जोधपुर. यौन दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम (Asaram Case Hearing In Jodhpur) की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में पेश अपील पर गुरुवार को सुनवाई हुई. आसाराम की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ में पेश प्रार्थना पत्र पर पीडिता के अधिवक्ता ने जवाब पेश कर दिया. इसके बाद कोर्ट ने प्रार्थना पत्र पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
DCP लाम्बा को बुलाने की अर्जी
वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत की ओर से प्रार्थना पत्र पेश किया गया था. जिस पर पीडिता के अधिवक्ता पीसी सोंलकी ने जवाब पेश कर दिया और बहस पूरी होने पर फैसला सुरक्षित रखा गया है. गौरतलब है कि आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने सीआरपीसी की धारा 391 के तहत प्रार्थना पत्र पेश किया, जो कि तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लाम्बा से सम्बंधित है.
उन्होने अपनी एक पुस्तक आसाराम को लेकर लिखी है, जिसमें एक पेज पर कुछ लिखा है उसकी आधार बनाकर आसाराम के अधिवक्ता तत्कालीन डीसीपी लाम्बा जो कि इस केस में अधिकारी थे उसको साक्ष्य करवाना चाहते है.
उन्होंने तत्कालीन डीसीपी लाम्बा को न्यायालय में बुलाने और साक्ष्य दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र पेश कर रखा है. तत्कालीन डीसीपी लाम्बा ने ही आसाराम को गिरफ्तार किया था और अपराध स्थल की जांच करते हुए वीडियोग्राफी करवाई थी. अब आसाराम के अधिवक्ता उसी को आधार बनाकर दुबारा साक्ष्य करवाना चाहते है.