जोधपुर. जिले के बालेसर क्षेत्र में यहां गाल की ढाणी में जन्मे भंवर सिंह इंदा 1997 में भारतीय सेना में भर्ती हुए उन्हें 27 राजपूत रेजिमेंट में नियुक्ति मिली थी. 1999 में कारगिल युद्ध से पहले मार्च माह में वह अपनी शादी के लिए छुट्टी लेकर आए थे. 4 मार्च को उनकी शादी हुई एक माह बाद ही युद्ध से हालात हुए तो छुट्टी निरस्त हो गई और उन्हें सेना ने बुला लिया. 28 जून 1999 को भंवर सिंह इंदा दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. पत्नी इंद्रकंवर और भंवर सिंह की शादी को सिर्फ एक महीना हुआ था.
सरकारी घोषणा के बाद भी नहीं मिला पेट्रोलपंप:
इंद्रकंवर 20 साल से शहीद की बेवा का जीवन जी रही हैं. सरकार ने उस समय घोषणा की थी कि पेट्रोलपंप मिलेगा इसके लिए आवेदन भी किया गया लेकिन पेट्रोलियम कंपनी ने इंद्रकंवर के अनपढ़ होने से आवेदन ही निरस्त कर दिया जिसके चलते इस परिवार का जीवन स्तर नहीं बदल सका.
सहायता के नाम पर मिली है 22 बीघा जमीन:
शहीद के भाई कर्णसिंह ने बताते है कि सरकारी सहायता के नाम पर मात्र उनको बीकानेर के भुरासर में 22 बीघा जमीन मिली है बाकी किसी प्रकार की कोई सुविधा नही मिली है. शहीद के घर पर कृषि कनेक्शन की फाईल लगाये हुऐ तीन माह हो गये अभी तक कनेक्शन नही हो पाया है.
वीरांगना इंद्रकंवर के घर नहीं है विद्युत कनेक्शन:
वीरांगना इंद्रकंवर जहां रहती हैं, वहां विद्युत कनेक्शन नहीं है. शहीद स्मारक के लिए भी खूब भागदौड़ की लेकिन कुछ नहीं हुआ. थक हारकर शहीद के परिजनों ने ही घर के पास निजी खर्चे से स्मारक बनवाया. शहीद के घर तक जाने के लिए वर्षों पूर्व ग्रेवल सडक़ बनी थी, जो अब क्षतिग्रस्त है. पेयजल के लिए एक हैंडपंप लगाया गया था जो अब खराब है.