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जोधपुर: लोकल गोताखोर की मदद से 122 घंटे बाद मिला कैप्टन अंकित गुप्ता का शव - Dead body of Captain Ankit Gupta

10 पैरामिलिट्री के अभ्यास के दौरान गुरुवार को जोधपुर के तख्तसागर में डूबे कैप्टन अंकित गुप्ता का शव आखिरकार 122 घंटे बाद मंगलवार को मिल गया है. शव मिलने के बाद उसे आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया.

Dead body of Captain Ankit Gupta found, Jodhpur news
122 घंटे बाद मिला कैप्टन अंकित गुप्ता का शव
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Published : Jan 12, 2021, 5:18 PM IST

जोधपुर. जिले के तख्त सागर में गुरुवार को 10 पैरामिलिट्री के अभ्यास के दौरान कैप्टन अंकित गुप्ता ने हेलीकॉप्टर से छलांग लगाई. इसके बाद वे पानी में लापता हो गए. लापता होने के बाद करीब 6 दिन तक उनकी तलाश की गई. 122 घंटे बाद मंगलवार को उनका शव मिला, जिसे गोताखोरों ने बाहर निकाला.

122 घंटे बाद मिला कैप्टन अंकित गुप्ता का शव

इसके बाद आर्मी की एंबुलेंस में शव को आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया. स्थानीय पुलिस ने कैप्टन अंकित गुप्ता के शव को बाहर निकाले जाने की पुष्टि की है. जानकारी के अनुसार लोकल गोताखोर अशोक की ओर से कैप्टन की तलाश की जा रही थी. लोकल गोताखोर अशोक ने कैप्टन अंकित गुप्ता को ढूंढा.

कैप्टन अंकित गुप्ता का शव मिलने के बाद आर्मी सहित अन्य अधिकारियों को सूचना दी गई. गोताखोर अशोक की सूचना पर अन्य गोताखोर भी मौके पर पहुंचे और अंकित गुप्ता के शव को बाहर निकाला गया.

पढ़ें- सेना के कैप्टन अंकित गुप्ता का 48 घंटे बाद भी सुराग नहीं, सर्च ऑपरेशन जारी

गौरतलब है कि गुरुवार को तखत सागर में 10 पैरामिलिट्री के अभ्यास के दौरान हेलीकॉप्टर से छलांग लगाने के बाद कैप्टन अंकित गुप्ता लापता हो गए थे. इसके बाद से ही उनकी तलाश की जा रही थी.

बता दें कि मार्कोस कमांडो को दिल्ली से बुलाया गया है. अमेरिकन नेवी के सील्स कमांडो की तरह ही भारतीय नौ सेना में मार्कोस कमांडो तैयार किए जाते हैं. इस स्पेशल फोर्स की स्थापना 1987 में की गई थी. अमेरिकी सील्स और भारतीय मार्कोस के साझा अभ्यास चलते रहते हैं. इन कमांडों को हर परिस्थिति में लड़ने का प्रशिक्षण दिया जाता है. जिसमें आंतकवाद से लेकर नेवी ऑपरेशन और अन्य ऑपरेशन में ये शामिल होते हैं.

इन्हें जल, थल और नभ तीनों जगह पर लड़ने के लिए तैयार किया जाता है लेकिन खास तौर से मरीन ऑपरेशन में इनकी विशेषज्ञता होती है. इनका प्रशिक्षण सबसे कठोर होता है. तीन साल के प्रशिक्षण में कई परिस्थितियों से यह वाकिफ होते हैं. परिवार जनों के भी इनके मार्कोस होने की जानकारी नहीं होती है.

जोधपुर. जिले के तख्त सागर में गुरुवार को 10 पैरामिलिट्री के अभ्यास के दौरान कैप्टन अंकित गुप्ता ने हेलीकॉप्टर से छलांग लगाई. इसके बाद वे पानी में लापता हो गए. लापता होने के बाद करीब 6 दिन तक उनकी तलाश की गई. 122 घंटे बाद मंगलवार को उनका शव मिला, जिसे गोताखोरों ने बाहर निकाला.

122 घंटे बाद मिला कैप्टन अंकित गुप्ता का शव

इसके बाद आर्मी की एंबुलेंस में शव को आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया. स्थानीय पुलिस ने कैप्टन अंकित गुप्ता के शव को बाहर निकाले जाने की पुष्टि की है. जानकारी के अनुसार लोकल गोताखोर अशोक की ओर से कैप्टन की तलाश की जा रही थी. लोकल गोताखोर अशोक ने कैप्टन अंकित गुप्ता को ढूंढा.

कैप्टन अंकित गुप्ता का शव मिलने के बाद आर्मी सहित अन्य अधिकारियों को सूचना दी गई. गोताखोर अशोक की सूचना पर अन्य गोताखोर भी मौके पर पहुंचे और अंकित गुप्ता के शव को बाहर निकाला गया.

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गौरतलब है कि गुरुवार को तखत सागर में 10 पैरामिलिट्री के अभ्यास के दौरान हेलीकॉप्टर से छलांग लगाने के बाद कैप्टन अंकित गुप्ता लापता हो गए थे. इसके बाद से ही उनकी तलाश की जा रही थी.

बता दें कि मार्कोस कमांडो को दिल्ली से बुलाया गया है. अमेरिकन नेवी के सील्स कमांडो की तरह ही भारतीय नौ सेना में मार्कोस कमांडो तैयार किए जाते हैं. इस स्पेशल फोर्स की स्थापना 1987 में की गई थी. अमेरिकी सील्स और भारतीय मार्कोस के साझा अभ्यास चलते रहते हैं. इन कमांडों को हर परिस्थिति में लड़ने का प्रशिक्षण दिया जाता है. जिसमें आंतकवाद से लेकर नेवी ऑपरेशन और अन्य ऑपरेशन में ये शामिल होते हैं.

इन्हें जल, थल और नभ तीनों जगह पर लड़ने के लिए तैयार किया जाता है लेकिन खास तौर से मरीन ऑपरेशन में इनकी विशेषज्ञता होती है. इनका प्रशिक्षण सबसे कठोर होता है. तीन साल के प्रशिक्षण में कई परिस्थितियों से यह वाकिफ होते हैं. परिवार जनों के भी इनके मार्कोस होने की जानकारी नहीं होती है.

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