जोधपुर. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय दिल्ली सहित देश के सभी 23 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) एम्स को नया नाम देने जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन संस्थानों का नाम क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों, क्षेत्रीय नायकों, ऐतिहासिक घटनाओं, क्षेत्र के उल्लेखनीय स्मारकों या उनकी विशिष्ट भौगोलिक पहचान के नाम पर रखने की तैयारी कर ली है.
इसके लिए मंत्रालय ने सभी एम्स से नामों की सूची मांगी है. जोधपुर एम्स के उपनिदेशक एनआर विश्नोई ने बताया कि हमारे यहां प्रस्तावित नाम बहुत ज्यादा हो सकते हैं. ऐसे में हमने अनुरोध किया है कि जोधपुर एम्स का नाम नहीं बदला जाए, एम्स ही रखा (Jodhpur AIIMS name change) जाए. जोधपुर से एम्स के लिए कोई प्रस्तावित नामों की कोई सूची भेजी गई है या नहीं, इसको लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हुई है. लेकिन यह माना जा रहा है कि यह फैसला स्थानीय सांसद व मंत्रियों के सुझाव को शामिल करने के बाद ही पूरा होगा. जोधपुर एम्स को पूर्व में मीरा बाई एम्स का नाम देते हुए शिलान्यास 2004 में हुआ था, लेकिन बाद में हटा दिया गया था.
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पहले था मीरा बाई एम्स नाम: जोधपुर में एम्स की घोषणा के साथ ही इसका नाम मीरा बाई के नाम पर रखा गया था. 31 जनवरी, 2014 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जसवंतसिंह जसोल ने मीरा बाई अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नाम से ही शिलान्यास किया था. तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सुषमा स्वराज व कृषि मंत्री राजनाथसिंह मौजूद थे. लेकिन जोधपुर एम्स का काम सही तरीके से शुरू नहीं हो पाया. इसके बाद 2007-2008 में यूपीए सरकार के समय काम तेजी से शुरू किया गया.
नाम को लेकर हुआ आंदोलन: 2012 में जोधपुर एम्स में ओपीडी सेवाएं शुरू हुईं, तो उस समय लोगों ने जोधपुर एम्स से मीरा बाई का नाम हटाने का विरोध किया. उस समय के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाब नबी आजाद को मीरा बाई का नाम जोड़ने को लेकर मांग पत्र दिए गए थे. राजपूत समाज ने भी मांग की थी. इसके अलावा नामकरण को लेकर एक समिति का गठन भी किया गया था, लेकिन मीरा बाई नाम नहीं जोड़ा गया. लोगों की मांग पर एम्स परिसर के बाहर मीरा बाई की आदमकद मूर्ति जरूर स्थापित की गई है.