जोधपुर. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्पेशल यूनिट ने बुधवार देर शाम को बड़ी कार्रवाई करते हुए रेलवे के जोधपुर मंडल के वेलफेयर इंस्पेक्टर और जमादार को 3 लाख 35 हजार रुपये की रिश्वत लेते (ACB Trap Railway Welfare Inspector in Jodhpur) रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. इनमें 3 लाख रुपये के नकली नोट थे.
स्पेशल यूनिट के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉक्टर दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने बताया कि परिवादी को स्वास्थ्य कारणों के चलते तकनीकी सेवा में अयोग्य करार दे दिया गया था. जिसके बाद उसकी सेवा की श्रेणी बदली जानी थी. इसकी फाइल वेलफेयर इंस्पेक्टर भगत की कोठी राजेंद्र गुर्जर के पास थी. इस कार्य के लिए परिवादी लगातार उसके चक्कर लगा रहा था, लेकिन गुर्जर ने उसकी श्रेणी बदलने की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए. उसे धमकाया कि अगर तूने पैसे नहीं दिए तो तुझे वर्तमान पे स्केल से नीचे के पद पर लगा दिया जाएगा.
इसके लिए ढाई लाख रुपये मांगे, लेकिन व्यवस्था नहीं हुई तो इंस्पेक्टर ने उसके खिलाफ आदेश कर दिया. जबकि रेलवे के नियमों में ऐसी स्थिति में कर्मचारी को उसकी मौजूदा पे स्केल के नीचे नहीं लगा सकते. लेकिन गुर्जर ने उसके आदेश कर दिए, क्योंकि ऐसे आदेश के विरुद्ध अपील करने पर निस्तारण हो जाता है. इसके बाद जमादार नंद किशोर का परिवार से संपर्क हुआ. उसने परवादी से कहा कि रुपये नहीं देने से तुम्हारे गलत आदेश हो गए हैं. तुम अगर साढ़े तीन लाख दोगे तो अपील में तुम्हारे आदेश वापस सही हो जाएंगे.
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इस मांग का एसीबी ने सत्यापन करवाया. जिसके बाद बुधवार देर शाम को परिवादी नंद किशोर के पास गया और कहा कि तीन लाख 35 हजार रुपये हैं. साहब से बात करा दो. नंद किशोर ने परिवादी की वेलफेयर इंस्पेक्टर राजेंद्र गुर्जर से बात करवाई. परिवादी ने कहा कि 3 लाख 35 हजार रुपये दे रहा हूं. राजेंद्र गुर्जर ने इसकी सहमति दी, जिसके बाद परिवादी ने तीन लाख की डमी करेंसी का बंडल और 35000 रुपये अलग से नंद किशोर को दे दिए.
रुपये देते ही ब्यूरो के निरीक्षक मनीष वैष्णव की टीम ने नंद किशोर को रंगे हाथ (Corruption in Railway) गिरफ्तार किया. उसके तुरंत बाद राजेंद्र गुर्जर को भी उसके ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की धाराओं में मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है.