जोधपुर. रातानाड़ा क्षेत्र स्थित सैन्य क्षेत्र में एक महिला के साथ बलात्कार के प्रयास की रिपोर्ट (attempt of rape in Army Cantonment Area Jhodpur) दर्ज कराई गई है. आरोप कैंटोनमेंट एरिया में कार्यरत सूबेदार पर है. महिला का आरोप है कि उसके सैनिक पति ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की तो उन्होंने चुप रहने की नसीहत दी. कार्रवाई करने के बजाए पीड़ित परिवार को मुंह बंद रखने को कहा.
मेजर और कर्नल रैंक के अधिकारियों की नसीहत से हैरान पीड़ित रातानाड़ा थाने पहुंची और मामला दर्ज करवाया. रातानाडा थाना पुलिस ने कुल 4 सैन्य अधिकारियों के विरुद्ध मामला दर्ज (case against Army Officers by a Lady) किया है. मामले की जांच सब इंस्पेक्टर भंवरसिंह को सौंपी गई है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 मार्च की शाम साढ़े 7 बजे सैन्य क्षेत्र की एक आवासीय कालोनी में वारदात हुई. पीड़िता ने पुलिस को बताया कि आरोपी उस समय घर में घुसा जब वो नहा रही थी और उसके साथ जबरदस्ती करने का प्रयास किया और मारपीट भी की. महिला के चिल्लाने पर उसका पति आ गया. जिसने आरोपी सूबेदार को पकड़ना चाहा लेकिन वो भाग गया.
पीड़ित के पति ने उच्चाधिकारियों को पूरा घटनाक्रम बताया. जिन्होंने मदद के बजाए सेना की पुलिस भेजी जिसने कथित तौर पर उन्हें प्रताड़ित किया. पीड़िता ने अपनी रिपोर्ट में कर्नल व मेजर रैंक के अधिकारियों को उनको प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. पुलिस ने इस मामले में चार जनों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है.जिसमें दो कर्नल शामिल हैं.
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गलत बयान देने का दबाव बनाया, रात को हाउस अरेस्ट किया: रिपोर्ट में बताया कि घटना के बाद जब सेना पुलिस कॉलोनी में पहुंची तो वहां मौजूद अधिकारियों ने पीड़िता और उसके पति पर सूबेदार को बचाने का दबाव बनाया. लिखित रिपोर्ट के मुताबिक सैन्य पुलिस ने यहां तक कहा कि- रेप नहीं हुआ है तो अब हो जाएगा. उन्होंने वीडियो कैमरे के सामने गलत बयान देने प्रेशर डाला.
बेटे पर तानी बंदूक: पीड़ित पक्ष की मानें तो कर्नल ने उनके बेटे पर बंदूक तक तान ली. बावजूद इसके महिला के सैनिक पति ने पीछे न हटने का प्रण लिया. उन्होंने पुलिस में जाने का प्रयास किया तो कॉलोनी के रास्ते बंद कर दिए गए. महिला आयोग में आनलाइन परिवाद दर्ज करवा दिया गया है. आरोप है कि रातभर पूरे परिवार को हाउस अरेस्ट कर रखा गया.
राजीनामा का हुआ प्रयास, पीड़िता ने कहा न: 15 मार्च को इस मामले को लेकर पीड़ित परिवार ने सेना में हर स्तर पर प्रयास किया. लेकिन उन्हें कहीं से राहत नहीं मिली. किसी ने भी सूबेदार और कर्नल के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आश्वासन तक नहीं दिया. जिसके बाद 16 मार्च को थाने पहुंचे. थाने में देर रात तक सेना के अधिकारियों ने राजीनामे के प्रयास किए. लेकिन पीड़िता नहीं मानी. उसने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा है कि अगर उसके और उसके परिवार के साथ कुछ भी होता है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी (शिकायत में जिनका नाम दर्ज) होंगे. जिसके बाद रात करीब 11 बजे पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया.