जांच के बाद यह पता चला कि वह एक्सपायरी डेट की ग्लूकोज नहीं. बल्कि दिमागी बुखार में काम आने और ग्लूकोज के बोतल की तरह दिखने वाला आईवी इंजेक्शन मेनिटोल था, जिसे सीधे नसों में चढ़ाया जाता है.
इस मामले में खुलासे के बाद ड्रग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर राकेश वर्मा खुद अस्पताल पहुंचे और उन्होंने कुछ इंजेक्शन भी जब्त किए. इसके अलावा विभाग की टीम को स्टोर और वार्ड में अनियमितताएं भी मिली हैं, जिनकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इधर, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य के आदेश पर तीन सदस्यों की कमेटी भी गठित हो गई है, जिसे तीन दिन में इस मामले की रिपोर्ट देनी है.
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हालांकि तत्कालीन समय वार्ड के नर्स को इस बात का पता चल गया था. उसने तीन बच्चों को लगाए गए इंजेक्शन की खाली बोतल हटा ली थी. लेकिन एक बोतल वहां रह गई, जिसे परिजनों ने देख लिया था. इधर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इस पूरे मामले पर गंभीरता दिखाते हुए तीन दिन में जांच रिपोर्ट के आदेश दिए. प्राचार्य डॉक्टर जीएल मीणा ने संबंधित वार्ड के इंचार्ज नर्सिंग कर्मी और स्टोर प्रभारी को हटाने के निर्देश भी जारी किए हैं.
कायदे से नर्सिंग कर्मी की भी जिम्मेदारी है कि वह किसी भी तरह की दवा लगाने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट देखे. लेकिन वार्ड में एक्सपायरी दवा आना और लगाना दोनों स्तर पर हुई चूक ने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. हालांकि डॉक्टरों के मुताबिक जिन चार बच्चों को यह इंजेक्शन चढ़ाया गया था, उन्हें दिमागी बुखार था. यह इंजेक्शन दिमाग की नसों की सूजन कम करने सहित अन्य कारणों के लिए लगाया जाता है.