जोधपुर. सूर्य नगरी की पहचान इसका किला, मंडोर गार्डेन, उम्मेद भवन पैलेस ही नहीं है बल्कि एक पहचान इसका जायका (Zaika Jodhpur Ka) भी है. यहां के पकवान देश दुनिया में बड़े चाव से खाए जाते हैं. यहां देशी घी में पकी मिठाईयों के क्या कहने! अचरज की बात कि मीठा तो मीठा यहां नमकीन कचौरी भी देशी घी में बनती है. नमकीन कचौरी, मिर्ची बड़े और समोसे तलने में पूरे देश मे जहां तेल का ही उपयोग होता है वहीं जोधपुर एक ऐसा शहर है जहां ये सब कुछ देशी घी में (Namkeen Kachori In Shudh Ghee) तला जाता है.
जायके के इस सफर (Zaika Jodhpur Ka) का एक अहम पड़ाव भीतरी शहर में स्थित लाल भट्टीवाला के नाम से प्रसिद्ध नारायण मिष्ठान भण्डार का है. महंगाई के बावजूद लोग बड़े शौक से इसे खाते हैं. कई तो ऐसे हैं जिनकी जुबान पर इसका स्वाद ऐसा चढ़ा है कि रोज इसका सेवन करने आते हैं.
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नारायण मिष्ठान की ही बात करें तो इस इलाके की छोटी सी लेकिन बड़ी पुरानी दुकान है. 70 साल पहले दुकान प्रह्लाद जी मुंदड़ा चलाते थे. कचौरी तेल में ही छनती थी लेकिन फिर कुछ अलग, स्वादिष्ट और नया करने की चाह में कचौरी को देशी घी का अवतार (Namkeen Kachori In Shudh Ghee) मिला. स्वाद चोखा था. जिसके बाद यह सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक चल रहा है. इस दुकान पर सुबह 11 बजे तक ही देशी घी की गर्म कचौरी (Mogar Ki Kachori) बनती है.
खालिस देसी घी और कुछ नहीं
सामान्यत कचौड़ी तेल में ही तली जाती है. जिसका मसाला भी तेल में भुनता है. लेकिन देशी घी में तली कचौरी (Namkeen Kachori In Shudh Ghee) का पूरा मोगर मसला भी घी में ही तैयार होता है. इस वजह से खस्ता हो जाती है और मुंह में डालते ही घुल सी जाती है.