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लापरवाह प्रशासनः बदहाल सरकारी व्यवस्थाओं के बीच हर दिन शहर में फैल रहा डेंगू - Jodhpur Dengue News

जोधपुर में मौसमी बीमारियों के सीजन में डेंगू लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. जिले में अक्टूबर महीने में अब तक करीब 300 डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं. इसके बावजूद स्वास्थय विभाग फॉगिंग को लेकर सक्रिय नहीं है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि हम एक बार फॉगिंग कर चुके हैं, अब यह जिम्मा नगर निगम का है.

जोधपुर डेंगू न्यूज, Jodhpur Dengue News
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Published : Oct 12, 2019, 7:37 PM IST

जोधपुर. प्रदेश के दूसरे बड़े शहर जोधपुर में मौसमी बीमारियों के सीजन में डेंगू लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इस पर भी लचर सरकारी व्यवस्थाएं और ज्यादा भारी पड़ रही है. बता दें कि जोधपुर में अक्टूबर महीने के11 दिनों में ही 160 से ज्यादा डेंगू के पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पूरी सीजन में आंकड़ा 300 तक पहुंच गया है.

हर दिन जोधपुर में फैल रहा है डेंगू

जानकारी के अनुसार अभी तक के आंकड़े में डेंगू से कोई मौत नहीं हुई है. लेकिन, इसके बावजूद सरकारी व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही है. वहीं, अब तक जो डेंगू रोगी सामने आए हैं उसके अनुसार शहर के हर इलाके में डेंगू ने पांव पसार लिए हैं. इसके बावजूद फॉगिंग को लेकर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय नहीं है, अलबत्ता विभाग के अधिकारी नगर निगम के भरोसे हैं. डेंगू रोगी के क्षेत्र में ही मच्छरों को नियंत्रित करने की कवायद की जा रही है.

पढ़ें- अजमेर में मौसमी बीमारियों के प्रकोप के साथ डेंगू और चिकनगुनिया भी पसार रहे पैर

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बलवंत मंडा का कहना है कि हम एक बार फॉगिंग कर चुके हैं, अब यह जिम्मा नगर निगम है. उन्होंने कहा कि जहां भी डेंगू रोगी सामने आते है वहां क्रॉस चेक में घरों में जमा साफ पानी मे लार्वा मिला है. ऐसे में लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा. वर्तमान में जोधपुर शहर के मेडिकल कॉलेज में ही डेंगू की जांच एलिजा टेस्ट से हो रही है. जबकि सर्वाधिक मरीज जिन इलाकों में आ रहे हैं, वहां के सेटेलाइट अस्पतालों में इस जांच की सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है.

जोधपुर के बड़े आबादी क्षेत्र चौपासनी हाउसिंग बोर्ड के सेटेलाइट अस्पताल जो कि मेडिकल कॉलेज से संबंध है के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हस्तीमल आर्य ने बताया कि हम संदिग्ध रोगी को फॉर्म भरकर मेडिकल कॉलेज भेजते हैं जहां उसकी जांच हो पाती है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां अभी इसके लिए मशीन उपलब्ध नहीं है. इन सरकारी व्यवस्थाओं के उलट शहर के समाजसेवी खुद अपने धन से लोगों को डेंगू से बचाने के लिए फॉगिंग का कार्य कर रहे हैं.

पढ़ें- जोधपुर: एक दिन में सामने आए डेंगू के 37 मरीज, सबसे ज्यादा बीएसएफ कैंपस से​​​​​​​

जानकारी के अनुसार कैलाश की करुणा नामक संस्थान के लोग खुद लगातार 10 दिनों से शहर में 50 से ज्यादा स्थानों पर मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए फॉगिंग कर चुके हैं. उनका कहना है कि पहले हमें नगर निगम और सीएमएचओ कार्यालय से फॉगिंग के लिए रसायन मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वहां से अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ तो हमने अपनी राशि से ही खरीद कर काम शुरू कर दिया.

जोधपुर. प्रदेश के दूसरे बड़े शहर जोधपुर में मौसमी बीमारियों के सीजन में डेंगू लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इस पर भी लचर सरकारी व्यवस्थाएं और ज्यादा भारी पड़ रही है. बता दें कि जोधपुर में अक्टूबर महीने के11 दिनों में ही 160 से ज्यादा डेंगू के पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पूरी सीजन में आंकड़ा 300 तक पहुंच गया है.

हर दिन जोधपुर में फैल रहा है डेंगू

जानकारी के अनुसार अभी तक के आंकड़े में डेंगू से कोई मौत नहीं हुई है. लेकिन, इसके बावजूद सरकारी व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही है. वहीं, अब तक जो डेंगू रोगी सामने आए हैं उसके अनुसार शहर के हर इलाके में डेंगू ने पांव पसार लिए हैं. इसके बावजूद फॉगिंग को लेकर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय नहीं है, अलबत्ता विभाग के अधिकारी नगर निगम के भरोसे हैं. डेंगू रोगी के क्षेत्र में ही मच्छरों को नियंत्रित करने की कवायद की जा रही है.

पढ़ें- अजमेर में मौसमी बीमारियों के प्रकोप के साथ डेंगू और चिकनगुनिया भी पसार रहे पैर

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बलवंत मंडा का कहना है कि हम एक बार फॉगिंग कर चुके हैं, अब यह जिम्मा नगर निगम है. उन्होंने कहा कि जहां भी डेंगू रोगी सामने आते है वहां क्रॉस चेक में घरों में जमा साफ पानी मे लार्वा मिला है. ऐसे में लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा. वर्तमान में जोधपुर शहर के मेडिकल कॉलेज में ही डेंगू की जांच एलिजा टेस्ट से हो रही है. जबकि सर्वाधिक मरीज जिन इलाकों में आ रहे हैं, वहां के सेटेलाइट अस्पतालों में इस जांच की सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है.

जोधपुर के बड़े आबादी क्षेत्र चौपासनी हाउसिंग बोर्ड के सेटेलाइट अस्पताल जो कि मेडिकल कॉलेज से संबंध है के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हस्तीमल आर्य ने बताया कि हम संदिग्ध रोगी को फॉर्म भरकर मेडिकल कॉलेज भेजते हैं जहां उसकी जांच हो पाती है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां अभी इसके लिए मशीन उपलब्ध नहीं है. इन सरकारी व्यवस्थाओं के उलट शहर के समाजसेवी खुद अपने धन से लोगों को डेंगू से बचाने के लिए फॉगिंग का कार्य कर रहे हैं.

पढ़ें- जोधपुर: एक दिन में सामने आए डेंगू के 37 मरीज, सबसे ज्यादा बीएसएफ कैंपस से​​​​​​​

जानकारी के अनुसार कैलाश की करुणा नामक संस्थान के लोग खुद लगातार 10 दिनों से शहर में 50 से ज्यादा स्थानों पर मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए फॉगिंग कर चुके हैं. उनका कहना है कि पहले हमें नगर निगम और सीएमएचओ कार्यालय से फॉगिंग के लिए रसायन मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वहां से अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ तो हमने अपनी राशि से ही खरीद कर काम शुरू कर दिया.

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Body:बदहाल सरकारी व्यवस्थाओ के बीच हर दिन शहर में फैल रहा है डेंगू
जोधपुर।
प्रदेश के दूसरे बड़े शहर जोधपुर में मौसमी बीमारियों के सीजन में डेंगू लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है इस पर भी लचर सरकारी व्यवस्थाएं और ज्यादा भारी पड़ रही है जोधपुर में अक्टूबर के 11 दिनों में ही 160 से ज्यादा डेंगू के पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं जबकि पूरी सीजन में अकड़ा 300 तक पहुंच गया है। राहत की बात सिर्फ इतनी है कि अभी तक डेंगू से कोई मौत नहीं हुई है लेकिन इसके बावजूद सरकारी व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही है अब तक जो डेंगू रोगी सामने आए हैं उसके अनुसार शहर के हर इलाके में डेंगू ने पांव पसार लिए हैं लेकिन इसके बावजूद फागिंग को लेकर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय नहीं है अलबत्ता विभाग के अधिकारी नगर निगम के भरोसे हैं डेंगू रोगी के क्षेत्र में ही मच्छरों को नियंत्रित करने की कवायद की जा रही है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बलवंत मंडा का कहना है कि हम एक बार फॉगिंग कर चुके है अब यह जिम्मा नगर निगम है। वो यह भी बताते है कि जहां भी डेंगू रोगी सामने आते है वहां क्रॉस चेक में घरों में जमा साफ पानी मे लार्वा मिला है। ऐसे में लोगो को भी जागरूक होना पड़ेगा। वर्तमान में जोधपुर शहर में मेडिकल कॉलेज जोधपुर में ही डेंगू की जांच एलिजा पति से हो रही है जबकि सर्वाधिक मरीज जिन इलाकों में आ रहे हैं वहां के सेटेलाइट अस्पतालों में इस जांच की सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है जोधपुर के बड़े आबादी क्षेत्र चौपासनी हाउसिंग बोर्ड के सेटेलाइट अस्पताल जो कि मेडिकल कॉलेज से संबंध है कि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी हस्तीमल आर्य बताते हैं कि हम संदिग्ध रोगी को फॉर्म भरकर मेडिकल कॉलेज भेजते हैं जहां उसकी जांच हो पाती है हमारे यहां अभी इसके लिए मशीन उपलब्ध नहीं है। इन सरकारी व्यवस्थाओं के उलट शहर के समाजसेवी खुद अपने धन से लोगों को डेंगू से बचाने के लिए फॉकिंग का कार्य कर रहे हैं कैलाश की करुणा नामक संस्थान के लोग खुद लगातार 10 दिनों से शहर में 50 से ज्यादा स्थानों पर मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए फॉकिंग कर चुके हैं उनका कहना है कि पहले हमें नगर निगम व सीएमएचओ कार्यालय से फॉकिंग के लिए रसायन मिलने की उम्मीद थी लेकिन वहां से अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ तो हमने अपनी राशि से ही खरीद कर काम शुरू कर दिया।
बाईट 1 डॉ हस्तीमल आर्य, पीएमओ हाउसिंग बोर्ड सेटेलाइट हॉस्पिटल
बाईट 2 व 3  डॉ बलवंत मंडा, सीएमएचओ जोधपुर
बाईट 4 राजू व्यास, सदस्य कैलाश की करुणा



Conclusion:
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