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ई-मित्र संचालक की गलती से नहीं रुक सकती अभ्यर्थी की नियुक्ति : हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती में एक अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की अभ्यर्थी को राहत देते हुए नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने भीलवाड़ा निवासी समोक कुमारी मीणा की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है.

जोधपुर की खबर, fault of the e-friend operator
राजस्थान हाईकोर्ट की खबर
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Published : Feb 14, 2020, 10:30 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती में एक अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की अभ्यर्थी को राहत देते हुए नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने भीलवाड़ा निवासी समोक कुमारी मीणा की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है.

आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती में एक अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की अभ्यर्थी को मिली राहत

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कोर्ट को बताया कि अभ्यर्थी अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की है. लेकिन, राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती 2018 के दौरान जब ई-मित्र से आवेदन भरा गया तो ई-मित्र संचालक ने अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की जगह अनुसूचित जनजाति वैवाहिक कैटेगरी सेलेक्ट कर दी, जिसकी वजह से याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई. जबकि यह गलती ई-मित्र संचालक की है. ऐसे में तकनीकी गलती का खामियाजा परित्यक्ता वर्ग के अभ्यर्थी को नहीं दिया जा सकता.

पढ़ें: युवाओं में बढ़ती नशे की लत को लेकर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर दायर की जनहित याचिका

इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति सिर्फ ई-मित्र संचालक की गलती होने से नहीं रोकी जा सकती. सरकार को 2 माह में समूह कुमारी मीणा को नियुक्ति देनी होगी. बता दें कि साल 2018 में सरकार ने आयुर्वेद नर्स के 400 पदों के लिए आवेदन मांगे थे.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती में एक अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की अभ्यर्थी को राहत देते हुए नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने भीलवाड़ा निवासी समोक कुमारी मीणा की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है.

आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती में एक अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की अभ्यर्थी को मिली राहत

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कोर्ट को बताया कि अभ्यर्थी अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की है. लेकिन, राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती 2018 के दौरान जब ई-मित्र से आवेदन भरा गया तो ई-मित्र संचालक ने अनुसूचित जनजाति परित्यक्ता वर्ग की जगह अनुसूचित जनजाति वैवाहिक कैटेगरी सेलेक्ट कर दी, जिसकी वजह से याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई. जबकि यह गलती ई-मित्र संचालक की है. ऐसे में तकनीकी गलती का खामियाजा परित्यक्ता वर्ग के अभ्यर्थी को नहीं दिया जा सकता.

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इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति सिर्फ ई-मित्र संचालक की गलती होने से नहीं रोकी जा सकती. सरकार को 2 माह में समूह कुमारी मीणा को नियुक्ति देनी होगी. बता दें कि साल 2018 में सरकार ने आयुर्वेद नर्स के 400 पदों के लिए आवेदन मांगे थे.

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