जोधपुर. शहर के कुड़ी भगतासनी थाना क्षेत्र में ड्रग पैडलर के रूप में सामने आई शारदा विश्नोई ने सभी को चौंकाया है. इसकी सबसे बड़ी वजह है एक महिला होकर सीधे एमडी ड्रग की डिलिंग करना. मारवाड में अवैध मादक पदार्थों की दुनिया में पहली बार कोई महिला नहीं पकड़ी गई है. शारदा विश्नोई से पहले सुमता उर्फ सुमिता विश्नोई को पुलिस ने पकड़ा था.
सुमिता खेप को खुद करती थी एस्कॉर्ट
नई पीढ़ी को शारदा एमडी ड्रग्स की आपूर्ति करती थी. जबकि सुमता उर्फ सुमिता (jodhpur sumta bishnoi) डोडा अफीम की तस्करी में लिप्त थी. अफीम डोडे की दुनिया में उसका राज चलता था. आलम ये था कि नीमच से जोधपुर तक वह खुद नशे की खेप को अपनी कार से एस्कार्ट करती थी. 2016 में पुलिस उसे पकडने में कामयाब हुई थी. उसने अपने तस्कर प्रेमी के जेल जाने के बाद इस काम को टेक ओवर किया था. ठीक उसी तरह से शारदा ने भी अपने पति जो खुद तस्कर था, लेकिन खुद नशे का आदि हो गया तो उसने कारोबार संभाल लिया.
शारदा कम वक्त में ज्यादा कमाई चाहती थी
शारदा (Jodhpur drug paddler Sharda Vishnoi) इस काम के बूते ही ज्यादा से ज्यादा कमाना चाहती थी. इसलिए बहुत जल्द ही जोधपुर में एमडी ड्रग्स की प्रमुख सप्लायर बन गई. महिला होने से उसके साथ बहुत संख्या में लोग जुड भी गए. पुलिस सूत्रों का कहना है कि शारदा भी इस धंधे से जल्द से जल्द पैसा कमाना चाहती थी. इसके लिए वह सिर्फ ज्यादा से ज्यादा लोगों को माल बेचकर मुनाफा बढाने में लगी हुई थी. इसके लिए उसने व्हाट्सएप का सहारा लिया था.
शारदा का भी यही ख्वाब था कि वह इस नेटवर्क की कमान अपने हाथ में ही रखे. लेकिन वह सुमता की गति से आगे नहीं बढ पाई, क्योंकि उसके पास संसाधन सीमित थे. इस दौरान ही पुलिस ने उसे पकड लिया. पुलिस शारदा से इस बात को लेकर पूछताछ कर रही है कि उसे एमडी कहां से मिलती थी और यहां और कौन कौन पैडलर हैं जो उसके लिए काम करते हैं.
शारदा ने पति को भेजा नशा मुक्ति केंद्र
शारदा का पति राकेश विश्नोई तस्करी में लिप्त था. उसने बाहर संपर्क कर एमडी ड्रग्स जोधपुर के युवाओं को उपलब्ध करवाना शुरू की थी. लेकिन वह खुद इसका आदी हो गया तो शारदा ने उसे नशामुक्ति केंद्र भेज दिया. बाद में खुद ने यह काम संभाल लिया. पति के व्हाट्सग्रुप व कांटेक्ट को काम लिया. खुद पैडलर होते हुए अपने पैडलर बनाए.
पुलिस ने ओढ़नी के पल्लू से बरामद किया ड्रग्स
झालामंड में एक ऐसे ही पैडलर के पकडे जाने से ही शारदा का नाम पुलिस को मिला था. शारदा ने अपने आपको सेफ रखने के लिए दो पुलिसकर्मियों से संपर्क बनाए थे जिन्हें अब निलंबित किया गया है. 16 दिसंबर को जब पुलिस उसके घर पहुंची तो उसने पुलिस को आसानी से अपने घर में प्रवेश नहीं करने दिया. बमुश्किल थानाधिकारी मनिष देव के घर की तलाश के लिए राजी हुई. लेकिन पुलिस को कुछ नहीं मिला. इस दौरान व बार बार अपने ओढने को पल्लू अपने हाथ में पकड़ रही थी. जिसे देख पुलिस को शक हुआ तो महिला कांस्टेबल से उसकी तलाशी करवाई. पल्लू में एमडी ड्रग्स के पॉलिथिन पैकेट मिले.
सुमता करती थी जीपीएस से मॉनिटरिंग
2016 में जब डांगियवास थाना पुलिस ने कुछ तस्करों को पकड़ा तो उनसे पूछताछ में सुमता उर्फ सुमिता विश्नोई का नाम सामने आया था. शहर की पार्श्वनाथ कॉलोनी स्थित सुमता के बंगले पर पुलिस ने छापा मारा तो होश उड़ गए. हर सुविधा उसके घर में मौजूद थी. इतना ही नहीं उस समय सुमता जिन ट्रकों या गडियों से अफीम डोडा मंगवाती थी उनके जीपीएस लगा रखे थे. जिनकी मॉनिटरिंग के लिए पूरा सिस्टम घर पर लगाया हुआ था.
पुलिस की पूछताछ में यह भी सामने आया था कि सुमता नीमच से जोधपुर तक अपने माल की अपनी गाडी से एक्सकार्ट करती थी. पकडे़ जाने के चार साल पहले सुमता इसी कॉलोनी के सामने किराए के कमरे में रहती थी. उसका पति ट्रक चलाता था. वह तस्कर राजू ईरम के संपर्क में आई, उसके जेल जाने के बाद बाद में तस्करों की डॉन (lady don of jodhpur ) बन गई. अभी तक जोधपुर की अदालत में मामले चल रहे हैं.