जोधपुर. हिंदू सेवा मंडल कोरोना काल में नेक काम कर रहा है. मंडल की ओर से कोविड, नॉन-कोविड और लावारिस मृतकों की अस्थियों को बैंक में सुरक्षित रखा जा रहा है. परिजन आकर अपनों की अस्थियां ले जाते हैं. जिन अस्थियों को लेने परिजन साल भर तक नहीं आ पाएंगे, उन्हें मंडल की ओर से गंगा में विसर्जित कर दिया जाएगा.
मंडल ने जोधपुर में अस्थि बैंक तैयार किया है. जो परिजन अपनों के देहावसान के बाद घर में अस्थियां नहीं रख सकते वे इन्हें इस बैंक में जमा करा सकते हैं. पहले इस बैंक में 500 तक अस्थि कलश रखने की सुविधा थी, जिसे बढ़ाकर 1000 कर दिया गया है. जोधपुर में फिलहाल कोरोना से मौत होने का सिलसिला जारी है.
अस्थि बैंक के सचिव विष्णु प्रजापत कहते हैं कि अस्थि बैंक में 250 से ज्यादा अस्थियां उन लोगों की हैं जिनका कोरोना से निधन हुआ था. 175 अस्थियां उन लोगों की हैं जिनकी मौत 2 महीने के दौरान हुई है. बाकी यहां सालभर से अस्थियां रखी हैं, जिन्हें लेने कोई नहीं आया है. ऐसी लावारिस अस्थियों को भी संस्था की ओर से गंगा में विसर्जित करने की बात कही जा रही है.
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अस्थि बैंक में करीब 100 लावारिस शवों की अस्थियां भी रखी हैं. हिंदू सेवा मंडल प्रतिवर्ष ऐसे मृतकों की अस्थियों को सामूहिक रूप से गंगा में प्रवाहित करता है. संस्था के लोगों को कहना है कि वे एक वर्ष तक परिजनों के आने का इंतजार करते हैं, उसके बाद अस्थियां विसर्जित कर देते हैं.
600 संक्रमितों का हुआ अंतिम संस्कार
सेवा मंडल के श्मशान में बीते 14 माह में 600 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार हुआ है. इनमें 250 मृतकों की अस्थियां अभी यहां रखी हुई है. जिन्हें लेने परिजन नहीं आए. मंडल के सचिव बताते हैं कि बीते दो माह में 350 से ज्यादा कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार यहां किए गए हैं.
जोधपुर में दूसरी लहर में 1135 से अधिक मौतें
कोरोना की दूसरी लहर से जोधपुर में दो माह में 1135 लोगों की मौत हुई है. ये मौतें शहर के सरकारी अस्पतालों में हुई हैं. हिंदू सेवा मंडल के अलावा माहेश्वरी, ओसवाल समाज के श्मशान में भी अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई थी. वहां पर भी बडी संख्या में अभी लोगों की अस्थियां रखी हुई हैं.