जोधपुर. भारत में लंबे समय से रह रहे पाकिस्तान के वह नागरिक जिन्हें भारत की नागरिकता तो नहीं मिली लेकिन एक अरसा बीत जाने के बाद उन्हें वापस पाकिस्तान जाने के लिए भारत सरकार नूरी वीजा जारी करती है. कोरोना से पहले ऐसे 410 हिन्दूओं को भारत सरकार ने नूरी वीजा जारी किया था. लेकिन कोरोना के लॉकडाउन के चलते ऐसे लोग पाकिस्तान में ही लंबे समय से अटके हुए हैं.
अब इन लोगों को वापस भारत आने की उम्मीद जगी है. शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में पाकिस्तान से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता विपुल शाह ने बताया कि नो ऑब्जेक्शन रिटर्न टू इंडिया "नूरी" वीजा पर पाकिस्तान में अटके लोगों को केंद्र सरकार ने वापस भारत आने के लिए 15 दिन का स्पेशल वीजा जारी करने का निर्णय लिया है.
जल्दी यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी. इसके बाद भारत आने वाले ऐसे लोगों की वाघा बॉर्डर पर ही कोरोना जांच जाएगी और इसके बाद उन्हें भारत में वे जहां रह रहे थे उन गंतव्य के लिए रवाना किया जाएगा. खंडपीठ में पाकिस्तान से जुड़ी याचिका पर अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.
यह है जनता की कहानी
नूरी वीजा पर अपनी मां से मिलने पाकिस्तान गई जोधपुर में रह रही जनता भी लंबे समय से वहां अटकी हुई है. जबकि उसके पति लीलाराम और 3 बच्चे जोधपुर में माता का थान क्षेत्र में निवास कर रहे हैं. लीला राम अपनी पत्नी वह बच्चों के साथ मार्च में पाकिस्तान गया था. पाकिस्तान एंबेसी में लीलाराम उसके 3 बच्चों का वीजा लॉकडाउन के चलते एक्सटेंड कर दिया. लेकिन जनता जिसे नूरी वीजा पर यात्रा की अनुमति मिली थी. उसका वीजा भारत सरकार की ओर से नहीं बढ़ाया गया. 27 जून को लीलाराम अपने परिवार के साथ वाघा बॉर्डर पहुंचा तो उस सूची में जनता का नाम नहीं था. इसके चलते उसे वहीं रुकना पड़ा. जबकि लीलाराम अपने बच्चों के साथ जोधपुर आ गया.